म्यांमार के चुनावी समर में सू ची का कदम
१८ जनवरी २०१२इसी साल एक अप्रैल को होने वाले चुनाव में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंग सान सूची की भी दावेदारी होगी. नई सरकार के देश की हालत को सुधारने की दिशा में उठाए गए ताजा कदमों के बाद हो रहे इस चुनाव से सत्ता पर लोगों के भरोसे की परीक्षा होगी.
म्यांमार में लोकतंत्र की इस प्रबल पैरोकार सू ची को 2010 के आखिर में नजरबंदी से रिहा किया गया. आंग सान सूची ने यंगून के नजदीक ग्रामीण इलाके कावहमु से अपना पर्चा दाखिल किया है. ये इलाका 2008 में आए नर्गिस तुफान का निशाना बना था.
आंग सान सू ची की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी, एनएलडी के वरिष्ठ नेता विन ह्ताइन ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "आंग सान सूची एनएलडी से पर्चा दाखिल करने वाली पहली सदस्य हैं. वो संसद के निचले सदन के लिए चुनाव लड़ने जा रही हैं." 66 साल पुरानी एनएलडी को चुनाव लड़ने की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है. सत्ता और विपक्ष के बीच हुई बातचीत और देश में राजनीतिक सुधार की दिशा में उठाए गए कदमों के तहत यह हुआ. 2010 में एनएलडी की कानूनी मान्यता छीन ली गई थी जिसके बाद उसने उसी साल नवंबर में हुए विवादित राष्ट्रीय चुनावों का भी बहिष्कार किया. एनएलडी ने आरोप लगाया कि नियम कानून गलत तरीके से लागू किए गए.
इन्हीं चुनावों में सेना के समर्थन वाले गठबंधन दल ने भारी जीत हासिल की हालांकि उन पर चुनाव में धोखाधड़ी के आरोप भी लगे और पश्चिमी देशों ने उनकी आलोचना करते हुए म्यांमार पर प्रतिबंध लगा दिया. संसद की करीब एक चौथाई सीटों पर सेना के अधिकारियों को बिना चुनाव के बिठा दिया गया. सिर्फ इतना ही नहीं, सैनिक अफसरों से भरी यूनियन सोलिडैरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी ने बाकी बची सीटों के करीब 80 फीसदी हिस्से पर कब्जा कर लिया.
करीब दो दशक तक कैद में रहने के बाद सूची को इन चुनावों के कुछ ही दिन बाद रिहा किया गया. सत्ता में आने के बाद पूर्व जनरलों के प्रभुत्व और सेना के समर्थन वाली सरकार ने कई सुधारवादी कदम उठाए. प्रमुख रूप से विरोधियों को मनाने और पश्चिमी देशों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए इन कदमों को उठाया गया. इनमें सैकड़ों राजनीतिक कैदियों की रिहाई, विपक्ष के साथ बातचीत, लोगों को नापसंद मेगा डैम परियोजना पर रोक और हथियारबंद अल्पसंख्यक विद्रोहियो से शांति के लिए बातचीत शामिल है. एनएलडी ने 1990 के चुनावों में भारी जीत हासिल की थी, लेकिन इसके बाद सू ची को नजरबंद कर दिया गया और पार्टी को सत्ता नहीं सौंपी गई.
अप्रैल में कुल 48 सीटों पर चुनाव होने जा रहे है. इससे सत्ताधारी पार्टी को चुनौती देने लायक ताकत तो नहीं मिल पाएगी, लेकिन सूची की इसमें भागीदारी से लोगों का भरोसा संसदीय व्यवस्था में जरूर मजबूत होगी. सत्ताधारी पार्टी से जुड़े एक बड़े नेता ने दावा किया है कि अप्रैल के चुनाव पूरी तरह से लोकतांत्रिक होंगे और देश अब इसी राह पर आगे बढ़ेगा. निचले सदन के स्पीकर श्वे मान ने कहा है, "मैं गारंटी देता हूं कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होंगे."
पिछले हफ्ते सू ची ने भी ऐसे संकेत दिए कि वो सरकार का हिस्सा बन सकती हैं पर उन्होंने कहा, "सब कुछ परिस्थितियों पर निर्भर करेगा." अप्रैल के चुनाव उन सीटों को भरने के लिए हो रहे हैं जो लोगों के सरकार में मंत्री या उप मंत्री बनने की वजह से खाली हुए हैं.
रिपोर्टः एएफपी/एन रंजन
संपादनः एम गोपालाकृष्णन