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लीबियाई विद्रोहियों से मिले चीनी राजनयिक

७ जून २०११

चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उसके एक राजनयिक ने लीबियाई शहर बेनगाजी का दौरा किया और वहां विद्रोहियों के संगठन नेशनल ट्रांजिशनल काउंसिल के नेताओं से मुलाकात की. चीन का पलड़ा भी विद्रोहियों की तरफ झुकता दिख रहा है.

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Libyan boys flash victory signs as they wave Libyan pre-Gadhafi flags while riding a pickup truck in Benghazi, Libya, Wednesday, March 30, 2011. Rebels retreated Wednesday from the key Libyan oil port of Ras Lanouf along the coastal road leading to the capital Tripoli after they came under heavy shelling from ground forces loyal to leader Moammar Gadhafi. In a dramatic move Libya's Foreign Minister Moussa Koussa arrived in the UK late Wednesday and is resigning from his post, according to Britain's Foreign Office. (Foto:Altaf Qadri/AP/dapd)
विद्रोहियों का गढ़ है बेनगाजीतस्वीर: AP

विदेश मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान में कहा कि मिस्र में रह रहे चीन के एक राजनयिक लीबिया गए ताकि वह "लीबिया में मानवीय स्थिति और चीनी निवेश से चल रही कंपनियों का ब्यौरा ले सकें." राजनयिक ने विद्रोहियों की राष्ट्रीय परिषद के नेताओं से भी मुलाकात की.

कुछ ही दिन पहले चीन की सरकार ने घोषणा की थी कि कतर में उसके राजदूत ने विद्रोहियों के नेता मुस्तफा अब्दुल जलील से मुलाकात की. चीन ने अब तक नहीं माना है कि वह लीबिया के युद्ध में किसी एक पक्ष का समर्थन करता है लेकिन उसके ताजा बयान से साफ होता है कि लीबियाई नेता कर्नल मुअम्मर गद्दाफी लगातार विश्व समुदाय में समर्थन खो रहे हैं.

चीन की सरकार गद्दाफी के करीब तो कभी नहीं रही लेकिन उसने मध्यपूर्व और अरब देशों में संघर्ष के दौरान किसी भी एक देश का समर्थन नहीं किया है और न ही खुले आम किसी भी पक्ष का विरोध किया है. पिछले साल चीन को अपना ज्यादातर कच्चा तेल इस इलाके से आयात करना पड़ा. मार्च में लीबिया पर कार्रवाई को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के फैसले के दौरान भी चीन ने वोट डालने से इनकार कर दिया था. सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने की हैसियत से चीन लीबिया में पश्चिमी देशों की कार्रवाई को रोक भी सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया.

वैसे चीन लीबिया में कार्रवाई के विस्तार के खिलाफ रहा है और लगातार युद्धविराम की मांग कर रहा है. उसका कहना है कि सरकार और विद्रोहियों के बीच वह एक राजनीतिक समझौता करा सकता है. चीन ने लीबिया के अलावा मिस्र और ट्यूनीशिया की नई सरकारों के साथ भी बेहतर संबंध बनाने की कोशिश शुरू कर दी हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी

संपादनः ए कुमार

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