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मुंबई हमलाः पाकिस्तानी कोर्ट में फिर टली सुनवाई

९ अप्रैल २०११

पाकिस्तान की एक आतंकवाद निरोधी अदालत ने मुंबई हमलों में शामिल होने के संदिग्ध जकीउर रहमान लखवी और छह दूसरे लोगों के खिलाफ सुनवाई 16 अप्रैल तक टाल दी है. बचाव पक्ष ने कोर्ट में सुनवाई जल्दी करने की अपील की है.

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तस्वीर: AP

अभियोजन पक्ष हमलों की साजिश रचने वालों के खिलाफ चल रहे मुकदमे में में अजमल आमिर कसाब और संदिग्ध आतंकवादी फहीम अंसारी को भी शामिल करना चाहता है. बचाव पक्ष ने अभियोजन पक्ष की इसी कोशिश के जवाब में ये याचिका दायर की. अजमल आमिर कसाब मुंबई हमलों के दौरान पकड़ा गया एकमात्र जिंदा आतंकवादी है. अंसारी और कसाब फिलहाल दोनों भारत सरकार की हिरासत में हैं.

Ajmal Qasab Mumbai Terror
तस्वीर: AP

शनिवार को चली सुनवाई के दौरान रावलपिंडी की अदालत में जज राणा निसार अहमद ने पाकिस्तान में मौजूद सातों संदिग्धों के बारे में बचाव पक्ष की दलीलें सुनी. मुकदमे की सुनवाई कड़ी सुरक्षा वाली अदियाला जेल हो रही है. सुरक्षा कारणों से सुनवाई के दौरान अदालत के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं.

अभियोजन पक्ष के वकील चौधरी जुल्फिकार फेडरल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी की तरफ से पेश हुए और मामले को अगली सुनवाई के लिए टालने की अपील की. उनका कहना था कि अगली सुनवाई पर चौधरी अजहर हाजिर होंगे और इस मामले में अपनी दलील पेश करेंगे. इसके बाद जज ने मामले की सुनवाई 16 अप्रैल तक के लिए टाल दी. बचाव पक्ष ने याचिका दायर कर मामले की सुनवाई जितनी जल्दी हो सके करने की अपील की है. बचाव पक्ष चाहता है कि जल्दी से आरोपियों के खिलाफ सबूत दर्ज कर लिए जाएं.

बचाव पक्ष की दलील है कि किसी भी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक से ज्यादा बार सजा नहीं दी जा सकती. बचाव पक्ष के वकील शहबाज राजपूत ने बताया कि कसाब को मुंबई हमलों में उसकी भूमिका के लिए भारत की अदालत पहले ही दोषी ठहरा कर मौत की सजा सुना चुकी है. इसी अदालत ने फहीम अंसारी को आरोपों से मुक्त कर दिया. हालांकि फहीम अंसारी इसके बावजूद फिलहाल हिरासत में ही है.

बचाव पक्ष की दलील है कि अभियोजन पक्ष कसाब और अंसारी को गवाह के रूप में पेश करना चाहता है जो उसकी पहुंच से बाहर हैं. उनकी दलील है कि अभियोजन पक्ष की इस कोशिश के कारण मुकदमे की सुनवाई अनावश्यक रूप से खींच रही है. सातों संदिग्धों के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई तकनीकी कारणों के आधार पर लगातार टलती जा रही है. इस मामले में जज को तीन बार बदला जा चुका है है 160 से ज्यादा गवाहों में से अब तक केवल एक गवाह की पेशी हो सकी है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः उभ

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