यूं हुआ ईरान समझौता
दस साल चली बातचीत के दौरान ईरान पर एक के बाद एक प्रतिबंध लगे. अब जाकर ईरान ने परमाणु बम का विकास न करने की बात मानी है. बदले में प्रतिबंधों को धीरे धीरे हटाया जाएगा. परमाणु हथियार मुक्त विश्व का सपना अभी दूर है.
संधि होने तक
18 दिनों की गहमागहम बातचीत के बाद मंगलवार 14 जुलाई को विश्व सत्ताओं और ईरान के बीच परमाणु समझौते की घोषणा हुई. बातचीत में सुरक्षा परिषद के सदस्यों अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन के विदेश मंत्रियों के अलावा जर्मन विदेश मंत्री और यूरोपीय संघ की विदेशनैतिक दूत भी मौजूद थे.
वीकएंड में समझौता बहुत करीब था लेकिन कुछ विवाद बाकी थे. अंतिम फैसला विदेश मंत्रियों को लेना था. पी5 प्लस1 देशों के विदेश मंत्री वियना के एक होटल में वार्ता के दौरान अपना रुख तय करने के लिए मिले.
वियना में संयुक्त राष्ट्र के दफ्तर में ईयू की विदेशनैतिक दूत फेडेरिका मोगेरिनी और ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने परमाणु विवाद पर समझौते की घोषणा की. इस्राएल ने इस समझौते को ऐतिहासिक समर्पण बताया है.
वार्ता में जर्मनी और फ्रांस यूरोपीय संघ का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. अंतिम क्षण में हुए ग्रीस समझौते के बाद फ्रांस और जर्मनी के विदेश मंत्री लौरां फाबिउस और फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ईरान वार्ता के लिए वियना पहुंचे.
अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी वार्ता के दौरान सारा समय वियना में थे. अंतिम दौर से पहले वार्ता की सफलता के लिए उन्होंने जैसे दैवी मदद के लिए सेंट स्टेफान कैथीड्रल में एक प्रार्थना सभा में हिस्सा लिया.
करीब तीन हफ्ते तक चली वार्ता के दौरान हर शब्द पर सौदेबाजी हुई, दोनों और से कई सारी मांगे रखी गई, उन्हें शब्दों में ढाला गया. ईरानी विदेश मंत्री अपने सहयोगियों के साथ दस्तावेजों पर नजर डालते हुए.
ऐसा भी समय आया जब लगा कि वार्ता टूट जाएगी. ईरान ने पश्चिमी देशों पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया तो अमेरिका ने वार्ता तोड़ने की धमकी दी. ऐसे ही एक मौके पर बालकनी में विचारमग्न ईरानी विदेश मंत्री.
लंबी वार्ता के दौरान पत्रकारों की हालत भी बहुत अच्छी नहीं रही. उनके पास रिपोर्ट करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं था, लेकिन मीडिया हाउस उनसे हर दिन किसी न किसी नई खबर की उम्मीद कर रहे थे.