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यूपी में बारिश के बाद वोटों की बरसात

८ फ़रवरी २०१२

रात और सुबह बेमौसम बरसात के बाद जगह जगह कीचड़ और पानी भर जाने के बावजूद उत्तर प्रदेश विधानसभा के पहले चरण में मतदाताओं में जबरदस्त उत्साह दिखा. 60 फीसदी से ज्यादा लोगों ने वोट दिए, जो पिछले चुनाव से काफी अधिक है.

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तस्वीर: DW

बारिश जब जब रुकती, लोग वोट डालने निकल पड़ते. बस्ती और सिद्धार्थ नगर में दोपहर तक बारिश होती रही जबकि बाराबंकी, सीतापुर, श्रावस्ती और गोंडा जैसे स्थानों पर सुबह 11 बजे तक बारिश होती रही. यही वजह थी कि सुबह मतदान शुरू होने के बाद एक घंटे में सिर्फ पांच फीसदी वोट पड़े. उसके बाद एक बजे तक 28.35 फीसदी और तीन बजे तक 45 प्रतिशत मतदान हुआ लेकिन चार बजते बजते इसका प्रतिशत 51 तक पहुंच गया.

बढ़ गए वोटर

पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार पूरे राज्य में करीब डेढ़ करोड़ मतदाताओं का इजाफा हुआ है, लेकिन बुधवार की पोलिंग में उत्साह ज्यादा था. आलम यह रहा कि मतदान का समय पांच बजे शाम तक था लेकिन सात बजे के बाद तक मतदान चलता रहा. सबसे ज्यादा मतदान सीतापुर में रिकॉर्ड हुआ. यहां की बिसवां सीट पर 65 फीसदी से भी अधिक वोट पड़े. सभी स्थानों पर मतदान शांतिपूर्वक संपन्न हो गया. कहीं से हिंसा या किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं है.

Indien Uttar Pradesh Wahl Wahlen 2012
तस्वीर: DW

बाराबंकी के कटरा में एक वोटर अबू बकर ने कहा, "वोट डालना जरूरी है, इसलिए आए हैं." मालती कुमारी कहती हैं, "आपसे क्या मतलब. हम वोट डालने आएं या न आएं." सीतापुर में चौबे टोला पोलिंग बूथ पर रिजवाना बहुत ढेर सारी बातें करना चाहती हैं. वह सरकार बदलने आई हैं.

लोगों में उत्साह

बाराबंकी सदर के यदुनाथ तिवारी वोट देने इसलिए आए है क्यूंकि इस बार उनके मुताबिक वोट देना जरूरी है, "मैंने 65 साल की उम्र में सिर्फ तीन बार मतदान किया है." इसकी वजह पूछने पर कहते हैं, "अनजान न बनिए. आपको तो सबै कुछ पता है."

जिन 55 सीटों पर मतदान हुआ उनके लिए 862 प्रत्याशी मैदान में हैं. इनमें 65 महिला प्रत्याशी भी हैं. इनको चुनने के लिए कुल एक करोड़ 71 लाख मतदाता हैं. इनमें 78 लाख 24 हजार महिला मतदाता हैं और 93 लाख पुरुष. इस मतदान के लिए 13 हजार 186 मतदान केंद्र बनाए गए, जिनमें 18 हजार 83 मतदान बूथ थे और कुल 26,000 इलेक्ट्रॉनिक मशीन का इस्तेमाल हुआ.

इन इलाकों में अभी कांग्रेस के छह, बीएसपी के छह और एक सांसद समाजवादी पार्टी का है. कांग्रेस के स्टील मंत्री बेनीप्रसाद वर्मा और पीएल पुनिया और जगदंबिका पाल के इलाकों में भी मतदान हो गया. पिछले विधानसभा चुनाव में इन 55 सीटों में से बीएसपी को 30, समाजवादी पार्टी को 18, बीजेपी को चार और कांग्रेस को तीन सीटें मिली थीं.

विशेष ट्रेनों से सुरक्षा बल

पहले चरण के चुनाव के लिए 34 विशेष ट्रेनों से सुरक्षा बलों को लाया गया. इस चुनाव के लिए केंद्रीय सुरक्षा बल की 695 कंपनियां तैनात की गई. इसके आलावा 90 कंपनी पीएसी और 90,000 डिस्ट्रिक्ट और आर्म्ड पुलिस के जवान तैनात किए गए. इसमें सीआरपीएफ के लिए पूर्वोत्तर रेलवे अब तक 34 स्पेशल ट्रेनें चला चुका है. बुधवार को मतदान खत्म होने के बाद दूसरे चरण के लिए 12 विशेष ट्रेनें चलाए जाने की तैयारी है. गुवाहाटी, लांबा, फिरोजपुर, सांभा और दीमापुर से सुरक्षा बलों को यहां लाया गया.

Indien Uttar Pradesh Wahl Wahlen 2012
तस्वीर: DW

कर्फ्यू जैसा माहौल नहीं

पिछले विधानसभा चुनाव में और 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में भी चुनाव आयोग की सख्ती का आलम यह था कि मतदान के दिन न तो गाड़ियों को चलने की इजाजत थी और न ही इधर उधर लोगों को झुण्ड में इकट्ठा होने दिया गया था. लेकिन इस बार चुनाव आयोग ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि किसी भी गाड़ी की हवा न निकाली जाए. नतीजा था कि सीतापुर के कजियारे चौराहे पर लोग मस्त थे और मौसम ठंडा हो जाने के सबब चाय की चुस्कियां ले रहे थे. बाराबंकी के कतरा में लोग बातचीत करने के मूड में नहीं थे फिर भी माहौल सामान्य था.

मैदान में रिश्तेदार

केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनीप्रसाद वर्मा के बेटे राकेश वर्मा बाराबंकी की दरियाबाद से, डुमरियागंज से कांग्रेस सांसद जगदंबिका पाल के बेटे अभिषेक पाल बस्ती से और बहराइच से कांग्रेस सांसद कमल किशोर कमांडो की पत्नी पूनम किशोर बलहा से चुनाव मैदान में हैं. इन तीनों सीटों पर बुधवार को मतदान हो गया. बाराबंकी में बेनीप्रसाद वर्मा को खुलेआम बेटे के लिए वोट मांगते देखा गया.

पति पत्नी आमने सामने

घर में तो इस तरह पति पत्नी के जब तब आमने सामने आ जाने की बातें घर के बाहर आती रहती हैं. लेकिन घर का सा मंजर सिद्धार्थ नगर की शोहरतगढ़ सीट पर देखने को मिला. कांग्रेस के टिकट पर रविन्द्र प्रताप सिंह मैदान में हैं तो उनकी पत्नी साधना चौधरी बीजेपी के टिकट पर ताल ठोंक रही हैं. ये दोनों पिछले काफी समय से अलग अलग रह रहे हैं. तलाक हुआ है या नहीं दोनों में से कोई नहीं बताता. इन दोनों के भाग्य का फैसल भी ईवीएम में बंद हो गया.

ब्रेल ईवीएम

इस चुनाव में पहली बार ब्रेल लिपि वाली ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल हुआ, ताकि नेत्रहीन मतदाता भी वोट डाल सकें.

रिपोर्टः एस वहीद, लखनऊ

संपादनः ए जमाल

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