लश्कर और जैश पर अमेरिकी प्रतिबंध
५ नवम्बर २०१०एक आधिकारिक बयान के मुताबिक अमरेका के वित्त मंत्रालय ने चीमा पर कार्रवाई की है. आजम चीमा ने 26 नवंबर 2008 के मुंबई हमलों के आतंकवादियों को ट्रेनिंग देने में मदद की. वह जुलाई 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए बम धमाकों की योजना बनाने वालों में भी शामिल बताया जाता है.
अमेरिका ने यह कदम अपने राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा से कुछ ही घंटे पहले उठाया है. भारत की यह मांग रही है कि अमेरिका पाकिस्तान पर आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को लेकर दबाव बनाए. अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ इस जंग में खुद को गंभीर दिखाना चाहता है. इसी मकसद से बराक ओबामा भारत यात्रा में सबसे पहले मुंबई जाएंगे जहां वह उसी ताज होटल में रुकेंगे जिस पर 26 नवंबर 2008 को आतंकवादियों ने हमला किया था.
ताजा कार्रवाई में अमेरिका ने दोनों आतंकी संगठनों को आर्थिक मदद पहुंचाने वाले नेटवर्क को निशाना बनाया है. इसके अलावा लश्कर ए तैयबा के राजनीतिक मामलों के प्रमुख हाफिज अब्दुल रहमान मक्की के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है. साथ ही जैश-ए-मोहम्मद के मुखौटे के तौर पर काम करने वाले अल रहम ट्रस्ट और संगठन के प्रमुख मसूद अजहर अल्वी पर को भी प्रतिबंधों के दायरे में लाया गया है.
अमेरिका के आतंकवाद और वित्तीय खुफिया विभाग के अवर सचिव स्टुअर्ट लेवी ने कहा, "लश्कर और जैश ने मासूम नागरिकों पर हमला करने की इच्छा और काबलियत साबित की है. आज की कार्रवाई इन खतरनाक संगठनों के कामकाज और वित्तीय नेटवर्क को तोड़ने की दिशा में अहम कदम साबित होगी."
लश्कर-ए-तैयबा का संबंध ओसामा बिन लादेन के संगठन अल कायदा से भी बताया जाता है. मई 2005 में इसे पहली बार आतंकवादी संगठन घोषित किया गया. आजम चीमा इस संगठन में अहम भूमिका निभाता है. उसे संगठन के खुफिया तंत्र का प्रमुख कहा जाता है. वह खासतौर पर बम बनाने की ट्रेनिंग देने और भारत में घुसने के तरीके सिखाने का काम करता है. बताया जाता है कि मुंबई में हमला करने वाले आतंकियों को भी उसी ने ट्रेनिंग दी थी.
लश्कर के राजनीतिक और विदेश विभाग का कामकाज देखने वाला हफीज मक्की संगठन के लिए पैसा जुटाने का काम करता है. अमेरिकी वित्त मंत्रालय के मुताबिक 2007 में उसने एक ट्रेनिंग कैंप को लगभग दो लाख 48 हजार डॉलर दिए. लश्कर से जुड़े एक मदरसे को उसने एक लाख 64 हजार डॉलर मुहैया कराए.
जब 2002 में जैश-ए-मोहम्मद को बैन कर दिया गया तो उसने रहमत ट्रस्ट के नाम से काम करना शुरू कर दिया. इस ट्रस्ट ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों के लिए काफी मदद मुहैया कराई है. 2009 में इस ट्रस्ट के सदस्य अफगानिस्तान में छात्रों को आतंकवादी कार्रवाइयों के लिए भर्ती करने गए.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए कुमार