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मिसाइल डिफेंस सिस्टम की सीमाएं

फाबियान श्मिट | ओंकार सिंह जनौटी
२८ अप्रैल २०१७

अमेरिकी सेना दक्षिण कोरिया में THAAD मिसाइल डिफेंस सिस्टम सेट कर रही है. कहा जा रहा है कि यह हमलावर मिसाइलों का पता लगाएगा और उन्हें हवा में खत्म कर देगा. लेकिन क्या यह दावे 100 फीसदी सच हैं?

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Infografik THAAD Flugabwehrraketensystem ENG

सैन्य परेड और अपने पूर्व शासक की स्मृति में जब उत्तर कोरिया ने विशाल मिसाइलें दिखायीं तो किसी को पता नहीं था कि इन मिसाइलों के कवच के भीतर आखिर क्या है. लेकिन उत्तर कोरिया के शो ने जरूरी संदेश दे दिया. जता दिया कि वह मिसाइल तकनीक में काफी आगे निकल चुका है.

उत्तर कोरिया ने 2016 में एक उपग्रह को कक्षा में छोड़ा था. यह भी सबको पता है कि वह कई बार पनडुब्बी से तमाम छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलें फायर कर चुका है. लेकिन यह अब भी साफ नहीं हुआ है कि क्या उत्तर कोरिया मिसाइलों को परमाणु हथियारों से लैस कर सकता है. इन सवालों पर अंदाजा ही लगाया जा सकता है. लेकिन एक बात तय है कि खतरा स्पष्ट है और बड़ा है.

Nordkorea provoziert mit weiterem Raketentest
तस्वीर: Gettty Images/AFP/E. Jones

मिसाइल डिफेंस सिस्टम की मदद

नाटो का पैट्रियट सिस्टम साबित कर चुका है कि वह हमलावर मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर सकता है. 1991 में खाड़ी के दूसरे युद्ध के दौरान इस डिफेंस सिस्टम ने सोवियत स्टाइल के कई स्कड रॉकेटों को हवा में मार गिराया. ये रॉकेट सद्दाम हुसैन ने सऊदी अरब और इस्राएल के लिए छोड़े थे.

लेकिन इसे बड़ी सफलता नहीं कहा जा सकता. ज्यादातर रॉकेट इस सिस्टम को चकमा देकर आगे बढ़े. सिस्टम की सफलता को लेकर कई तरह की रिपोर्टें हैं. कुछ इसकी सफलता को 40 फीसदी आंकती हैं तो कुछ 80 प्रतिशत. स्कड मिसाइलें 500 किलोमीटर से 1,000 किलोमीटर की रेंज में वार करने वाली शॉर्ट रेंज की बैलेस्टिक मिसाइल थीं.

खाड़ी युद्ध के उस अनुभव के बाद इस्राएल ने अपना मल्टी लेयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम बनाना शुरू किया. अब आयरन डोम इस्राएल की हवाई सुरक्षा का केंद्र बिंदु है. यह 5 से 70 किलोमीटर दूर से छोड़ी गयी मिसाइल को भी इंटरसेप्ट कर लेता है. 2012 से 2014 के बीच गजा से बड़े पैमाने पर रॉकेट छोड़े गये. इस्राएली डिफेंस फोर्सेस के मुताबिक आयरन डोम सिस्टम 2,968 में 547 मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर पाया.

पैट्रियट सिस्टम मिडियम रेंज की मिसाइल को इंटरसेप्ट करता है, यानि 800 से 5,500 किलोमीटर की दूरी से छोड़ी गई मिसाइलों को. इसकी तुलना यूरोपियन मिडियम एक्सटेंडेड एयर डिफेंस सिस्टम (MEADS) और अमेरिका के टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) से की जा सकती है.

Infografik MEADS - Verknüpfung mit anderen Verteidigungssystemen DEU
मिडियम एक्सटेंडेड एयर डिफेंस

इन सिस्टमों के नाम भले ही अलग अलग हों, लेकिन सब एक ही बेसिक तकनीक का सहारा लेते हैं. सभी जमीन, हवा और समुद्र में तैनात बहुत ही सटीक रडार डाटा का इस्तेमाल करते हैं. रडार सिस्टम फायर की गई मिसाइल की पहचान करते हैं और 3डी में उनके फ्लाइट पाथ की सटीक गणना करते हैं. कंप्यूटर यह भी बता देता है कि कौन सी मिसाइल खतरा बन सकती है और कौन सी नहीं. इसी गणना के आधार पर सिस्टम बताता है कि किस मिसाइल को सबसे पहले हवा में खत्म किया जाना चाहिए. खाली जमीन या समुद्र में गिरने वाले मिसाइलों को छोड़ दिया जाता है. लेकिन अगर कोई मिसाइल शहर की तरफ बढ़े तो डिफेंस सिस्टम एक इंटरसेप्टर मिसाइल छोड़ता है.

पुरानी इंटरसेप्टर मिसाइलों में विस्फोट होते थे. हमलावर मिसाइल के पास पहुंचने के बाद इंटरसेप्टर मिसाइल फट जाती थी. इस तरह की मिसाइलों को शॉर्ट और शॉर्ट मीडियम रेंज की मिसाइलों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता था.

लेकिन सन 2000 के बाद यह तरीका बदल गया. पश्चिम की सेनाओं ने बिना विस्फोटक वाली इंटरसेप्टर मिसाइलों का इस्तेमाल शुरू किया. इन्हें लंबी दूरी की मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने के लिए खास तौर पर बनाया गया.

अमेरिका फिलहाल दक्षिण कोरिया में जो THAAD सिस्टम लगा रहा है, उसमें ऐसी उन्नत किस्म की मिसाइलें हैं. उन्हें 'हिट टू किल' कहा जाता है. सबसे पहले इन मिसाइलों को एक रॉकेट के जरिये वायुमंडल के बाहर भेजा जाता है. रॉकेट से अलग होने के बाद ये मिसाइलें, हमलावर मिसाइलों की तरफ बढ़ती है और उन्हें खत्म कर देती है. हिट टू किल मिसाइल अपना लक्ष्य ना चूकें, यह पक्का करने के लिए खास इंतजाम किया जाता है. मिसाइल में एक छोटा सा इंजन लगा होता है जो मिसाइल को सही रास्ता दिखाता है.

Infografik MEADS Flugabwehrraketensystem Englisch

लेकिन असली हालात में मीडियम और इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइलों के ट्रेस करने वाले इस सिस्टम का परीक्षण अभी तक नहीं हुआ है. कारण साफ है, परमाणु हथियार ले जाने वाली इन मिसाइलों का इस्तेमाल द्वीतीय विश्वयुद्ध के बाद से अब तक किसी ने नहीं किया है. हालांकि परीक्षणों के दौरान इस सिस्टम ने मध्यम दूरी की मिसाइलों को हवा में मार गिराया. आम तौर पर मध्यम दूरी की मिसाइलें धरती से 150 किलोमीटर ऊपर उड़ान भरती हैं. वे धरती के वायुमंडल से बाहर निकलती हैं और फिर उसमें दाखिल होती हैं. वहीं एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक मार करने वाले इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइलें 400 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकती हैं. उतनी ऊंचाई पर वे 3,000 से 14,000 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार हासिल कर सकती हैं.

ऐसी तेज रफ्तार मिसाइलों को मार गिराने के लिए बहुत ही अचूक होना पड़ता है. माना जाता है कि THAAD सिस्टम ऐसी इंटरनकॉन्टिनेंटल मिसाइलों को हिट करने लायक है.

खतरनाक मल्टी वॉरहेड

मिसाइल डिफेंस सिस्टम के बेहतर होने से साथ साथ मिसाइल तकनीक भी बदली है. अब मल्टीपल इंडिपेंडेंटली रिएंट्री व्हिकल्स बनाये जा रहे हैं. यह व्हिकल एक विशाल मिसाइल को धरती के वातावरण के बाहर छोड़ता है. फिर मिसाइल वायुमंडल से ही अलग अलग निशानों पर बम गिराती है. इस तरह के हमलों को रोकने वाली तकनीक अभी किसी देश के पास नहीं है. कई कंपनियां ऐसे व्हिकल को खत्म करने वाले इंटरसेप्टर बनाने पर काम कर रही हैं.

एक बात साफ है कि मिसाइलें इंसान के सबसे बड़ा खतरा बनी हुई हैं. कोई सिस्टम अगर उन्हें हवा में खत्म करने में पूरी तरह सफल भी हो, तो भी विस्फोटकों से ओवरलोड मिसाइल धरती और आकाश में व्यापक तबाही मचाएगी.

(सबसे लंबी मारक क्षमता वाली मिसाइलें)

रिपोर्ट: फाबियान श्मिट/ओएसजे