रुतबा, ताकत और पैसा: कितने जी सह पायेगी दुनिया?
जी20, जी7, जी77. इतने सारे जी. दुनिया में जी संगठनों की सूची लंबी है. जी का मतलब ग्रुप से है. सदस्य देशों का वह ग्रुप जो अपने साझा लक्ष्यों का दुनिया भर में प्रतिनिधित्व करना चाहता है.
जी20: आर्थिक तौर पर मजबूत देश
हालांकि इन देशों की मुलाकात अनौपचारिक होती है लेकिन जी20 के देश जो फैसला लेते हैं उसमें वजन होता है. दुनिया के 20 औद्योगिक और विकासशील देश वैश्विक उत्पादन के 90 फीसदी हिस्से के लिए जिम्मेदार हैं और इस तरह वे अंतरराष्ट्रीय कारोबार, वैश्विक विकास और जलवायु परिवर्तन को भी प्रभावित करते हैं. जी 20 का गठन जी7 देशों ने किया है.
जी7: एक्सक्लूसिव क्लब
सात पश्चिमी औद्योगिक देशों के नेताओं ने इस संगठन के साथ आपस में बातचीत और सलाह मशविरा का अनौपचारिक मंच बनाया है. दुनिया का हर दसवां नागरिक किसी जी7 देश में रहता है. सदस्य देश एक तिहाई उत्पादन करते हैं और एक चौथाई ग्रीनहाउस गैस पैदा करते हैं.
जी8: झगड़े में टूटा
शीत युद्ध की समाप्ति के सालों बाद रूस को जी7 में शामिल कर लिया गया था. जी7 जी8 बन गया और 2014 तक रहा. यूक्रेन के क्रीमिया इलाके को अपने साथ मिलाने के कारण रूस को इस अनौपचारिक संस्था से निकाल दिया गया. 2005 में पर्यावरण और विकास के मुद्दों पर चर्चा के लिए ब्राजील, चीन, भारत, मेक्सिको और दक्षिण अफ्रीका के साथ जी8+5 मंच बना.
जी10: कर्जदाता देश
11 औद्योगिक देश अमेरिका, इटली, जापान, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैंड्स, स्वीडन और स्विट्जरलैंड अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अंदर दस का ग्रुप बनाते हैं. वे मुद्रा कोष को अतिरिक्त कर्ज उपलब्ध कराते हैं और मुश्किल में फंसे देशों को कर्ज देने के फैसले में हिस्सेदार होते हैं.
जी15: दक्षिण दक्षिण सहयोग
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अपना असर बढ़ाने के लिए 1989 में 15 विकासशील देशों ने 15 देशों के समूह का गठन किया. अब इस समूह में 17 सदस्य हैं और वे 2 अरब की आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं. वे आपसी सहयोग के जरिये दक्षिण और दक्षिण के बीच विकास और आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देते हैं.
जी77: गरीबों का ग्रुप
इसलिए कि सिर्फ धनी देश ही संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक आर्थिक नीति पर फैसला न करें, विश्व व्यापार सम्मेलन में 77 विकासशील देशों ने साथ मिलकर काम करने का फैसला किया. इस समय जी77 में 134 सदस्य हैं, लेकिन उनका असर अभी भी मामूली है. इसके दो बड़े सदस्य भारत और चीन जी20 के भी सदस्य हैं.