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यूक्रेन तटस्थ रहने को तैयार लेकिन अपनी जमीन नहीं छोड़ेगा

२८ मार्च २०२२

यूक्रेन और रूस के बीच मंगलवार को तुर्की के इस्तांबुल में आमने सामने बैठक बातचीत होगी. यूक्रेनी राष्ट्रपति ने डोनबास के मुद्दे पर कुछ नरमी के संकेत दिए हैं. इस बीच रूसी हमला झेल रहे यूक्रेनी इलाकों की हालत अब भी खराब है.

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कीव के बाहरइलाके में फैला मलबा
कीव के बाहरइलाके में फैला मलबातस्वीर: Rodrigo Abd/AP/picture alliance

यू्क्रेन और रूस आमने सामने बैठ कर बातचीत की तैयारी में जुटे हैं. यह बातचीत दो हफ्ते से ज्यादा समय के बाद होने जा रही है. इस्तांबुल में होने वाली यह बातचीत तुर्क राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोवान के रविवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात करने के बाद तय हुई है.

इससे पहले 10 मार्च को अंकारा में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने मुलाकात की थी. सोमवार को दोनों देशों का प्रतिनिधिमंडल इस्तांबुल पहुंच रहा है लेकिन बातचीत मंगलवार से शुरू होगी.

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का कहना है कि वो तुरंत युद्ध रोकना चाहते हैं और इसके लिए रूस को अपनी तटस्थता और सुरक्षा की गारंटी देने को तैयार हैं. जेलेंस्की का कहना है इसमें यूक्रेन को परमाणु हथियारों से मुक्त रखना भी शामिल है.

वोलोदिमीर जेलेंस्की
वोलोदिमीर जेलेंस्कीतस्वीर: Ukrainian Presidential Press Office/AP/dpa/picture alliance

जेलेंस्की ने पत्रकारों से कहा है कि तटस्थता और नाटो से बाहर रहने के मुद्दे पर यूक्रेन में जनमत संग्रह होना चाहिए और वो भी जब रूसी सैनिक यहां से बाहर निकल जाएं. जेलेंस्की ने रूसी सैनिकों के यूक्रेन से बाहर निकलने के कुछ ही महीने के भीतर जनमत संग्रह कराने की बात कही है.

जेलेंस्की का कहना है, "हम बिना किसी देर के शांति का इंतजार कर रहे हैं. तुर्की आमने सामने बैठ कर बात करने की जरूरत और मौका है. यह बुरा नहीं है. देखते हैं क्या नतीजा निकलता है."

हालांकि यूक्रेनी राष्ट्रपति यूक्रेन का कोई इलाका छोड़ने को तैयार नहीं हैं लेकिन डोनबास के मुद्दे पर कोई समझौता कर सकते हैं. जेलेंस्की ने कहा है, "यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर कोई संदेह नहीं है लेकिन डोनबास के जटिल मुद्दे पर" समझौता हो  सकता है.

ये दोनों बातें कैसे संभव होंगी यह साफ नहीं है. जेलेंस्की का कहना है कि वो समूचे डोनबास को वापस लेने की कोशिश नहीं करेंगे क्योंकि "इसके कारण तीसरा विश्वयुद्ध शुरू हो सकता है." डोनबास के इलाके में रूस समर्थित अलगाववादी लंबे समय से यूक्रेन के साथ लड़ रहे हैं और बहुत से इलाकों पर उनका नियंत्रण भी है.

रूसी विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव का कहना है कि कुछ प्रमुख शर्तें पूरी होने के बाद पुतिन और जेलेंस्की की मुलाकात हो सकती है. यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की कई दिनों से इसकी मांग कर रहे हैं.

यूक्रेन के एक टूटे फूटे मकान से पहरेदारी करता यूक्रेनी सैनिक
यूक्रेन के एक टूटे फूटे मकान से पहरेदारी करता यूक्रेनी सैनिकतस्वीर: Vadim Ghirda/AP/picture alliance

जमीनी हालात अब भी खराब

यूक्रेन की जमीनी हालत अब भी बेहद खराब है. खासतौर से मारियोपोल का संकट अब भी बना हुआ है. शहर के मेयर का कहना है कि वहां एक लाख से ज्यादा लोग फंसे हुए हैं क्योंकि रूस इन लोगों को बाहर निकालने की मुहिम बार-बार बंद कर दे रहा है. दो दिन पहले रूसी सेना ने पहला चरण पूरा होने और पूर्वी इलाकों पर ध्यान देने की बात कही थी. हालांकि सोमवार को भी राजधानी कीव के आसपास के इलाकों से सेना की वापसी के कोई संकेत नहीं मिले हैं.

बीते 24 घंटे में रूसी सेना की कार्रवाई में कोई खास प्रगति नहीं हुई है. ऐसी खबरें आ रही है कि रूसी सेना तक रसद की आपूर्ति में काफी दिक्कत आ रही है. यूक्रेन की सेना का प्रतिरोध उनके मार्ग में बड़ी बाधा बन गया है. रूसी सेना मारियोपोल पर कब्जे की कोशिश में अब भी जुटी हुई है.

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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त का कहना है कि उन्होंने यूक्रेन पर हमले के बाद अब तक 1,119 आम लोगों की मौत दर्ज की है. इसके अलावा 1790 लोग इस युद्ध में घायल भी हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार एजेंसी का कहना है कि ज्यादातर लोग टैंकों की गोलाबारी, रॉकेट, मिसाइल और हवाई जहाज से गिराए गए बमों के शिकार बने हैं. एजेंसी का कहना है कि मारे गए लोगों में 224 पुरुष, 168 महिलाएं, 15 लड़कियां और 32 लड़के हैं. अभी 52 बच्चों और 628 वयस्कों की पहचान होनी बाकी है. एजेंसी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रूसी घेराबंदी में फंसे मारियोपोल, वोल्नोवाखा, इजियुम पोपासना, रूबीज्ने और ट्राॉस्टियानेट्स में नागरिकों को हुए जान-माल के नुकसान की जानकारी जुटाई जा रही है और इनकी संख्या अभी एजेंसी की सूची में शामिल नहीं है.

संयुक्त राष्ट्र मानवाकार एजेंसी के मुताबिक अब तक 38 लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन से बाहर गए हैं जिनमें 90 फीसदी औरतें और बच्चे हैं.

मारियोपोल को मुश्किलों से राहत नहीं
मारियोपोल को मुश्किलों से राहत नहींतस्वीर: Alexander Ermochenko/REUTERS

युद्ध अपराधों की जांच

यूरोपीय संघ की न्यायिक सहयोग एजेंसी यूरोजस्ट का कहना है कि उसने पोलैंड, लिथुआनिया और यूक्रेन को यूक्रेन में युद्ध अपराध, मानवता के खिलाफ अपराध और दूसरे अपराधों की जांच करने के लिए एक संयुक्त जांच दल  बनाने में मदद दी है. एजेंसी ने समोवार को कहा कि तीनों देशों ने शुक्रवार को यह टीम बनाने के करार पर दस्तखत किए हैं.

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यूरोजस्ट के मुताबिक इस टीम का मकसद सबूत जुटाना और सहयोगियों तक तुरंत और सुरक्षित रूप से पहुंचाना है. यह टीम अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय के अभियोजन कार्यालय के साथ सहयोग करने में तीनों देशों की मदद करेगी. अभियोजन कार्यालय पहले ही इस बारे में जांच शुरू कर चुका है. अभियोजकों का कहना है कि उन्होंने यूक्रेन की सीमा पर उमड़ रहे शरणार्थियों से अब तक 300 गवाहों के बयान जमा कर लिए हैं.

रूबल में भुगतान नहीं

दुनिया के साथ प्रमुख औद्योगिक देशों के संगठन जी7 ने रूस को ऊर्जा की सप्लाई के बदले रूबल में भुगतान करने से मना करने पर सहमति दे दी है. जर्मन ऊर्जा मंत्री ने सोमवार को यह जानकारी दी. रॉबर्ट हाबेक ने पत्रकारों से कहा, "जी-7 के सभी मंत्री इस बात पर पूरी तरह से रजामंद हैं कि ऐसा करना एक तरफा और मौजूदा करार का सीधा उल्लंघन होगा. रूबल में भुगतान स्वीकार्य नहीं है और हम प्रभावित कंपनियों से आग्रह करेंगे कि वो पुतिन की मांग ना मानें."

रूस प्राकृतिक गैस की कीमत रूबल में चाहता है
रूस प्राकृतिक गैस की कीमत रूबल में चाहता हैतस्वीर: epa Maxim Shipenkov/dpa/picture alliance

पिछले हफ्ते रूसी राष्ट्रपति ने कहा था कि उनका देश अब "गैर-दोस्ताना" देशों से प्राकृतिक गैस के बदले केवल रूबल में भुगतान की मांग करेगा. उन्होंने रूसी सेंट्रल बैंक को निर्देश दिया था कि वो प्राकृतिक गैस खरीदने वालों को रूस में रूबल मुहैया कराने की व्यवस्था करे.

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह कदम रूबल की मदद करने के लिए उठाया गया. यूक्रेन पर हमला करने के बाद रूबल की कीमत दूसरी मुद्राओं की तुलना में बहुत ज्यादा गिर गई है. हालांकि कुछ विश्लेषक संदेह जता रहे हैं कि यह उपाय काम करेगा.

पत्रकारों ने जब सोमवार को पूछा कि अगर यूरोपीय ग्राहकों ने रूबल में भुगतान से इनकार किया तो क्या रूस सप्लाई रोक सकता है. इसके जवाब में क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने कहा, "निश्चित रूप से हम मुफ्त में गैस की सप्लाई नहीं करेंगे."

जी-7 के देशों में फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा शामिल हैं.

एनआर/आरएस( एपी, एएफपी, डीपीए)

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