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म्यामांर में फिर भड़के क्रूर दंगे

२७ अक्टूबर २०१२

म्यांमार में मुसलमानों के खिलाफ फिर दंगे भड़के. ताजा हिंसा में अब तक दो समुदायों के 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. ह्यूमन राइट्स वॉच ने म्यांमार से कहा कि वो रोहिंग्या मुसलमानों की हिफाजत करे.

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तस्वीर: CHRISTOPHE ARCHAMBAULT/AFP/Getty Images

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकर संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर फौरन हालात काबू नहीं किए गए तो स्थिति बदतर हो जाएगी. एचआरडब्ल्यू ने म्यांमार से दंगों का मुख्य कारण सुझलाने को कहा है. रखिन राज्य में इसी हफ्ते बौद्धों और रोहिंग्या मुसलमानों के बीच दंगे भड़के. दंगाइयों ने हजारों घरों को फूंक दिया. हजारों लोग जान बचाने के लिए परिवार समेत भाग गए हैं.

एचआरडब्ल्यू के एशिया निदेशक फिल रॉबर्टसन के मुताबिक वहां 'क्रूर हमले' हो रहे हैं. उन्होंने म्यांमार सरकार से मांग की है कि वह पीड़ित मुसलमानों और बौद्धों को सुरक्षा मुहैया कराए. रॉबर्टसन ने कहा, "जब तक प्रशासन हिंसा के मूल कारण को नहीं सुलझाएगा, हालात खराब होते जाएंगे."

Myanmar Gewalt zwischen Rohingya Muslime und Buddhisten
तस्वीर: Reuters

इलाके में कर्फ्यू है लेकिन इसके बावजूद पांच शहरों में रात में हिंसा हुई है. ह्यूमन राइट्स वॉच ने उपग्रह से ली गई तस्वीरों को भी दुनिया के सामने रखा गया है. क्योकप्यू के रोहिंग्या बहुल इलाके में घरों और सम्पत्ति की भीषण तबाही दिख रही है. एचआरडब्ल्यू के मुताबिक तटीय इलाके में 633 इमारतें और 178 हाउसबोटें फूंक दी गईं. तस्वीरें 9 और 25 अक्टूबर को ली गई. 9 अक्टूबर की तस्वीरों में सैंकड़ों घर और नावें दिख रही हैं, जबकि बाद में ली गई फोटो में सिर्फ तबाही दिख रही है. करीब 35 एकड़ जमीन पर तो सब तहस नहस दिख रहा है.

मृतकों की संख्या को लेकर भी स्थिति साफ नहीं है. शनिवार को सरकारी मीडिया ने कहा कि ताजा हिंसा में 67 लोग मारे गए हैं. इससे एक दिन पहले शुक्रवार को रखिन राज्य के प्रवक्ता ने 100 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबर दी. हालांकि शनिवार को प्रवक्ता ने कहा कि उनसे गिनती में गलती हुई.

Myanmar Birma Unruhen
तस्वीर: Reuters

एचआरडब्ल्यू के मुताबिक, "वहां से भाग रहे चश्मदीद जो आरोप लगा रहे हैं और मृतकों की सही जानकारी छुपाने की सरकार की पुरानी आदत को देखते हुए डर है कि कहीं मृतकों की संख्या बहुत ज्यादा न हो."

एक सिरे पर बांग्लादेश की सीमा से सटे म्यांमार के दक्षिणपूर्वी तटीय इलाके में स्थानीयता का मुद्दा पेचीदा है. ज्यादातर लोग और सरकार देश के 8,00,000 रोहिंग्या मुसलमानों को अवैध तरीके से आए बांग्लादेशी की नजर से देखते हैं. उन्हें म्यांमार की नागरिकता भी हासिल नहीं है. रोहिंग्या बांग्लादेश वाली बंगाली भाषा बोलते हैं. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक रोहिंग्या धरती पर सबसे ज्यादा सताए हुए अल्पसंख्यक हैं.

इस हिंसा का आंच बांग्लादेश तक भी पहुंच चुकी है. जून में शुरू हुए दंगों के बाद बदले की भावना से बांग्लादेश में मुसलमानों ने बौद्धों को खूब पीटा गया. अफवाहों के बीच म्यांमार सीमा से सटे इलाकों में एक दर्जन से ज्यादा बौद्ध मंदिर जला दिए गए.

दरअसल मई में रखिन में एक बौद्ध युवती की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई. इस कांड के बाद हिंसा शुरू हुई, जो दंगे में बदल गई. पुलिस ने बलात्कार और हत्या के आरोप में तीन मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार किया. ताजा हिंसा के कारणों का पता नहीं चला है. दोनों पक्ष एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.

इस बीच नावों से भागकर बांग्लादेश जाने वाले रोहिंग्या लोगों को मायूसी का सामना करना पड़ रहा है. बांग्लादेश के अधिकारी विस्थापितों को वापस लौटा रहे हैं. ढाका का कहना है कि वह अब किसी को शरण देने की स्थिति में नहीं है.

ओएसजे/एनआर (एएफपी)

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