रूसी गैस बंद हुई तो कोयला जलाकर मिलेगी जर्मनी को बिजली
२४ मई २०२२जर्मनी की सरकार ने कहा है कि अगर ऐसा हुआ तो बिजली के उत्पादन में गैस का इस्तेमाल घटा कर कोयले का इस्तेमाल बढ़ा दिया जायेगा. जर्मनी में आर्थिक मामलों के मंत्रालय ने मंगवार को यह जानकारी दी. मंत्रालय का कहना है कि कोयले से चलने वाले बिजलीघरों को स्टैंडबाइ मोड में रखा गया है साथ ही लिग्नाइट से चलने वाले बिजली घरों को भी. गैस से चलने वाले बिजली घरों के बंद होने की स्थिति में इन्हें तुरंत चालू कर दिया जाएगा.
कोयले से चलने वाले बिजली घर बंद होंगे
हालांकि सरकार का यह भी कहना है कि कोयले से चलने वाले बिजली घरों को 2030 तक एक-एक करके पूरी तरह बंद करने की अपनी योजना पर आगे बढ़ती रहेगी. मंत्रालय का कहना है कि स्टैंडबाई मोड में जब तक ये संयंत्र रहेंगे तब तक अतिरिक्त ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं होगा.
मंत्रालय का कहना है कि कोयले और लिग्नाइट की आपात स्थिति में इस्तेमाल के लिए जमीनी कार्य शुरु करने का प्रस्ताव दूसरे विभागों को भी सलाह मशविरे के लिए भेजा जयेगा. मंत्रालय के मुताबिक, जर्मनी में बिजली उत्पादन में गैस की हिस्सेदारी पिछले साल करीब 15 फीसदी थी. हालांकि अब यह हिस्सा और घटने की उम्मीद जताई जा रही है. जर्मनी में कुल जीवाश्म ईंधन का जितना आयात होता है उसमें आधा हिस्सा केवल गैस का है.
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यूक्रेन युद्ध का असर
यूक्रेन की लड़ाई का जर्मनी में ईंधन की सप्लाई और कीमतों पर नाटकीय असर हुआ है. यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, जर्मनी में उत्पादन का क्षेत्र काफी बड़ा है. ऐसे में उस पर सबसे ज्यादा असर होने की भी आशंका जताई जा रही है. दक्षिण अफ्रीका की यात्रा के दौरान जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा कि ईंधन की कीमतों में बढ़ोत्तरी को सीमित करने की कोशिशें की जा रही हैं.
डीडब्ल्यू से बातचीत में ओलाफ शॉल्त्स ने कहा, "हम तेल और गैस की सप्लाई करने वाले सभी देशों से बातचीत कर रहे हैं और हम उन्हें मना रहे हैं कि वो अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ायें ताकि वैश्विक बाजार की मदद की जा सके." शॉल्त्स का यह भी कहना है कि केवल सब्सिडी से बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण नहीं हो सकेगा.
जर्मनी तेल और गैस के आयात के लिए बीते सालों में रूस पर बहुत ज्यादा निर्भर रही है. यूक्रेन युद्ध के बाद इस निर्भरता को घटाने के लिए कोशिशें शुरू हुई हैं लेकिन इसके लिए बुनियादी ढांचा तैयार करने में थोड़ा वक्त लगेगा. रूस से सप्लाई एकाएक बंद करने के कई नकारात्मक नतीजे हो सकते हैं जिसमें फैक्ट्रियों के बंद होने से बेरोजगारी का बढ़ना सबसे बड़ा है जिसे सरकार फिलहाल टालना चाहती है. हालांकि जर्मन सरकार ने कई तरह से कोशिशें शुरू कर दी है. एक तरफ वैकल्पिक ईंधन की ओर ध्यान दिया जा रहा है तो दूसरी तरफ नये सप्लायरों की तलाश भी शुरू कर दी गई है.
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जर्मनी पहले से ही परमाणु बिजली घरों को बंद करने की मुहिम चला रहा है. इस मुहिम में बंद हुए परमाणु घरों की बिजली अब गैस और कोयले से चलने वाले बिजली घरों से जुटाई जा रही थी. इसके बाद अब कोयले से चलने वाला बिजली घर भी कार्बन उत्सर्जन के कारण बंद करना है. समझना मुश्किल नहीं है कि एक के बाद एक अलग अलग ऊर्जा विकल्पों की ओर जाने की परेशानी इतनी आसानी से हल नहीं होगी.
एनआर/आरएस (डीपीए)