रवींद्रनाथ टेगोर के 'चार अध्याय' पर फिल्म
१३ जून २०११फिल्म का निर्देशन बपादित्या बंधोपाध्याय करेंगे. उनका कहना है कि वह टैगोर के उपन्यास को एक नए रूप में पेश करेंगे. जहां टैगोर का उपन्यास 1930 के दशक के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बारे में है, वहीं बंधोपाध्याय की फिल्म आज की नक्सलवाद की समस्या को उठाएगी. बंधोपाध्याय ने कहा, "मैं 2006 से चार अध्याय को पर्दे पर उतारने के बारे में सोच रहा हूं."
इससे पहले भी एक बार चार अध्याय पर फिल्म बन चुकी है. कुमार शाहनी के निर्देशन में यह फिल्म हिंदी में बनी थी. लेकिन बंधोपाध्याय ने कहा कि उनकी फिल्म अलग होगी. वह कहते हैं, "मेरी फिल्म में एक अलग अनुवाद होगा. एक पाठक और फिल्म निर्माता के नाते इस उपन्यास की कहानी लंबे समय से मुझे अपनी ओर खींच रही है." चूंकि 'चार अध्याय' नाम से पहले ही बांग्ला में एक फिल्म बन चुकी है, इसलिए बंधोपाध्याय अपनी फिल्म को अंग्रेजी अनुवाद यानी 'फोर चैप्टर्स' नाम देने के बारे में सोच रहे हैं.
बंधोपाध्याय ने सम्प्रदान, सिल्पंतर, कंतातर और 'काल' जैसी फिल्मों में समाज की समस्यायों को दर्शाया है. इन फिल्मों को कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सवों में भी दिखाया गया, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर ये कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाईं. बंदोपाध्याय कहते हैं, "मेरे ख्याल से मेरी सभी फिल्मों को डिस्ट्रीब्यूशन के स्तर पर बहुत नुकसान हुआ है. पिछले करीब दो सालों में बांग्ला फिल्मों को लेकर दर्शकों का रवैया भी बदला है. पिछले कुछ समय में नए निर्देशकों के आने से हिंदी फिल्मों का एक नया रूप सामने आया है और बांग्ला फिल्में भी इससे अछूती नहीं हैं. हाल के समय में युवा निर्देशकों की बनाई कुछ बांग्ला फिल्मों की सफलता इस बात को दिखाती है."
रिपोर्ट: पीटीआई/ईशा भाटिया
संपादन: ए कुमार