यूरोप चंगा, इंडोनेशिया नंगा
स्वच्छ बायोफ्यूल का नारा देने वाला यूरोप कई देशों के जंगलों को तबाह कर रहा है. बायोफ्यूल के नाम पर होने वाली तबाही पर एक नजर.
बायोफ्यूल का असली असर
बायोफ्यूल बनाने के लिए ताड़ के तेल का इस्तेमाल किया जाता है. इंडोनेशिया का 45 फीसदी पाम ऑयल यूरोप आता है, जहां इससे बायोफ्यूल बनाया जाता है. लेकिन पाम ऑयल का उत्पादन इंडोनेशिया को बर्बाद कर रहा है.
ईको सिस्टम की मौत
2010 की तुलना में 2014 में बायोडीजल में पाम ऑयल के मिश्रण की मात्रा छह गुना बढ़ गई. यूरोप को जितना पाम ऑयल चाहिए, उसे पूरा करने के लिए 7,000 वर्ग किलोमीटर में ताड़ की खेती होती होनी चाहिए. इतने बड़े इलाके में एक तरह की खेती का मतलब है ईको सिस्टम की मौत.
सरकार का दखल
2006 में जर्मनी की संसद ने बायोफ्यूल कोटा नियम लागू किया. इसके तहत तेल विक्रेताओं को ईंधन में बायोफ्यूल मिलाना ही होगा. इसके चलते भी ताड़ के तेल की मांग में भारी इजाफा हुआ.
जहां देखो वहां ताड़
यूरोपीय बाजार तक पहुंचने की चाहत में इंडोनेशिया में बड़े पैमाने पर ताड़ की खेती शुरू हुई. अब इंडोनेशिया भी बायोफ्यूल अपनाना चाहता है, इससे मांग और बढ़ेगी.
जंगल साफ
ताड़ के पेड़ लगाने के चक्कर में किसान हजारों साल पुराने वर्षावनों को साफ कर रहे हैं. एक बार उजड़ चुके जंगल को दोबारा अच्छी तरह बसने में सैकड़ों साल लगते हैं.
प्रदूषण की समस्या
इंडोनेशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में प्रदूषण एक बड़ी समस्या है. पाम ऑयल के चक्कर में काटे गए जंगलों की अहमियत अब पता चल रही है. पेड़ों को धरती के प्राकृतिक फेफड़े यूं ही नहीं कहा जाता है.