राम मंदिर ट्रस्ट पर घोटाले का आरोप
१४ जून २०२१उत्तर प्रदेश में विपक्षी पार्टियों आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने आरोप लगाए हैं कि कुछ जमीन व्यापारियों ने जमीन के उस टुकड़े को दो करोड़ में खरीदा और फिर 18.5 करोड़ रुपयों में ट्रस्ट को बेच दिया. इतना ही नहीं दोनों सौदों के मुद्रांक शुल्क यानी स्टैम्प ड्यूटी कागजों पर ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा और अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय का नाम बतौर गवाह लिखा हुआ है.
आरोप लगाने वाले पवन पांडेय समाजवादी पार्टी के नेता, अयोध्या के पूर्व विधायक और उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री हैं. ऐसे ही आरोप आम आदमी पार्टी के राज्य सभा सदस्य संजय सिंह ने भी लगाए हैं और पूरे मामले में सीबीआई जांच की मांग की है. पवन पांडेय ने यहां तक कहा है कि ट्रस्ट ने राम मंदिर के निर्माण के लिए अयोध्या में जितनी जमीन खरीदी है उन सभी सौदों की जांच की जाए.
मामले पर ट्रस्ट का बचाव करते हुए ट्रस्ट के सचिव और विश्व हिन्दू परिषद के उपाध्यक्ष चंपत राय ने किसी भी घोटाले से इनकार किया है. उन्होंने कहा है कि जमीन के इस टुकड़े की खरीद का जो पहला सौदा है उसका मूल्य 2019 में राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले के दामों पर तय हुआ था. राय का दावा है कि फैसला आने के बाद से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अयोध्या में काफी जमीन खरीदे जाने की वजह से वहां जमीन के दाम बढ़ गए. इसलिए जब ट्रस्ट ने उस जमीन को खरीदा तो उसे ज्यादा मूल्य देना पड़ा.
लेकिन सवाल ये उठ रहे हैं कि दाम में 10 मिनट में 16 करोड़ की बढ़ोतरी कैसे हो सकती है? संजय सिंह ने यह भी आरोप लगाया है कि उस जमीन के पुराने दामों पर हुए करार को लेकर चंपत राय जो दावे कर रहे हैं वो झूठे हैं.
पूरे मामले में दोनों गवाहों की भूमिका भी संदेह के दायरे में है. इनमें से ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा आरएसएस के प्रांत कार्यवाह हैं और अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय भाजपा के स्थानीय नेता हैं. अनिल मिश्रा ने मामले पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है, बल्कि जब पत्रकारों ने उनकी प्रतिक्रिया मांगी तो वो बिना जवाब दिए वहां से चले गए. महापौर उपाध्याय ने कहा है कि बतौर महापौर वो मंदिर से संबंधित सभी जमीनी सौदों के गवाह हैं.
लेकिन इसके बावजूद भ्रष्टाचार का आरोप तूल पकड़ता जा रहा है. कांग्रेस पार्टी ने भी राम मंदिर के नाम पर घोटाले के आरोप लगाए हैं और मामले में जांच की मांग की है. देखना होगा कि मामले में राज्य सरकार या केंद्र सरकार किसी जांच के आदेश देती है या नहीं.