मिंक का बर्डफ्लू इंसानों के लिए कितना खतरनाक
१० फ़रवरी २०२३ये बात अक्टूबर 2022 में सामने आई, जब उत्तरपश्चिम स्पेन के गैलेसिया के एक फार्म में बहुत सारे मृत मिंक पाए गए. मिंक खास तरह के उदबिलाव होते हैं. पशु चिकित्सकों ने पहले कोरोना वायरस को इसका जिम्मेदार बताया था. लेकिन परीक्षणों से पता चला कि ऊदबिलावों की मौत के लिए खतरनाक रोगाणु बर्डफ्लू वायरस एच5एन1 जिम्मेदार था.
इस रोगाणु को फैलने से रोकने के लिए 50,000 से ज्यादा मिंक मार डाले गए. वैसे तो इस बीमारी से फार्म मजदूर संक्रमित नहीं हुए थे लेकिन ये मामला वैज्ञानिकों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है.
मिंक फार्म संक्रमण 'बेहद चिंताजनक'
परिंदों से दूसरी प्रजातियों में वायरस का फैलाव नयी बात नहीं है. बर्ड फ्लू या एवियन इंफ्लुएंजा पैदा करने वाला वायरस रकूनों, लोमड़ियों और सीलों में मिला है. हालांकि वे अलग अलग मामले थे. एच5एन1 से इंसानों के संक्रमित होने के कुछ मामले बेशक रहे हैं, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक इंसानों से इंसानों में संक्रमण का कोई प्रमाण नहीं मिला.
जर्मनी स्थित फ्रीडरिष लोएफलर संस्थान के डायग्नोस्टिक वायरोलॉजी विभाग से जुड़े बर्ड फ्लू विशेषज्ञ टिम हार्डर के मुताबिक, इंसानों और दूसरे स्तनपायियों में ये बीमारी, संक्रमित पक्षियों की बीट या उनके शवों के सीधे संपर्क में आने से ही फैली है.
लेकिन मिंकों में फैला संक्रमण एक दुर्लभ मामला लगता है जिसमें सीधे संक्रमित पक्षी से संपर्क में आने से स्तनपायियों में बीमारी नहीं फैली बल्कि एक स्तनपायी से दूसरे स्तनपायी में गई. टिम हार्डर कहते हैं ये मामला कुछ "नया" है. उनके मुताबिक, एक समस्या ये है कि मिंक की सघन फार्मिंग की जाती है. सिकुड़ी हुई जगहों पर बड़ी संख्या में उन्हें रखा जाता है. इसका अर्थ ये है कि ज्यादा संवेदनशील स्तनपायियों में संक्रमण तेजी से फैलता है.
हार्डर ने ये भी बताया कि शोधकर्ताओं ने मिंक में वायरस के बहुत सारे म्युटेशनों की शिनाख्त की है. इन्हीं में से एक म्युटेशन "वायरस को स्तनपायियों में बेहतर ढंग से पनपने" का मौका देता है. वैज्ञानिकों की चिंता ये है कि पूरी दुनिया में लाखों करोड़ों परिंदों की जान लेने वाला वायरस, और भी मिंक फार्मों में फैल कर "ज्यादा संक्रामक" बन सकता है. वैज्ञानिक जर्नल साइंस को दिए एक इंटरव्यू में इम्पीरियल कॉलेज लंदन के वायरोलजिस्ट टॉम पीकॉक कहते हैं, "ये बेहद चिंता की बात है. एच5 वैश्विक महामारी के उभार की ये स्पष्ट प्रक्रिया है."
क्या बर्ड फ्लू से भड़क सकती है इंसानों में महामारी
डब्लूएचओ के मुताबिक, पूरी दुनिया में जनवरी 2003 से नवंबर 2022 तक इंसानों में एच5एन1 के 868 ज्ञात मामलों में से 457 में मौत हुई थी. लेकिन क्योंकि इंसान से इंसान में कोई टिकाऊ संक्रमण नहीं रहा है, लिहाजा बर्ड फ्लू से इंसानों में संक्रमण का खतरा कम है.
बर्ड फ्लू के कुछ ज्यादा खतरनाक वायरसों में, नयी पशुजन्य बीमारियां पैदा करने की क्षमता बढ़ी हुई होती है. ऐसी बीमारियां जानवरों से इंसानों में और इंसानों से जानवरों में फैलती हैं. टिम हार्डर कहते हैं कि "बेशक इंसानों में ज्यादा व्यापक अनुकूलन के लिए वायरसों के सामने असंख्य बाधाएं मौजूद हैं, फिर भी मिंक को संक्रमित करने वाले वायरस म्युटेशनों का आगे भी अध्ययन और आकलन करते रहना होगा."
कैसे बनता है कोई निर्दोष वायरस खतरनाक
पशु व्यवहार पर माक्स प्लांक संस्थान में पक्षीविज्ञानी, वोल्फगांग फीडलर कहते हैं कि लंबे समय तक मुर्गाबी (जलपक्षी) में इंफ्लुएंजा वायरस पनपता रहा था, लेकिन उसके शुरुआती स्ट्रेनों से रोग कम फैलता था. वायरस ज्यादा संक्रामक या नुकसानदायक नहीं थे. वे बताते हैं कि जंगली पक्षियों के लिए निर्दोष ये वायरस जब फैक्ट्री पोल्ट्री फार्मों में पनपने लगे, जहां हजारों पक्षियों को एक साथ सिकुड़ी हुई जगह में कस कर रखा जाता है, तो बीमारी तेजी से फैली और वायरस में म्युटेशन भी होने लगे.
नतीजा था, वायरस के अधिक संक्रामक स्ट्रेन एच5एन1 और एच5एन8. एवियन इंफ्लुएंजा और जंगली पक्षियों पर संयुक्त राष्ट्र के स्पेशल टास्क फोर्स के मुताबिक ये स्ट्रेन बहुत मुमकिन है कि पूर्वी एशिया के पोल्ट्री फार्मों से निकले थे. फार्मों की बतखों में जंगली पक्षियों से संक्रमित होने की आशंका रहती है. फीडलर उदाहरण देते हुए बताते हैं कि बतखें, "सुअरों के साथ रखी जाती हैं," जिससे म्युटेशन की आशंका बढ़ जाती है. पशुपालन के ऐसे तरीके "इस किस्म के वायरस को मजे से पनपने का खुला मौका देते हैं."
संयुक्त राष्ट्र की बर्ड फ्लू पर स्पेशल टास्क फोर्स के मुताबिक, दरअसल रोग फैलाने वाले उच्च स्तर के वायरस स्ट्रेन का संक्रमण, "सघन घरेलू मुर्गीपालन और उसके व्यापार और बाजार पद्धतियों" से ही खासतौर पर जुड़ा होता है. "दूषित पोल्ट्री, पोल्ट्री उत्पाद और बेजान चीजों के जरिए ये संक्रमण फैलता है." वायरोलजिस्ट टिम हार्डर के मुताबिक संक्रामक एच5एन1 और एच5एन8 वायरस स्ट्रेन संक्रमित मुर्गियों के जरिए जंगली पक्षियों में जाता है. प्रवासी पक्षियों के साथ वायरस लंबी दूरियों तक पहुंच सकते हैं.
बर्ड फ्लू संक्रमण से हुआ कितना नुकसान
यूरोपीय संघ के यूरोपीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण के मुताबिक, मौजूदा बर्ड फ्लू संक्रमण यूरोप में अब तक का सबसे बड़ा है. अक्टूबर 2021 से सितंबर 2022 के बीच 37 देशों में पांच करोड़ फार्म पक्षियों को मारना पड़ा. जंगली परिंदों में संक्रमण के 3800 से ज्यादा मामले पाए गए. जानकार मानते हैं कि ऐसे मामलों की संख्या और भी ज्यादा होगी जो रिपोर्ट नहीं हो पाए.
हाल तक, बर्ड फ्लू शरद और शीत ऋतुओं में ही मुख्यतः होता था. लेकिन हार्डर कहते हैं कि "अब वायरस गर्मियों में भी जंगली पक्षियों के बीच फैल रहा है." वे कहते हैं कि अपेक्षाकृत गरम महीनों में परिंदे बड़े सामूहिक ठिकानों में पास पास ब्रीडिंग करते हैं और उससे वायरस को पनपने के लिए आदर्श स्थितियां मिल जाती हैं. बर्ड फ्लू की लहर शरद में पहली बार दक्षिण अमेरिका भी पहुंच गई. पेरु, वेनेजुएला, इक्वाडोर और कोलम्बिया जैसे देश प्रभावित हुए. होंडुरास में एक सप्ताह में ही 240 से ज्यादा पेलिकन मरी हुई पाई गईं.
हार्डर कहते हैं कि उनकी चिंता ये है कि वायरस दक्षिण अमेरिका से अंटार्कटिक तक चला गया तो पेंग्विनों के लिए खतरा बन सकता है. अभी अंटार्कटिक के अलावा, सिर्फ ऑस्ट्रेलिया ही इस वायरस से बचा हुआ है. पक्षियों में तीव्र संक्रमण के बावजूद, हार्डर को उम्मीद की एक किरण नजर आती है. वो ये कि, वायरस का ये व्यापक फैलाव, जंगली परिंदों में इम्युनिटी को प्रोत्साहित कर सकता है. जीवित पशुओं में एंटीबॉडीज मिलने ही लगी हैं.