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यूक्रेन का संकट टला

१८ दिसम्बर २०१३

रूस के कर्ज ने एक ओर तो यूक्रेन की आर्थिक समस्याएं दूर की हैं तो वहीं दूसरी ओर यूरोपीय संघ के समर्थक गुटों को और भड़का दिया है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

रूस से कर्ज लेने के अपने फैसले को सही ठहराते हुए यूक्रेन के प्रधानमंत्री माइकोला अजारोव ने कहा कि सरकार अगर समय रहते ये समझौता नहीं करती तो देश दिवालिया हो जाता और सामाजिक व्यवस्था चरमरा जाती. यूक्रेन ने मंगलवार को रूस की तरफ कई अरब डॉलर का कर्ज लेने के लिए हाथ बढ़ाया था. राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच के विरोधी उन पर देश को रूस के हाथों में दे देने का आरोप लगा रहे हैं. जबकि प्रधानमंत्री अजारोव का कहना है कि पिछली पांच तिमाही से देश की अर्थव्यवस्था में जो नकारात्मक वृद्धि चली आ रही थी उसे बदलने का सिर्फ यही एक तरीका था.

सस्ती गैस और रूस का पैसा

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने यूक्रेन के 15 अरब डॉलर (करीब 93 करोड़ रुपये) के कर्ज को यूरो बांड के रूप में खरीदने और उनको बेची जाने वाली गैस की कीमत को करीब एक तिहाई तक कम कर दिया. आर्थिक विशेषज्ञ कहते हैं कि इस व्यवस्था की वजह से यूक्रेन ने कम से कम अभी तो आर्थिक संकट को टाल दिया है.

Demonstration und Proteste in Kiew 18.12.2013
कीव में विरोध प्रदर्शन जारीतस्वीर: Genya Savilov/AFP/Getty Images

माना जाता रहा है कि राष्ट्रपति यानुकोविच रूस के करीबी हैं और उन्होंने रूस के दबाव की वजह से ही ईयू के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था. यूक्रेन की राजधानी कीव में पिछले करीब तीन हफ्तों से सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं. लेकिन अजारोव कहते हैं कि ईयू के साथ समझौता होने पर पहले से ही आर्थिक दबाव झेल रहा यूक्रेन इस दलदल में और गहरा धंस जाता. ऐसी स्थिति में रूस के साथ हुए सौदे को वे देश के लिए एक 'ऐतिहासिक घटना' बताते हैं.

'पुतिन की जीत'

विपक्ष को डर है कि इस सौदे के पीछे रूस का कोई छिपा एजेंडा हो सकता है और वे मांग कर रहे हैं कि राष्ट्रपति यानुकोविच अपने पद से हट जाएं और चुनाव कराए जाएं. विपक्ष के नेता और बॉक्सिंग चैंपियन विताली क्लिचको ने कीव के स्वतंत्रता मैदान में जमा हुए हजारों प्रदर्शनकारियों से कहा, "यानुकोविच ने यूक्रेन को गिरवी रख दिया है."

ये बात अभी तक साफ नहीं है कि रूस इस कर्ज के बदले में यूक्रेन से क्या ले रहा है. यूरोपीय संघ के अध्यक्ष लिथुआनिया ने आगाह किया है कि इस कदम से यूक्रेन ने सिर्फ एक आर्थिक संकट को कुछ समय के लिए टाला है. तीन दिन पहले ही ईयू अधिकारियों ने यूक्रेन के साथ महीनों से चली आ रही बातचीत को स्थगित कर दिया. स्वीडन के विदेश मंत्री ने ट्वीट में कहा कि अचानक रूस से इतना कर्ज लेने की वजह से यूक्रेन आर्थिक सुधारों और ईयू के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया से काफी पिछड़ जाएगा. जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल ने ईयू के साथ समझौते के न हो पाने पर अफसोस जताया और कहा कि संघ की ओर से बातचीत के रास्ते अभी भी खुले हैं.

यूक्रेन की रूस के लिए बढ़ती करीबी के कारण ईयू ने हाथ खींच लिए. यानुकोविच के आलोचकों का मानना है कि ये कर्ज यूक्रेन को एक इनाम देने जैसा है जो उसे ईयू के साथ बातचीत रोकने के लिए दिया जा रहा है.

सांस्कृतिक विभिन्नता बड़ी वजह

"रूस से मिला कर्ज यानुकोविच को अपनी सत्ता बनाए रखने में काफी मदद कर सकता है," यूक्रेन के राजनीतिक विशेषज्ञ वोलोदिमिर फेसेन्को कहते हैं. "और क्रेमलिन उनकी मदद कर रहा है क्योंकि इससे पुतिन की कूटनीतिक मंशा पूरी होगी", फेनेस्को कहते हैं.

2004 की ऑरेंज क्रांति के बाद ये देश के इतिहास में सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन है. इस विरोध की एक बुनियादी वजह यूक्रेनी समाज में मौजूद सांस्कृतिक भेद भी हैं. देश में पश्चिमी भाग में यूक्रेनी भाषा बोलने वाले राष्ट्रवादी नागरिकों की बहुलता है तो वहीं पूर्वी हिस्से में रहने वाले नागरिक रूस के ज्यादा करीबी माने जाते हैं.

आरआर/एजेए (एएफपी)

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