राष्ट्र के नाम संदेश में मंदिर, कोरोना और चीन
१४ अगस्त २०२०भारत शनिवार को अपना 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. इसकी पूर्व संध्या पर शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने राष्ट्र को संबोधित किया. उन्होंने कई विषयों का अपने संबोधन में जिक्र किया.
कोरोना ने हम सबकी जिंदगी बदली
राष्ट्र उन सभी डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्य कर्मियों का ऋणी है जो कोरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई में अग्रिम पंक्ति के योद्धा रहे हैं.
दुर्भाग्यवश उनमें से अनेक योद्धाओं ने इस महामारी का मुकाबला करते हुए अपने जीवन का बलिदान दिया है. ये हमारे राष्ट्र के आदर्श सेवा योद्धा हैं.
जब गांवों और नगर में काम काज रुक जाता है और सड़कें सुनसान हो जाती हैं तब अपने अथक परिश्रम से ये कोरोना योद्धा सुनिश्चित करते हैं कि लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं और राहत, पानी और बिजली, परिवहन और संचार सुविधा, दूध और सब्जी, भोजन और किराने का सामान, दवा और अन्य आवश्यक सुविधाओं से वंचित न होना पड़े. ये अपनी जान को भारी जोखिम में डालते हैं ताकि हम सब इस महामारी से सुरक्षित रहें.
इस महामारी का सबसे कठोर प्रहार गरीबों और रोजाना आजीविका कमाने वालों पर हुआ है. प्रधानमंत्री ने गरीब कल्याण योजना शुरू कर सरकार ने करोड़ों लोगों को आजीविका दी है.
किसी भी परिवार को भूखा न रहना पड़े, इसके लिए जरूरतमंद लोगों को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है. इस अभियान से हर महीने 80 करोड़ लोगों को राशन मिलना सुनिश्चित किया जा रहा है. सभी राज्यों को वन नेशन, वन राशन कार्ड के दायरे में लाया जा रहा है.
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत
वंदे भारत द्वारा 10 लाख से ज्यादा भारतीयों को स्वदेश वापस लाया गया है.
अपने सामर्थ्य में विश्वास के बल पर हमने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अन्य देशों की ओर भी मदद का हाथ बढ़ाया है.
अन्य देशों के अनुरोध पर दवाओं की आपूर्ति कर हमने एक बार फिर ये सिद्ध किया है कि भारत संकट की घड़ी में विश्व समुदाय के साथ खड़ा रहता है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता के लिए हाल ही में संपन्न चुनावों में मिला भारी समर्थन भारत के प्रति व्यापक अंतरराष्ट्रीय सद्भावना का प्रमाण है.
चीन पर निशाना
आज विश्व समुदाय वसुधैव कुटुम्बकम अर्थात समस्त विश्व एक ही परिवार की उस मान्यता को स्वीकार करता है कि जिसका उद्घोष हमारी परंपरा में बहुत पहले ही कर दिया गया था. लेकिन आज जब विश्व समुदाय के समस्त आई सबसे बड़ी चुनौती से एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है, तब हमारे पड़ोसी ने अपनी विस्तारवादी गतिविधियों को चालाकी से अंजाम देने का दुस्साहस किया.
यद्यपि हमारी आस्था शांति में हैं फिर भी यदि कोई अशांति उत्पन्न करने की कोशिश करेगा तो उसे माकूल जवाब दिया जाएगा.
महामारी से मिले अवसर
प्रकृति रूपी जननी की दृष्टि में हम सब एक समान हैं. तथा अपने जीवन के विकास और उसकी रक्षा के लिए हम अपने आसपास के लोगों पर निर्भर हैं. कोरोना वायरस मानव समाज द्वारा बनाए गए कृत्रिम विभाजनों को नहीं मानता. इससे ये विश्वास उत्पन्न होता है कि मनुष्यों द्वारा उत्पन्न किए गए हर प्रकार के पूर्वाग्रह और सीमाओं से हमें ऊपर उठने की आवश्यकता है.
यह विश्वास स्वास्थ्य सेवा को और मजबूत करने से जुड़ा है. सार्वजनिक अस्पतालों और और प्रयोगशालों ने कोविड-19 का सामना करने में अग्रणीय भूमिका निभाई हैं. इन्हें और मजबूत बनाना होगा.
इसके साथ ही राष्ट्रपति ने पेशेवर काम और सामाजिक ताने बाने में आईटी के बढ़ते प्रभाव का भी जिक्र किया. उन्होंने बताया कि कैसे लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद भी ज्यादातर काम वर्चुअल तरीके से हो रहा है. उन्होंने इसे बदलती दुनिया का अवसर करार दिया. नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को बड़ा परिवर्तन बताते हुए उन्होंने भारतीय युवाओं के लिए नए अवसर पैदा करने का एलान किया.
राम मंदिर का जिक्र
अपने राष्ट्र के नाम संबोधन के आखिर में कोविंद ने अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास का भी जिक्र किया. आम तौर राष्ट्रपति के संबोधन में ऐसे पंथ विशेष से जुड़े धार्मिक अनुष्ठानों का जिक्र नहीं होता है. लेकिन इस बार हुआ. राष्ट्रपति ने कहा, "केवल दस दिन पहले अयोध्या में राम मंदिर का निर्णाण शुरू हुआ है. यह हम सबके लिए गर्व की बात है और मैं समस्त देशवासियों को इसके लिए बधाई देता हूं.”
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