राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान पर कौन देश कितना संवेदनशील
अमेरिका में फुटबॉल के पेशेवर एनएफएल खिलाड़ी राष्ट्रगान के समय सही मुद्रा में खड़े ना रहने के कारण राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के निशाने पर हैं. देखिए राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज जैसे प्रतीकों पर किस देश में है कितनी सख्ती.
इस्राएल
इस्राएल की 20 फीसदी अरब आबादी का यहूदी राष्ट्र के राष्ट्रीय प्रतीकों से जुड़ाव नहीं है. इनकी राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के अरब खिलाड़ी भी मैच के पहले और इस्राएली संसद के लिए चुनी गयी एक सांसद भी शपथ से पहले राष्ट्रगान गाने को लेकर आपत्ति कर चुके हैं. इन राष्ट्रीय प्रतीकों को ना मानने वालों में एंटी-जायनिस्ट जैसे अति-रूढ़िवादी यहूदी संप्रदाय के लोग भी हैं, जो सेना में अनिवार्य भर्ती के भी खिलाफ हैं.
चीन
चीनी राष्ट्रगान "मार्च ऑफ द वॉलंटियर्स" को लेकर हॉन्ग कॉन्ग जैसे अर्धस्वायत्त क्षेत्रों में विवाद रहता है. चीन के साथ हॉन्ग कॉन्ग के खेल मुकाबलों के दौरान अक्सर फैन्स के बीच तनाव का माहौल दिखता है. बीजिंग सरकार ने सितंबर 2017 में ही राष्ट्रगान के गलत इस्तेमाल पर 15 दिनों की जेल की सजा का प्रावधान बना दिया है. हॉन्ग कॉन्ग के मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे फ्रीडम ऑफ स्पीच पर रोक बता रहे हैं.
रूस
सन 2000 में रूस का राष्ट्रपति बनते ही व्लादिमीर पुतिन 1991 से चले आ रहे राष्ट्रगान की जगह सोवियत एंथम को ले आये. चूंकि मूल सोवियत एंथम में कोई बोल नहीं होते थे, इसलिए पुतिन ने मूल सोवियत एंथम लिखने वाले कवि सर्गेई मिखालकोव को ही फिर से उसके लिए नये बोल लिखने का काम सौंपा. उदारवादी नेता और मीडिया इस कदम को रूस की सोवियत मूल्यों की ओर लौटने और सुधारवाद को नजरअंदाज करने की कोशिश बताते हैं.
स्पेन
स्पेन के कैटेलोनिया प्रांत में अलग "एस्टेलाडा" झंडा चलता है और इसी झंडे के तले वे अपने लिए आजादी की मांग करते आये हैं. यह झंडा आधिकारिक कातालान झंडे का ही थोड़ा अलग रूप है. यूरोप में फुटबॉल की गवर्निंग बॉडी कई बार क्लब बार्सिलोना पर इसलिए जुर्माना लगा चुकी है क्योंकि स्टेडियम में उनके समर्थन इन्हीं झंडों के साथ कैटेलोनिया की आजादी के नारे लगाते हैं, जैसा कि 2015 के चैंपियंस लीग मुकाबले में हुआ.
जापान
जापान का राष्ट्रगान "किमिगायो" एक प्राचीन कविता से लिया गया है, जो सम्राट को समर्पित थी. इस विवादित गीत को लेकर कई बार राजनीतिक बहसें छिड़ीं हैं क्योंकि इसमें सम्राट की तारीफ करते हुए जापान के युद्धकालीन सैन्यवाद का समर्थन है. 1999 में दक्षिणपंथी सरकार ने इसे राष्ट्रगान घोषित किया. कुछ कालेजों में ग्रेजुएशन सेरेमनी में राष्ट्रगान के समय छात्रों, शिक्षकों के खड़े होकर इसे ना गाने के कारण बवाल हुआ.
जर्मनी
जर्मनी में नाजी काल के स्वास्तिक चिह्न वाले लाल, काले और सफेद रंगों वाले झंडे के प्रदर्शन पर रोक है. दूसरे नाजी प्रतीकों, नाजी सैल्यूट इत्यादि पर भी. इसका उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान है. कई बार जर्मनी घूमने आने वाले विदेशी पर्यटक ऐसा करने के कारण मुश्किल में पड़ चुके हैं. जैसे हाल ही में एक अमेरिकी और दो चीनी पर्यटकों को सार्वजनिक रूप से नाजी सलाम करने के कारण लंबी पुलिस जांच से गुजरना पड़ा.
भारत
भारतीय कानून में तो ऐसा नहीं लिखा है लेकिन 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रगान के समय सबको खड़े होने का निर्देश दिया. सिनेमाघरों में भी फिल्म के पहले राष्ट्रगान बजाने और सभी को "सम्मान में खड़े होने" का आदेश है. तिरंगा जलाने या किसी तरह उसका अपमान करने पर 3 साल तक की जेल हो सकती है. भारत का गलत मानचित्र बनाने या छापने पर 1.5 करोड़ डॉलर के जुर्माने और 7 साल की जेल की सजा का भी मसौदा तैयार हुआ है.
मिस्र
2014 में मिस्र का राष्ट्रपति बनने वाले सेना के पूर्व जनरल अब्देल फतह अल-सीसी ने राष्ट्रभक्ति को शासन के केंद्र में ला दिया. वे अपने भाषण खत्म करते हुए तीन बार "लॉन्ग लिव इजिप्ट!" का नारा देते हैं. राष्ट्रवाद, देशभक्ति का प्रदर्शन आम हो गया है. पहली बार सरकारी विश्वविद्यालयों में छात्रों ने झंडे को सलाम कर और राष्ट्रगान गा कर नयी क्लास की शुरुआत की. देश के राष्ट्रवादी मीडिया ने इसकी खूब तारीफ की.
इंडोनेशिया
मलेशिया को हाल ही में इंडोनेशिया से माफी मांगनी पड़ी, जब एक समारोह में इंडोनेशियाई झंडा उल्टा छप गया था. उल्टा होते ही उनका झंडा पोलैंड का राष्ट्रीय ध्वज लगने लगा. इससे नाराज इंडोनेशिया में "शेमऑनयूमलेशिया" के नारे वाला ट्विटर हैशटैड खूब चला. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने मलेशिया से मांफी की मांग की लेकिन इस गलती को और ना बढ़ाये चढ़ाये जाने की अपील भी की.
फ्रांस
लंबे समय से इस पर विवाद है कि सॉकर खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय मैचों में राष्ट्रगान गाना चाहिये या नहीं. ज्यादातर फ्रेंच खिलाड़ी नहीं गाते लेकिन इसका कारण कोई राजनीतिक विरोध जर्ज कराना नहीं बल्कि बेपरवाही होता है. फ्रांस में मजबूत होते अति दक्षिणपंथी धड़े इसे मुद्दा बनाते रहते हैं. हाल के समय में कई बार आतंकियों का निशाना बने फ्रांस में धीरे धीरे झंडे और राष्ट्रगान को लेकर आसक्ति बढ़ती दिख रही है.