राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने मारीन ले पेन को हराया
२४ अप्रैल २०२२मतदान खत्म होने के बाद जारी एक्जिट पोल में उन्हें करीब 58.5 प्रतिशत वोट मिले हैं. मारीन ले पेन को 41.5 प्रतिशत वोट मिले. पांच साल पहले हुए चुनावों में इमानुएल माक्रों को 66 प्रतिशत वोट मिले थे और उन्होंने मारीन ले पेन को बड़े अंतर से हराया था. इस बार अंतर कम होने की संभावना पहले से ही थी, लेकिन बहुत से लोग ले पेन की जीत के कयास भी लगा रहे थे.
इसलिए 44 वर्षीय माक्रों की जीत पर फ्रांस और यूरोप के मध्यमार्गी लोगों ने राहत की सांस ली है. मारीन ले पेन की यूरोप विरोधी नीतियों के कारण भी यूरोप के दूसरे देशों में भी आशंकाएं थीं.
2002 में तत्कालीन राष्ट्रपति ज़ाक शिराक की दोबार जीत के बाद ये पहला मौका है जब किसी फ्रांसीसी राष्ट्रपति को मतदाताओं ने दूसरा कार्यकाल सौंपा है. माक्रों की जीत को यूरोप के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है. ले पेन की जीत ने यूरोपीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जर्मनी और फ्रांस के सहयोग को भी खतरे में डाला होता. यूरोप में फ्रांस और जर्मनी का सहयोग यूरोपीय विकास का मोटर माना जाता है.
अब उम्मीदवार नहीं सबका राष्ट्रपति
चुनावी जीत के बाद समर्थकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति माक्रों ने स्वीकार किया, "मुझे पता है कि हमारे बहुत से देशवासियों ने मुझे इसलिए वोट दिया कि वे उग्र दक्षिणपंथ के विचार को रोकना चाहते थे, न कि मेरे विचारों का समर्थन करना चाहते थे." माक्रों ने कहा, "मुझे पता है कि उनका वोट मुझे आने वाले वर्षों के लिए कर्तव्यबद्ध करता है."
इमानुएल माक्रों ने अपने विरोधी मारीन ले पेन के वोटरों को संबोधित किया और उन्हें भी अपने पक्ष में लाने की पहल की. माक्रों ने कहा, "जिस आक्रोश और असहमति ने आपको इस प्रोजेक्ट के लिए वोट करने को प्रेरित किया, उसका भी जवाब पाना होगा. ये मेरी और मेरे आसपास के लोगों की जिम्मेदारी होगी." राष्ट्रपति ने कहा कि अब मैं एक पक्ष का उम्मीदवार नहीं, सब लोगों का राष्ट्रपति हूं.
समर्थकों का जश्न तो विरोधी दुखी
फ्रांसीसी राष्ट्रपति के समर्थकों ने राजधानी पेरिस के मशहूर आइफेल टावर के निकट अपने उम्मीदवार की जीत का जश्न मनाया. डीजे द्वारा बजाए जा रहे इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक पर माक्रों के हजारों युवा समर्थक फ्रांस और यूरोपीय संघ के झंडे लहरा रहे थे और नाच गा रहे थे. इसी जगह पर राष्ट्रपति माक्रों जीत की घोषणा के करीब डेढ़ घंटे बाद पहुंचे और अपने समर्थकों तथा देशवासियों को संबोधित किया.
पहले चरण के चुनाव में उम्मीदवार रहे उग्र दक्षिणपंथी उम्मीदवार एरिक सेमूर ने चुनावों में मारीन ले पेन की हार के बाद जून में होने वाले संसदीय चुनावों के लिए दक्षिणपंथी गठबंधन की मांग की है. उन्होंने कहा कि संसदीय चुनाव से पहले के हालात मांग कर रहे हैं कि राष्ट्रवादी गठबंधन बनाया जाए. उन्होंने कहा कि अगली संसद में हमें प्रमुख ताकत होना चाहिए.
संसदीय चुनावों को फ्रांसीसी राष्ट्रपति चुनावों का तीसरा चरण माना जाता है. अब सबकी निगाहें संसदीय चुनावों पर हैं जो राष्ट्रपति चुनावों की ही तरह 12 और 19 जून को दो चरणों में होंगे.
जर्मन चांसलर की बधाई
चुनाव के अंतिम नतीजे अभी नहीं आए हैं, फिर भी राष्ट्रपति माक्रों को साथी सरकार प्रमुखों की बधाईयां मिलने लगी हैं. जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने इमानुएल माक्रों की जीत को यूरोप के लिए समर्थन की अभिव्यक्ति बताया है.
माक्रों को बधाई देते हुए शॉल्त्स ने कहा, "तुम्हारे मतदाताओं ने यूरोप के लिए जोरदार समर्थन व्यक्त किया है. मुझे खुशी है कि हम अपना अच्छा सहयोग जारी रखेंगे."
जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर ने माक्रों को बधाई संदेश में लिखा है कि आपकी जीत हम जर्मनों के लिए भी खुशी की बात है. जटिल होती आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय स्थिति का मुकाबला तथाकथित आसान जवाबों से नहीं, बल्कि सिर्फ स्पष्ट राजनीतिक इरादे से किया जा सकता है.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन ने माक्रों को फिर से चुने जाने पर बधाई देते हुए अपने देश का निकट सहयोगी बताया है. बेल्जियम के प्रधानमंत्री अलेक्जांडर डे क्रू ने माक्रों की जीत को अतिवाद के खिलाफ संघर्ष में एक संकेत बताया है.