मालदीव की कितनी मदद करेंगे चीन और पाकिस्तान?
९ फ़रवरी २०१८भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और संयुक्त राष्ट्र ने मालदीव में इमरजेंसी लगाने और शीर्ष जजों की गिरफ्तारी की निंदा की है. जजों ने राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के विरोधियों को जेल से रिहा करने का फैसला दिया था जिसे सरकार ने लागू करने से इनकार कर दिया. मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने भारत से हस्तक्षेप करने को कहा है. लेकिन भारत की तरफ से अभी इस तरह का कोई संकेत नहीं मिलता. भारत ने 1988 में मालदीव सरकार के तख्तापलट को नाकाम बनाने के लिए अपने सैनिक मालदीव भेजे थे. लेकिन उसके बाद से उसने कभी प्राकृतिक रूप से बेहद सुंदर इस देश की सियासत में दखल नहीं दिया.
भारत से टकराव की राह पर मालदीव
वहीं, चीन इस मामले में काफी सक्रियता दिखा रहा है. हाल के सालों में चीन ने मालदीव में भारी निवेश किया है और दोनों देशों के बढ़ते रिश्ते भारत के लिए चिंता का विषय भी रहे हैं. यामीन ने अपनी सरकार में आर्थिक विकास मंत्री मोहम्मद सईद को चीन, विदेश मंत्री मोहम्मद आसिम को पाकिस्तान और कृषि और मत्स्य पालन मंत्री मोहम्मद शैनी को सऊदी अरब भेजा है.
सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, "राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम के निर्देश पर कैबिनेट के सदस्य मित्र देशों का दौरा करेंगे और उन्हें मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी देंगे." भारत में मालदीव के राजदूत अहमद मोहम्मद ने कहा है कि उनका देश भारत में भी अपना दूत भेजना चाहता था लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि अभी इसके लिए समय नहीं है.
पूर्व राष्ट्रपति नशीद ने चीन पर आरोप लगाया था कि वह "मालदीव को खरीद" रहा है. उनका इशारा चीन की तरफ से मालदीव को दी जाने वाली भारी मदद की तरफ था. उन्होंने आरोप लगाया कि अब्दुल्ला यामीन की सरकार ने किसी प्रक्रिया और पारदर्शिता का ख्याल रखे बिना चीनी निवेश के लिए दरवाजे खोल दिए हैं. हालांकि चीन के विदेश मंत्रालय ने नशीद के इस आरोप को बेबुनियाद करार दिया. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, "मादलीव को दी जाने वाली मदद के पीछे कोई राजनीतिक स्वार्थ नहीं है और इससे मालदीव की संप्रभुता और आजादी को बिल्कुल कोई असर नहीं होगा."
दिसंबर में राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने चीन का दौरा किया था, जिसके दौरान दोनों पक्षों ने एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इसके तहत मालदीव से होने वाले निर्यात पर कई तरह के शुल्क खत्म कर दिए गए जबकि चीनी सामान और वित्त, स्वास्थ्य और पर्यटन सेवाओं के लिए मालदीव को खोल दिया गया.
चीन मालदीव में करोड़ों डॉलर का निवेश कर रहा है और बड़ी संख्या में चीनी पर्यटक मालदीव का रुख कर रहे हैं. चीन अपनी "वन रोड वन बेल्ट" परियोजना के लिए भी मादलीव को बहुत अहम समझता है. इस परियोजना के तहत चीन समुद्र, सड़क और रेल मार्गों के जरिए पूरी दुनिया को जोड़ना चाहता है.
भारत से मालदीव में सैन्य दखल की मांग
चीन कह चुका है कि किसी बाहरी ताकत को मालदीव में दखल नहीं देना चाहिए. मालदीव के दूत से मुलाकात के बाद चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मालदीव में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए रचनात्मक भूमिका अदा करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मालदीव की "सरकार और लोगों में इतनी समझदारी और क्षमता है कि वे अपने सामने मौजूद हालात से निपट सकें और देश में वापस कानून के राज के मुताबिक सामान्य हालात बहाल कर सकें." उन्होंने मालदीव में किसी भी तरह के दखल से इनकार किया. चीनी विदेश मंत्री के अनुसार, चीन इस बात का समर्थन करता है कि मालदीव की सरकार सभी पक्षों से बातचीत के जरिए मामले को सुलझाए.
चीन के अलावा 1200 द्वीपों वाले मुस्लिम बहुल देश मालदीव की सरकार को पाकिस्तान और सऊदी अरब से भी मदद की उम्मीद है. हालांकि इन देशों की तरफ से मालदीव के घटनाक्रम पर अभी कोई बयान सामने नहीं आया है. लेकिन पड़ोस में बसे एक छोटे से देश में गहराता संकट निश्चित रूप से भारत के लिए चिंता का कारण तो है ही. पिछले सालों में वहां कट्टरपंथ बढ़ा है और मालदीव में सरकार के कमजोर होने से उग्रवाद, स्मगलिंग और ड्रग कारोबार में वृद्धि हो सकती है और ये बात भारत को परेशान कर रही है..
एके/एमजे (एपी, रॉयटर्स)