यूनुस ने की सुप्रीम कोर्ट में अपील
९ मार्च २०११मोहम्मद यूनुस ने 1983 में माइक्रो क्रेडिट देने के लिए ग्रामीण बैंक की स्थापना की थी. गरीबों को छोटे कर्ज देकर उन्हें गरीबी से बाहर निकालने के यूनुस के प्रयासों को विश्व भर में सराहना मिली और 2006 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
पिछले सप्ताह बांग्लादेश सेंट्रल बैंक ने 70 वर्षीय यूनुस को इस आधार पर बैंक के महानिदेशक पद से हटा दिया कि वे बांग्लादेश रिटायरमेंट कानून की अवहेलना कर अपने पद पर हैं, जिसमें रिटायर होने की वैधानिक उम्र 60 साल है. सेंट्रल बैंक के फैसले के खिलाफ यूनुस की अपील को जस्टिस मोहम्मद मुमताज उद्दीन अहमद और जस्टिस गोबिंद चंद्र टैगोर की हाई कोर्ट बेंच ने तीन दिनों की सुनवाई के बाद खारिज कर दिया था.
10 साल बाद क्यों?
सरकार के आदेश में कहा गया कि वह 1999 से अवैध रूप से इस पद पर हैं क्योंकि उनकी नियुक्ति की पुष्टि नहीं की गई है. ग्रामीण बैंक में सरकार की 25 फीसदी हिस्सेदारी है. अब तक बांग्लादेश सरकार ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है कि यूनुस को हटाने का फैसला 10 साल बाद क्यों हुआ है.
मोहम्मद यूनुस की मुश्किलें तब शुरू हुईं जब उन्होंने पिछले संसदीय चुनावों से पहले राजनीतिक पार्टी बनाने की कोशिश की. उनके समर्थकों का कहना है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना उनसे बदला ले रही है. पिछले साल नॉर्वे की एक दस्तावेजी फिल्म में उन पर विदेशी धन की हेराफेरी के आरोप लगाए गए. प्रधानमंत्री हसीना ने भी यूनुस पर टैक्स चोरी के आरोप लगाए हैं.
मोहम्मद यूनुस के वकीलों ने कहा है कि उनकी अपील की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की फुल बेंच में होगी. बुधवार को अपील दायर किए जाने के बाद चैंबर जस्टिस सैयह महमूद होसैन ने मामले को सुप्रीम कोर्ट की फुल बेंच को सुनवाई को लिए सौंप दिया.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: वी कुमार