मिस्र पर दबाव
अरब वसंत के बाद बहुमत से निर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को हटाकर सत्ता में आए पूर्व जनरल अल सिसी नया चुनाव करा कर राष्ट्रपति तो बन गए हैं लेकिन देश की जनता और लोकतांत्रिक विश्व समुदाय को अपने पीछे नहीं कर पाए हैं.
मुश्किल विरासत
अल सिसी ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले एक बड़े देश मिस्र को इस्लामी कट्टरपंथ के हाथों जाने से रोक तो लिया है लेकिन लोकतंत्र समर्थकों के बीच अपनी साख नहीं बना पाए हैं. लोकतंत्र समर्थकों पर अत्याचार के कारण उनकी दुनिया भर में आलोचना होती है.
सैनिक अतीत
पूर्व जनरल अब्देल फतह अल सिसी का चुनावों में चुना जाना ही उन्हें लोकतांत्रिक नहीं बनाता. लोग भूले नहीं हैं कि सेना प्रमुख निर्वाचित राष्ट्रपति को पद से हटाकर सत्ता में आए और अभी भी देश में विरोध की आवाज को कुचल रहे हैं.
फांसी की सजा
लोकप्रिय बहुमत से चुने गए पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को पिछले दिनों मिस्र की एक अदालत ने एक पुराने मामले में फांसी की सजा सुनाई. अमेरिका सहित कई देशों की सरकारों ने मिस्री न्यायपालिका के इस फैसले की आलोचना की.
टली सजा
जर्मनी दौरे पर आए राष्ट्रपति अल सीसी को मृत्युदंड पर कड़ा ऐतराज सहना पड़ा. हालांकि मैर्केल और अल सीसी की मुलाकात से एक दिन पहले ही मिस्र की एक अदालत ने मुर्सी और दूसरे शीर्ष मुस्लिम ब्रदरहुड नेताओं दी गई मौत की सजा पर अंतिम फैसला आगे के लिए स्थगित कर दिया.
सींखचों के पीछे
मामला 2011 में जेल से फरार होने का है. इस मामले में अदालत में राष्ट्रपति मुर्सी और मुस्लिम ब्रदरहुड के करीब 100 नेताओं को फांसी की सजा सुनाई है. यहां फैसला सुनाए जाने के बाद ब्रदरहुड के प्रमुख नेता खैरात अल शतर की प्रतिक्रिया.
लैंगिक आजादी
मिस्र में 2011 की क्रांति के बाद से बहुत सारे बदलाव आए हैं. अरब वसंत के केंद्र रहे तहरीर स्क्वायर में महिलाओं के साथ बदतमीजी के मनोवैज्ञानिक असर से निबटने के लिए युवा लोगों ने "क्या मैं आपको एक फूल दे सकती हूं" अभियान चलाया है.
यूरोप में प्रदर्शन
जर्मनी में मिस्री राष्ट्रपति अल सिसी के यूरोप दौरे के मौके पर विभिन्न शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं. फ्रैंकफर्ट में ब्रदरहुड के नेताओं को फांसी की सजा का विरोध और लोकतांत्रिक अधिकारों की मांग करते प्रदर्शनकारियों ने मिस्री कंसुल के सामने प्रदर्शन किया.
आयरलैंड में प्रदर्शन
आयरलैंड में भी लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए मिस्री दूतावास के सामने प्रदर्शन हुआ. आयरिश नागरिक इब्राहिम हलावा बोलने और प्रदर्शन के अधिकार के इस्तेमाल के कारण मिस्र में कैद हैं. प्रदर्शन में इब्राहिम हलावा की तीन बहनों ने भी हिस्सा लिया.
रिहाई
एक्टिविस्ट मोहम्मद सोल्तान इस तस्वीर में जेल में 270 दिनों की भूख हड़ताल के बाद दिख रहे हैं. उनके खिलाफ मीडिया को गलत सूचना देने के आरोप में मुकदमा चल रहा था. 400 दिनों के अनशन के बाद उन्हें रिहा कर अमेरिका भेज दिया गया है.