मुरसी के सामने बड़ा संकट
२ जुलाई २०१३मिस्र के राष्ट्रपति ने फिलहाल सेना की मांग को खारिज कर राष्ट्रीय सहमति के लिए खुद की योजना पर चलने की बात कही है. सेना ने 48 घंटे में लोगों की मांग पूरी न होने पर मामले में दखल देने की चेतावनी दी है. राष्ट्रपति कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि सेना के एलान को मंजूरी नहीं दी गई है. इससे उलझन होगी और राष्ट्रपति आम सहमति के लिए अपने रास्ते पर चलेंगे. इस बीच मिस्र की सरकारी समाचार एजेंसी मीना ने खबर दी है कि विदेश मंत्री मुहम्मद कामेल अम्र ने इस्तीफे की पेशकश की है.
उधर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मुहम्मद मुरसी से कहा है कि वह उन्हें हटाने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों की चिंताओं पर ध्यान दें. अमेरिकी राष्ट्रपति के दफ्तर व्हाइट हाउस ने बयान जारी कर इस बात की पुष्टि की है कि अफ्रीका दौरे पर गए बराक ओबामा ने मुरसी से फोन पर बात की है. बयान के मुताबिक ओबामा ने मुरसी से कहा कि अमेरिका मिस्र में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए प्रतिबद्ध है और किसी एक पार्टी या गुट के लिए नहीं. ओबामा ने यह भी साफ किया है कि मौजूदा समस्या का हल सिर्फ राजनीतिक प्रक्रिया के जरिए ही निकाला जा सकता है.
मिस्र में लोगों का असंतोष बढ़ने के बाद सड़कों पर निकलने के साथ ही सेना की तरफ भी नजरें उठने लगी थीं. रक्षा मंत्री अब्देल फतह अल सिसी ने इसे भांप कर राष्ट्रपति कार्यालय को 48 घंटे का अल्टीमेटम दे दिया. हजारों लोग काहिरा के तहरीर चौक और राष्ट्रपति भवन के बाहर जमे हुए हैं. रविवार को बड़ी भारी संख्या में लोग राष्ट्रपति को हटाने की मांग के साथ सड़कों पर उतरे.(धीर धरे मिस्र की जनता)
रक्षा मंत्री अल सिसी ने इससे पहले मुरसी के समर्थकों और विरोधियों के बीच सहमति के लिए एक हफ्ते का समय दिया था. वह समय भी पिछले हफ्ते पूरा हो गया लेकिन सहमति नहीं बनी. रक्षा मंत्री ने कहा, "पूरा हफ्ता बिना किसी कार्रवाई या हरकत के ही बीत गया, जिसके कारण लोग आजादी की मांग के साथ सड़कों पर उतर आए." हालांकि इस बयान से यह साफ नहीं है कि सेना स्थिति को सुधारने के लिए किस हद तक दखल देगी. 2011 में राष्ट्रपति मुबारक के हटने के बाद से ही देश अस्थिरता और अनिश्चितता में घिरा हुआ है.
सेना के प्रवक्ता ने इस बात से इनकार किया है कि रक्षा मंत्री का बयान सैन्य तख्तापलट का संकेत है, बल्कि इसे राजनीतिक प्रक्रिया के लिए दबाव बनाने की कोशिश कहा. हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि सेना का बयान इतना साफ और सादा नहीं है. यूनिवर्सिटी ऑफ एग्जेटर में मिडिल ईस्ट स्टडीज के निदेशक ओमर अशूर मानते हैं, "बयान साफ नहीं है, यह साफ नहीं किया गया है कि वो उन्हें हटाने के अलावा और क्या कर सकते हैं. माना जा सकता है कि वो समझौते की कोशिश से रोकने वालों के खिलाफ होंगे लेकिन यह साफ नहीं है कि सेना के पास इसके लिए क्षमता या इच्छा है या नहीं." मिस्र की विपक्षी पार्टियों ने साफ किया है कि वह सैन्य तख्तापलट का साथ नहीं देंगे.
सेना के एलान के बाद प्रदर्शनकारियों ने जश्न मनाया. लोग खुशी से झूम उठे, आतिशबाजी हुई, राष्ट्रगान गाया गया और सेना के कम से कम पांच हेलिकॉप्टरों ने शहर के ऊपर से मिस्र के झंडे के साथ उड़ान भरी. उधर मुरसी के समर्थकों का जत्था भी पूर्वी काहिरा की एक मस्जिद के सामने धरने पर बैठा है. इनकी मांग है कि मुरसी चार साल का अपना कार्यकाल पूरा करें. इस्लामियों ने सेना के बयान को खारिज कर दिया है और, "लोकतांत्रिक तरीके से चुनी वैधता" का सम्मान करने की मांग की है. इन लोगों ने मुरसी के समर्थकों से देश भर में सड़कों पर उतरने की अपील की है.
एनआर/एजेए (डीपीए, रॉयटर्स, एएफपी)