यूक्रेन का पियानो वाला नकाबपोश
३ फ़रवरी २०१४प्रदर्शनकारियों के लिए तो ये राहत है. शून्य से 6-7 नीचे के तापमान में बर्फ में जमी सड़क के बीच पियानो पर वह मधुर संगीत सुनाता है. उनका मनोरंजन करता है. चेहरा भले छिपा रखा हो, नाम भी न बताता हो लेकिन दिल की बात जरूर कह देता है. कभी पियानो की धुन पर तो कभी खुद से, "वे लोग हमें चरमपंथी और अपराधी कहते हैं. लेकिन यह सही नहीं है. लोग यहां राष्ट्रभक्ति की वजह से जमा हुए हैं, पैसों या हिंसा की वजह से नहीं."
उसने स्की मास्क से चेहरा छिपा रखा है. बार बार पूछने पर भी नाम नहीं बताता. चेहरा दिखाने की गुजारिश भी शांति से ठुकरा देता है. हाथ फिर पियानो पर चल पड़ते हैं. आम तौर पर ऐसे प्रदर्शनों में ढोल नगाड़े बजते हैं, जो कुछ देर बाद परेशान करने लगते हैं. लेकिन इस नकाबपोश का पियानो ऐसे माहौल को भी अच्छा बनाए हुए है.
पब्लिक डिमांड पर उसने इतालवी संगीतकार लुदोवीको आइनाउडी का संगीत निकाल लिया है. अंगुलियां थिरकने लगी हैं. रहस्यमयी संगीतकार कहता है, "संगीत से लोगों को नैतिक सहारा मिलता है." उसके मुताबिक यह क्रांति का संगीत है.
पिछले हफ्ते कीव की राजधानी में हुई हिंसा में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई. यह काम भी नकाबपोशों का बताया गया, जिनके हाथ में छुरियां और लाठियां थीं. अपनी पहचान छिपाते लेकिन थोड़ा बहुत बताते हुए इस संगीतकार का कहना है, "मेरा संगीत बताता है कि यहां के लोग आमतौर पर पढ़े लिखे लोग हैं." उसने सिर्फ इतना बताया कि वह पश्चिमी यूक्रेन के म्यूजिक कॉलेज में पढ़ाई कर चुका है और उसकी उम्र 20 की दहाई में है.
नकाब के भीतर से सिर्फ भूरी आंखें झांक रही हैं. इनमें जितना दर्द है, उतनी ही उम्मीद भी, "हम एक बेहतर यूरोपीय जीवन चाहते हैं. यूक्रेन के भविष्य के लिए चाहते हैं." पियानो का सुर छेड़ते हुए वह फिर कह उठता है, "मैं यूरोप के लोगों को बताना चाहता हूं कि यूक्रेन में क्या हो रहा है. यहां का प्रशासन अपराधी है और हम चाहते हैं कि उसे सजा मिले."
एजेए/एएम (रॉयटर्स)