मैला ढोआई के धुर विरोधी को रमन मैग्सेसे पुरस्कार
२७ जुलाई २०१६इन दो भारतीय विजेताओं के अलावा 2016 के रमन मैग्सेसे पुरस्कार के चार अन्य विजेता भी हैं. फिलिपींस के कॉन्चिता कार्पियो-मारालेस, इंडोनेशिया के डोम्पेट धुआफा, जापान ओवरसीज कोऑपरेशन वॉलंटियर्स और 'लाओस के वीनटियाने रेस्क्यू को भी सम्मानित पुरस्कार से नवाजा गया है.
दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक में जन्मे विल्सन सफाई कर्मचारी आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक हैं और उन्हें "गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार" दिलाने के लिए संघर्ष करने के लिए यह सम्मान दिया गया है.
50 वर्षीय विल्सन के लिए लिखा गया उद्धरण कहता है, "मैला ढोना भारत में मानवता के नाम पर कलंक है. समाज में दलितों की संरचनात्मक असमानता से जुड़ा है. भारत के 'अछूत' मैला ढोने के इस काम में सूखे शौचालयों से मानव मल को इकट्ठा करने का काम अपने हाथों से करते हैं और फिर उसे अपने सिर पर टोकरी में रख उसके निबटारे की जगह तक ले जाते हैं."
पुरस्कार से सम्मानित किए जा रहे विल्सन का जन्म खुद भी एक ऐसे दलित परिवार में हुआ था, जो कर्नाटक की मशहूर कोलार सोने की खान वाले इलाके की टाउनशिप में मैला ढोने का काम करता था. उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले विलसन अपने परिवार के पहले सदस्य थे.
स्कूल में विल्सन के साथ एक अछूत जैसा बर्ताव होता था. इससे बहुत नाराज और आहत होने वाले विलसन ने अपना गुस्सा मैला ढोने की परंपरा के जड़ से उन्मूलन के अभियान में लगा दिया. करीब 32 सालों से जारी उनके अभियान में सारा जोर मानव गरिमा के जन्मसिद्ध अधिकार को सबसे ऊपर रखने पर है.
मैला ढोना एक वंशानुगत पेशा है. इस काम में करीब 180,000 दलित परिवार लगे हैं, जो भारत के 790,000 सार्वजनिक और निजी सूखे शौचालय साफ करते हैं. इनमें से 98 फीसदी लोग ऐसी महिलाएं और लड़कियां हैं जिन्हें बहुत कम मेहनताना दिया जाता है. संविधान और कई कानूनों के अंतर्गत सूखे शौचालयों पर रोक है और मैनुअल स्कैवेंजिंग की नौकरी पर रखे जाने पर भी. लेकिन चूंकि सरकार खुद इसका सबसे ज्यादा उल्लंघन करती है, ये खत्म नहीं हुआ है.
सन 1957 से ही रमन मैग्सेसे पुरस्कार दिए जा रहे हैं. इसे एशिया का सर्वोच्च पुरस्कार या एशियाई नोबेल पुरस्कार भी कहा जाता है. यह सम्मान फिलिपींस के तीसरे राष्ट्रपति रमन मैग्सेसे के नेतृत्व वाली भूमिका की स्मृति में दिया जाता है. हर साल एशिया के कुछ व्यक्ति या संगठन चुने जाते हैं जिन्होंने समाज में महत्वपूर्ण बदलाव लाने के लिए निस्वार्थ सेवा की हो.