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'यौन शोषण, भ्रष्टाचार के मामलों की जानकारी दे रॉ'

२ जुलाई २०१२

भारत की प्रमुख खुफिया एजेंसी रॉ को यह बताना होगा कि उसके अधिकारियों के खिलाफ बीते सालो में यौन शोषण, मानवाधिकार उल्लंघन और भ्रष्टाचार के कितने मामले दर्ज हुए हैं. केंद्रीय सूचना आयोग ने दिए निर्देश.

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तस्वीर: Fotolia/konradbak

केंद्रीय सूचना आयोग ने इस बारे में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) की तरफ से दी गई इस दलील को खारिज कर दिया है कि इस संगठन को पारदर्शिता अधिनियम के तहत यह जानकारी सार्वजनिक न करने की छूट मिली हुई है. सूचना के अधिकार के तहत दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सूचना आयोग ने साफ किया है कि रॉ को ये सारी जानकारी 10 दिन के भीतर देनी होगी.

मई 2010 में रॉ को अपने अधिकारियों के खिलाफ यौन शोषण, मानवाधिकार उल्लंघन और भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों और उनकी मौजूदा स्थिति की जानकारी देने के लिए याचिका दायर की गई. तब केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) और अपील अथॉरिटी ने आरटीआई एक्ट के तहत मिली छूट का हवाला दे कर जानकारी देने से इनकार कर दिया. केंद्रीय सूचना आयुक्त सत्यानंद मिश्रा के सामने सुनवाई के दौरान रॉ से जुड़े केंद्रीय सचिवालय के अधिकारियों ने कहा कि उनके संगठन को मांगी गई जानकारी न देने की छूट है. इसके साथ ही उनकी यह भी दलील थी कि इस याचिका के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से ऐसी जानकारी हासिल करने की कोशिश की जा रही है जो नहीं दी जा सकती. सूचना आयोग ने सुनवाई के दौरान कहा, "मामले से जुड़ी सारी सच्चाइयों पर नजर डालने के बाद हमारा मानना है कि मांगी गई जानकारी साफ तौर पर सूचना का अधिकार एक्ट के सेक्शन 24 के प्रावधानों के अनुरूप है. मांगी गई जानकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार, मानवाधिकार उल्लंघन और यौन शोषण से जुड़ी हैं. यह मामले सेक्शन 24 के अंतर्गत आते हैं इसलिए इसकी जानकारी देनी पड़ेगी."

सूचना के अधिकार एक्ट का सेक्शन 24 केंद्रीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों से जुड़ी जानकारियों को लोगों तक पहुंचाने पर पाबंदी लगाता है. इसमें देश की सभी प्रमुख खुफिया एजेंसियां और सात अर्धसैनिक बल शामिल हैं. हालांकि इसी सेक्शन में मानवाधिकार उल्लंघन, यौन शोषण और भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों को इस पाबंदी से अलग रखा गया है. सूचना आयोग ने सीपीआईओ को निर्देश दिया है कि वो याचिकाकर्ता को 10 के भीतर पिछले 9 सालों में दर्ज किये मामलों का ब्यौरा मुहैया कराए. इसमें संबंधित अधिकारियों के नाम, उनके पद, मामला दर्ज होने की तारीख औऱ साल, आरोपों का ब्यौरा और उनकी मौजूदा स्थिति के बारे में पूरी जानकारी देने को कहा गया है. साथ ही यह भी कि संगठन की तरफ से उस अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई.

एनआर/ओएसजे(पीटीआई)