मारियोपोल में फंसे सैनिकों के समर्पण के बाद क्या होगा
१८ मई २०२२यूक्रेन में अब तक की सबसे भयानक घेरेबंदी के बाद रूस का कहना है कि करीब 1,000 सैनिकों ने समर्पण कर दिया है. अजोव रेजिमेंट के सदस्य भी इसमें शामिल हैं. 260 से ज्यादा यूक्रेनी लड़ाके स्ट्रेचर पर सोमवार को प्लांट से बाहर निकले. इनमें से कुछ तो बुरी तरह घायल हैं. इसके बाद मंगलवार और बुधवार को भी सैनिकों के समर्पण का सिलसिला जारी रहा. सैनिकों के समर्पण के साथ ही ऐसा लग रहा है कि मारियोपाल में अब लड़ाई थम गई है.
समर्पण करने वालों में शीर्ष कमांडर नहीं
अभी यह साफ नहीं है कि शीर्ष कमांडर प्लांट छोड़ कर जायेंगे या फिर रूसी सेना के साथ अपनी मातृभूमि को बचाने के लिए अंतिम सांस तक युद्ध करेंगे.
यूक्रेन के शीर्ष कमांडरों ने अब भी मारियोपोल के अजोव्स्ताल स्टील प्लांट के बंकरों और सुरंगों से बाहर आकर समर्पण नहीं किया है. रूस समर्थित अलगाववादी इलाके के नेताओं ने बुधवार को यह जानकारी दी.
दोनेत्स्क पीपुल्स रिपब्लिक के प्रमुख डेनिस पुशिलिन का कहना है, "(जिन लोगों ने समर्पण किया है) उनमें कोई शीर्ष स्तर का कमांडर नहीं है. वे लोग बाहर नहीं निकले हैं." मारियोपोल पर अब रूसी सेना और पुशिलिन का नियंत्रण है. यूक्रेन पर हमला शुरू होने के महज तीन दिन पहले पुतिन ने दोनेत्स्क के इलाके को अलग गणराज्य के रूप में मान्यता दे दी थी.
समर्पण करने वाले सैनिकों का क्या होगा?
अभी यह साफ नहीं है कि समर्पण करने वाले इन सैनिकों का क्या होगा. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की इन्हें नायक बताते है, लेकिन रूसी सांसद इन्हें "नाजी अपराधी" कहते हुए दावा करते हैं कि इन्हें गंभीर सजा मिलेगी. यहां तक कि मौत की सजा भी हो सकती है.
पुशिलिन का कहना है कि समर्पण करने वाले यूक्रेनी सैनिकों की किस्मत का फैसला अदालत करेगी. पुशिलिन के मुताबिक, "जहां तक युद्ध अपराधियों की बात है और जो राष्ट्रवादी हैं, अगर वे हथियार डाल देते हैं, तो उनकी किस्मत का फैसला अदालतें करेंगी. अगर वे नाजी अपराधी हैं, तो इसके लिए एक ट्राइब्यूनल है."
रूस का कहना है कि अजोव रेजिमेंट एक धुर दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी अर्धसैनिक संगठन है, जो कट्टरपंथी रूस विरोधी राष्ट्रवादी लड़ाकों का समूह है. रूस उन्हें आधुनिक दौर के नाजी कहता है.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का कहना है कि जिसे वह स्पेशल सैन्य अभियान कहते हैं, वह यूक्रेन में जरूरी था, ताकि रूसी बोलने वाले लोगों की रक्षा की जा सके. उनका यह भी कहना है कि यूक्रेन का इस्तेमाल कर रूस को धमकी देने की अमेरिकी कोशिशों को रोकने के लिए भी यह जरूरी था.
रूसी राष्ट्रपति के दफ्तर ने कहा है कि समर्पण करने वाले लड़ाकों के साथ अंतरराष्ट्रीय कानूनों के आधार पर व्यवहार किया जायेगा. उधर यूक्रेन ने कहा है कि रूस के साथ कैदियों की अदला-बदली होगी.
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मास्को में मांग उठ रही है कि यूक्रेनी सेना पर मुकदमा चलाया जाये. रूस की प्रमुख संघीय जांच एजेंसी का कहना है कि वह सैनिकों से पूछताछ करना चाहती है, जिसका मकसद "राष्ट्रवादियों की पहचान करना है." एजेंसी यह भी पता लगाना चाहती है कि क्या वे लोग आम लोगों के खिलाफ हुए अपराधों में शामिल थे.
रूस के शीर्ष अभियोजक ने भी कहा है कि वह देश की सर्वोच्च अदालत से यूक्रेन के अजोव रेजिमेंट को आतंकवादी संगठन घोषित करने की मांग करेंगे. रूसी समाचार एजेंसियों में यह भी खबर आई है कि रूसी संसद में इस बात के लिए प्रस्ताव पेश होगा कि अजोव रेजिमेंट के कैदियों की अदला-बदली रोकी जाए.
इधर यूक्रेन की उप रक्षा मंत्री हन्ना मालियर का कहना है कि अजोव रेजिमेंट के लड़ाकों की रिहाई और अब भी प्लांट के अंदर मौजूद लोगों को बाहर निकालने के लिए बातचीत जारी है. यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का कहना है, "सबसे अधिक प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थ इस काम में लगे हैं."
कहां हैं समर्पण करने वाले सैनिक
रूसी सैनिक उन्हें बसों में अपने साथ ले गये हैं. सात बसों में सवार यूक्रेनी सैनिक मारियोपोल से करीब 88 किलोमीटर दूर एलेनिव्का में लाये गये हैं. कितने सैनिक यहां लाये गये हैं, इसकी सही संख्या बता पाना मुश्किल है. इनका कानूनी दर्जा भी नहीं पता चल सका है.
यह इलाका यूक्रेन के इलाके दोनेत्स्क में है और 2014 से ही यहां रूस समर्थितअलगाववादियों का नियंत्रण है. सैनिकों को जहां ले जाया गया है, उसका नाम पीनल कॉलोनी है, जहां कड़े सुरक्षा प्रबंध हैं. यह जगह उन सैनिकों के लिए बनाई गई है, जहां गंभीर अपराध की सजा पाने वाले कैदियों को रखा जाता है. बसों को ले जाये जाते समय की तस्वीरों में उनके साथ बड़ी संख्या में रूसी सैनिकों को देखा जा सकता है. इलाके में खंभों पर सोवियत झंडे लगे हुए थे.
स्टील प्लांट में फंसे लोगों की मुश्किलें
मारियोपोल के बंकरों में छिपे लोगों ने भारी मुसीबत उठाई है. स्टील प्लांट में फंसे आम लोगों ने बाहर निकलने के बाद वहां की भयानक कहानियां सुना रहे हैं. कई महीनों तक सैनिक और आम लोग इस प्लांट में बिना किसी मदद के फंसे रहे. आखिरकार मंगलवार को यूक्रेन के रक्षा मंत्री ने उन्हें अपनी जान बचाने को कहा. रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेजनीकोव ने कहा, "यूक्रेन को उनकी जरूरत है, यह सबसे प्रमुख बात है."
रूसी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक मारियोपोल के स्टील प्लांट से सोमवार के सैनिकों का समर्पण शुरू हुआ. बुधवार तक कम से कम 959 सैनिकों ने समर्पण कर दिया है. यूक्रेन के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने सैनिकों से अपनी जान बचाने के लिए कहा था. हालांकि, उन्होंने यह नहीं कहा कि सैनिकों को समर्पण करने के लिए कहा गया था. उनका यह भी कहना है कि रूसी सेनाओं से अजोव्स्ताल की रक्षा का अभियान पूरा हो गया है.
अजोव्स्ताल में क्या अब भी कोई है?
अभी यह साफ नहीं है कि मारियोपाल में यूक्रेन के आखिरी गढ़ में कितने सैनिक अब भी मौजूद हैं. एक समय यहां कम से कम दो हजार सैनिकों के फंसे होने की बात कही जा रही थी.
दोनों पक्ष घटनाओं की अपनी-अपनी ओर से अलग व्याख्या कर रहे हैं. रूसी और अमेरिकी बयानों में कही जा रही अलग-अलग बातों के बारे में पूछने पर क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने पत्रकारों से कहा, "सिर्फ एक ही मतलब निकाला जा सकता है कि अजोव्स्ताल में फंसे सैनिक हथियार डाल रहे हैं और समर्पण कर रहे हैं."
मारियोपोल युद्ध की शुरुआत से ही रूसी सैनिकों के निशाने पर था. भारी बमबारी में शहर पूरी तरह से तबाह हो चुका है. यूक्रेन का कहना है कि यहां 20,000 से ज्यादा आम लोगों की मौत हुई है. पूरा शहर रूसी सेना के कब्जे में जाने के बाद भी स्टील प्लांट में मौजूद सैनिक और आम लोग डटे रहे.
ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि मारियोपोल की यूक्रेनी रक्षा ने रूसी सैनिकों को सैनिकों की संख्या के लिहाज से बहुत नुकसान पहुंचाया है.
अगर मारियोपोल पर कब्जा पूरा हो जाता है, तो वह रूसी कब्जे में जाने वाला यूक्रेन का सबसे बड़ा शहर होगा. मारियोपोल पर कब्जे की जंग में रूसी सैनिकों ने भयानक हवाई हमले किये, जिनकी चपेट में एक मैटर्निटी अस्पताल और एक थियेटर भी आया. केवल थियेटर पर हुए हमले में ही करीब 600 लोगों की मौत हुई है.
एनआर/वीएस (एपी, रॉयटर्स)