युद्ध के दौर में भी क्या रूस के लोग मजे में हैं
३० मई २०२२बाल काटने वाली दुकान की चेन के मालिक ओलेक केचिन से जब रूस के आर्थिक मुश्किलों में घिरने की भविष्यवाणी के बारे में पूछा जाए तो उनका जवाब होता है कि बहुत ज्यादा बढ़ा-चढ़ा कर बोला गया, ऐसा कुछ नहीं है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भले ही यह वादा किया हो कि पश्चिमी देशों के प्रतिबंध रूस में आर्थिक तबाही लायेंगी, लेकिन केचिन का कारोबार अब भी अच्छे से चल रहा है. मॉस्को से करीब 510 किलोमीटर दूर सारांस्क में उनके दुकानों में ग्राहकों की कमी नहीं है.
केचिन कहते हैं, "ऐसा कोई बड़ा संकट नहीं है. आमतौर पर सब ठीक है, हर कोई खरीदारी की ताकत घटने की बात कर रहा है लेकिन मुझे तो नहीं दिखा."
कैसे हैं आर्थिक हालात
हालांकि अगर कुछ संकेतों पर भरोसा किया जाये तो ऐसा आत्मविश्वास मुमकिन है कि पूरी तरह से सही नहीं हो. बाहरी दुनिया के साथ रूस का कारोबार डूब गया है, ग्राहक पैसा खर्च नहीं करना चाह रहे और बुनियादी चीजों की बढ़ी कीमतें घरों का बजट निचोड़ रही हैं.
रूसी अधिकारी जोर दे कर कहते हैं कि अर्थव्यवस्था नीचे गिरने से बच गई है. केंद्रीय बैंक ने ब्याज दर में तीन फीसदी की कटौती कर गुरुवार को उसे 11 फीसदी पर ला दिया. इसके साथ ही इस साल महंगाई की दर के पूर्वानुमान 18-23 फीसदी में भी कमी की उम्मीद की जा रही है.
पूंजी पर नियंत्रण और निर्यातकों को ठोस मुद्रा में होने वाली अपनी आधी कमाई को बेच कर रूबल खरीदने के आदेश ने रूसी मुद्रा को काफी बल दिया है. प्रति डॉलर 66 पर खड़ी रूसी मुद्रा वास्तव में युद्ध शुरू होने से पहले के मुकाबले भी बहुत मजबूत स्थिति में है.
राष्ट्रपति व्लादिमीरपुतिन ने विदेशी कंपनियों के बाहर जाने के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया है. ये कंपनियां रूसी संपत्तियों को या तो औने पौने भाव में बेच कर या फिर वहीं छोड़ कर आई हैं. पुतिन का कहना है कि वैश्विक व्यापार से रूस को अलग-थलग नहीं किया जा सकता.
हालांकि सारे लोग यह नहीं मानते कि अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं होगा. मॉस्को में रहने वाले 25 साल के रोमान का कहना है कि मध्यमवर्गीय लोगों की जिंदगी पहले की तुलना में बहुत ज्यादा नहीं बदली है लेकिन वो कुछ चिंता बढ़ाने वाले संकेत दे रहे हैं. रोमान ने कहा, "एक चीज मुझे चिंता में डालती है...वो है रोजमर्रा की चीजों और यहां तक कि सब्जियों के दाम बढ़ना. मेरा ख्याल है कि यह इस बात का संकेत है कि अभी और बुरा होना बाकी है. इसके अलावा मेरे इलाके में श्रम बाजार की जो स्थिति है वो भी बहुत उम्मीद नहीं दे रही है." रोमान ने पहचान छिपाने के लिहाज से आग्रह किया कि उनका पूरा नाम ना छापा जाये.
'मांग का संकट'
कुछ संकेत रोमान की चिंता को उचित बताते हैं. वित्त मंत्रालय के शुरुआती आंकड़ों के हवाले से कोमरसांट डेली ने कहा है कि साल दर साल के आधार पर देखें तो अप्रैल में यह 54 फीसदी घट गया. वित्त मंत्री माक्सिम रेशेत्निकोव ने शुक्रवार को कहा कि व्यापार और ग्राहक खर्च में "मांग का संकट" है.
रूस ने वित्तीय मामलों से जुड़े ज्यादातर आंकड़ों का प्रकाशन बंद कर दिया है. हालांकि, स्थानीय कस्टम विभाग के आंकड़ों के आधार पर बैंक ऑफ फिनलैंड ने जो जानकारी जुटाई है वो दिखाते हैं कि आयात डूब गया है और यह सिर्फ पश्चिमी देशों से नहीं है. अप्रैल में चीन से रूस को होने वाला निर्यात भी लगभग एक-चौथाई कम हो गया जबकि वियतनाम, दक्षिण कोरिया, मलेशिया और ताइवान से तो यह आधे से भी ज्यादा घट गया.
वित्त मंत्री का कहना है कि उत्पादन करने वाले प्रतिबंधों के कारण टूटी सप्लाई चेन को दोबारा स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि अर्थव्यवस्था की "रीढ़ समझी जाने वाली कंपनियों" को वरीयता दे कर कर्ज देने के कार्यक्रम से जोड़ा जायेगा.
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हालांकि महंगाई अब भी 17 फीसदी से ज्यादा यानी दो दशकों के सबसे ऊंचे स्तर पर है. इसका मतलब है कि पुतिन ने पेंशन और न्यूनतम मजदूरी में जो 10 फीसदी की बढ़ोत्तरी का एलान किया है उसके बाद भी परिवारों को वास्तविक रूप में कमी का सामना करना होगा.
बढ़ती कीमतें शायद रूस की सबसे बड़ी समस्या नहीं हैं. मजबूत रूबल ने साप्ताहिक महंगाई में काफी कटौती की है लेकिन रूस के बढ़ते अकेलेपन से पैदा होने वाले आर्थिक उत्पादन पर जो खतरा मंडरा रहा है, उसको कम करना रूस के वश में नहीं.
इस बीच यूक्रेन में सैन्य अभियान के लिए पैसा देने के वजह से बजट पर दबाव बढ़ गया है. वित्त मंत्री एंटन सिलुआनोव ने शुक्रवार को कहा कि "विशेष सैन्य अभियान" के लिये रूस को "बड़े वित्तीय संसाधनों" की जरूरत है.
प्रोत्साहन के लिए धन
रूस ने बढ़े खर्चों को संभालने के लिए पहले ही अपने राष्ट्रीय संपत्ति कोष के घड़े में डुबकी मार ली है. आर्थिक मामलों के मंत्री ने बताया कि इसमें करीब 110 अरब डॉलर की तरल मुद्रा है जो इस साल 22 फीसदी ज्यादा है.
वित्त मंत्री का कहना है कि रूस ने करीब 123 अरब डॉलर की रकम मौजूदा परिस्थितियों में प्रोत्साहन के लिए निकाल कर रखे हैं. हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि इसमें नई मुद्रा कितनी और कितने समय के लिये है.
आर्थिक उत्पादन और नौकरियों पर कार बनाने वाली से लेकर बैंक तक की पश्चिमी कंपनियों के जाने का पूरा असर क्या होगा यह अभी देखा जाना बाकी है. जानकार आशंका जता रहे हैं कि अगले कुछ महीनों में इसका ज्यादा असर दिखना शुरू होगा.
मॉर्गन स्टैनले के अर्थशास्त्रियों ने घरेलू उपभोग में 13 फीसदी और निवेश में 23 फीसदी कमी की आशंका देख रहे हैं. बैंक की प्रमुख क्षेत्री अर्थशास्त्री अलीना स्लाइयुसारचुक का कहा है कि रूस की लंबे समय के विकास दर की क्षमता अब महज एक फीसदी की है.
छोटे रूसी कंपनियों के लिए संभावना मंद होती दिख रही है हालांकि इसे सटीक तरीके से मापना फिलहाल संभव नहीं है क्योंकि ना तो आधिकारिक आंकड़े जारी हो रहे हैं ना ही कंपनियों के लिए अब अपने नतीजों को खबर देने की जरूरत रह गई है.
हालांकि, अस्तित्व को बचाये रखने के तौरतरीके ज्यादातर रूसी लोगों के लिए नये नहीं है. इन्होंने 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद गहरे संकट का एक लंबा दौर देखा है.
साइबेरिया में लेक बाइकाल के पास एक टुअर कंपनी चलाने वाले येवजिनी शेरेमेतोव का कहना है, "सबसे बुरा दौर हमारे सामने है लेकिन इस देश के लोगों को मुश्किलों की आदत है. मेरे पास मेरा गर्मियों का घर है जहां आलू और खीरे हैं. 1990 के दशक के बाद मुझ दुनिया की कोई चीज नहीं डराती."
एनआर/आरएस (रॉयटर्स)