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कई पत्रकारों और छात्रों के खिलाफ लगा यूएपीए

चारु कार्तिकेय
२२ अप्रैल २०२०

दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने मंगलवार 21 अप्रैल को तीन छात्र नेताओं और एक और व्यक्ति के खिलाफ यूएपीए लगा दिया. पुलिस ने इन सब पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के पीछे साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया है.

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Indien Kaschmir | Fotojournalismus | Masart Zahara
तस्वीर: M. Zahara

कोरोना वायरस की रोकथाम और पूरे देश में तालाबंदी के प्रबंधन के बीच में केंद्रीय गृह मंत्रालय कुछ विशेष कानूनी मामलों में भी सक्रिय हो गया है. जम्मू और कश्मीर पुलिस के एक पत्रकार के खिलाफ झूठी खबर करने और एक फोटो जर्नलिस्ट के खिलाफ यूएपीए के तहत आरोप लगाने के बाद, दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने मंगलवार 21 अप्रैल को तीन छात्र नेताओं और एक और व्यक्ति के खिलाफ यूएपीए लगा दिया.

मीरान हैदर और सफूरा जरगर दोनों जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र हैं और ये पहले से न्यायिक हिरासत में हैं. स्पेशल सेल ने इन्हें फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के पीछे साजिश में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया था. मंगलवार को इसी मामले में स्पेशल सेल ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद और भजनपुरा के एक निवासी दानिश के खिलाफ भी यूएपीए लगा दिया.

सख्त कानून

यूएपीए एक बेहद कड़ा कानून है और इसका इस्तेमाल आतंकवादियों और ऐसे लोगों के खिलाफ किया जाता है जिनसे देश की अखंडता और संप्रभुता को खतरा हो. अगस्त 2019 में इस कानून में संशोधन किया गया था जिसके बाद अब इसके तहत संगठनों की जगह व्यक्तियों को आतंकवादी घोषित किया जा सकता है और उनकी संपत्ति जब्त की जा सकती है. तालाबंदी के लागू होने के बाद, स्पेशल सेल ने हैदर और जरगर के अलावा इसी मामले में कांग्रेस पार्टी की पूर्व निगम पार्षद इशरत जहां और एक्टिविस्ट खालिद सैफी को भी हिरासत में ले लिया था.

Indien Fotoreportage aus Neu Delhi nach den Ausschreitungen
तस्वीर: DW/T. Godbole

मीडिया में आई खबरों में बताया जा रहा है कि इन सब को खुफिया जानकारी के आधार पर हिरासत में लिया गया है और इनके खिलाफ यूएपीए लगाया गया है. बताया जा रहा है कि पुलिस को खुफिया जानकारी मिली है कि दिल्ली के दंगों के पीछे सुनियोजित साजिश थी और ये सब लोग उसमें शामिल थे. ये भी बताया जा रहा है कि जरगर और खालिद के खिलाफ केस भड़काऊ भाषण देने के लिए दायर किया गया है.

कार्रवाई में भेदभाव 

आश्चर्य की बात यह है कि कम से कम तीन बीजेपी नेताओं कपिल मिश्रा, परवेश वर्मा और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के खिलाफ भी दंगों को भड़काने वाले भाषण देने के आरोप हैं लेकिन इन आरोपों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. मिश्रा का भाषण तो सोशल मीडिया में वायरल है जो उन्होंने दंगे भड़कने से ठीक पहले मुस्तफाबाद में पुलिस कर्मियों की उपस्थिति में दिया था. दिल्ली हाई कोर्ट के एक पूर्व जज ने उनके भाषण की एक क्लिप सुनवाई के दौरान अदालत में भी चलवाई थी.

उधर जम्मू और कश्मीर पुलिस ने भी मंगलवार को एक और पत्रकार के खिलाफ यूएपीए लगा दिया. मीडिया में आई खबरों के अनुसार श्रीनगर के साइबर पुलिस स्टेशन ने पत्रकार गौहर गिलानी के खिलाफ आरोप लगाया है कि सोशल मीडिया पर उनके लेखन को गैर कानूनी गतिविधियों का समर्थन करते हुए पाया गया है.

कश्मीर में पत्रकारों के खिलाफ पुलिस के इस तरह कार्रवाई करने का एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने विरोध किया है. गिल्ड ने एक वक्तव्य जारी कर इसे सत्ता की शक्ति का दुरूपयोग और पत्रकारों में डर पैदा करने की कोशिश बताया है. गिल्ड ने मांग की है कि इन मामलों को तुरंत रद्द किया जाए.

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