विदेश से आए टिड्डों ने अफ्रीका में कोहराम मचाया
१६ फ़रवरी २०१७खास किस्म के टिड्डों ने जाम्बिया, जिम्बाब्वे, दक्षिण अफ्रीका और घाना में बड़े पैमाने पर फसल बर्बाद कर दी है. अब मलावी, मोजाम्बिक और नामीबिया से भी व्यापक नुकसान की खबरें आ रही हैं. लगातार बिगड़ते हालात के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने जिम्बाव्वे की राजधानी हरारे में आपात बैठक की है.
विशेषज्ञों के मुताबिक यह पहला मौका है जब सब सहारा देशों में टिड्डी दलों ने इतने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है. यह टिड्डे फसल चट करते समय उसमें लार्वा छोड़ देते हैं. 7 से 12 दिन के भीतर लार्वा विकसित टिड्डे में बदल जाते हैं. और सारा खेल आगे बढ़ने लगता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक एक महीने में नए टिड्डों की टोली 1,000 किलोमीटर की यात्रा कर सकती है.
टिड्डी दल के लाखों टिड्डे एक साथ खेत पर हमला करते हैं. ये धान, गेंहू, मक्का और ज्वार की फसल को चट कर जाते हैं. ये फसलें दक्षिणी और पूर्वी अफ्रीका का मुख्य आहार हैं. दशकों के सूखे के चलते इन इलाकों में किसानों की हालात पहले से ही खराब थी. टिड्डी दल के हमले ने उन पर और करारी चोट की है.
FAO के दक्षिणी अफ्रीका के कॉर्डिनेटर डेविड फिरी कहते हैं, "किसी को नहीं पता कि ये अफ्रीका कैसे पहुंचे. इसीलिए किसानों को पता ही नहीं है कि इनसे कैसे निपटा जाए." 2016 में पहली बार यह टिड्डे नाइजीरिया और टोगो में देखे गये थे. विशेषज्ञों को आशंका है कि दक्षिण अमेरिका या दुनिया के दूसरे हिस्सों से ये टिड्डे विमान के जरिये अफ्रीका पहुंचे. अफ्रीका में कोई प्राकृतिक दुश्मन न होने के कारण इनकी संख्या बढ़ती गई.
टिड्डों से निपटने के लिए अब 13 देशों के विशेषज्ञ साझा योजना बना रहे हैं. जिम्बाब्वे में तीन दिन तक चलने वाली बैठक में अलग अलग किस्म के कीटनाशकों पर चर्चा होगी.
जिम्बाब्वे के कृषि मंत्री डेविस मारापिरा के मुताबिक दिसंबर 2016 के मध्य में यह समस्या शुरू हुई. टिड्डी दल अब तक देश के 10 जिलों की फसल चौपट कर चुका है. मारापिरा के मुताबिक, "सरकार रसायन और स्प्रे करने वाले उपकरण खरीदने में किसानों की मदद कर रही है." कीटनाशक का छिड़काव इन टिड्डों के खिलाफ कारगर होता है. लेकिन अगर टिड्डे रसायनों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता हासिल कर गए तो समस्या ज्यादा विकराल और अंतहीन सी हो जाएगी. FAO के फिरी कहते हैं, "छिड़काव से कीड़ों की कम संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है. लेकिन संख्या ज्यादा हुई तो नियंत्रण करना काफी मुश्किल होगा. ऐसे में अलग अलग तरीके अपनाने पड़ेंगे, जिनमें एक साथ पूरी फसल को जलाना भी शामिल है."
(बड़े काम के कीड़े)
ओएसजे/एमजे (एएफपी)