जम्मू-कश्मीर को 100 अरब रुपये का आर्थिक नुकसान
१९ नवम्बर २०१९भारत ने अगस्त में राज्य का विशेष दर्जा खत्म कर जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेश में बदलने का फैसला लिया था. सरकार ने अपने इस फैसले को लागू करते वक्त दलील दी थी कि इससे क्षेत्र में पाकिस्तान द्वारा चरमपंथियों को बढ़ावा दिए जाने पर लगाम लगेगा और विकास होगा. लेकिन कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (केसीसीआई) ने कहा कि विकास की बात सिर्फ मुद्दों से भटकाने वाली है. संगठन का कहना है कि क्षेत्र में कर्फ्यू जैसे हालात की वजह से लोगों ने विरोध जताते हुए बाजार और व्यवसाय बंद कर दिए. स्थानीय व्यवसायियों ने विद्रोहियों के भय से भी कारोबार बंद कर दिया.
संगठन के उपाध्यक्ष नासिर खान कहते हैं कि इस वजह से कम से कम 100 अरब रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है. यह नुकसान अभी और ज्यादा बढ़ने की संभावना है. खान ने कहा, "हम कोर्ट से अनुरोध करेंगे कि इस नुकसान के आकलन के लिए एक बाहरी एजेंसी को नियुक्त किया जाए क्योंकि हम इसका पूरी तरह आंकलन नहीं कर सकते हैं." उन्होंने आगे कहा कि क्षेत्र में टेलिफोन बंद होने की वजह से संगठन सभी व्यवसायियों से संपर्क नहीं कर पाया. उन्हें अपने कर्मचारियों को जानकारी इकट्ठा करने के लिए भेजना पड़ा. इस पूरे मामले पर भारतीय गृह मंत्रालय और स्थानीय सरकारी अधिकारियों ने किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी.
न टेलिफोन न इंटरनेट
अपने फैसले को लागू करने से पहले भारत सरकार ने इस क्षेत्र में टेलिफोन सेवाओं को बंद करवा दिया था. पर्यटकों को राज्य से बाहर निकाल दिया गया था और सुरक्षा के मद्देनजर काफी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती कर दी गई थी. हाल के दिनों में कई पाबंदियों को हटा लिया गया है लेकिन अभी भी कई इलाकों में इंटरनेट सेवा शुरू नहीं हुई है.
वर्ष 1947 में ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिलने के बाद से ही कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद रहा है. दोनों देशों के पास इस क्षेत्र के एक हिस्से पर नियंत्रण है लेकिन वे पूरे क्षेत्र पर अपना दावा जताते हैं. भारत अपने नियंत्रण वाले कश्मीर में दशकों से विद्रोह का सामना कर रहा है. भारत इसके पीछे पाकिस्तान का हाथ बताता है लेकिन पाकिस्तान इससे पूरी तरह इनकार करता है. पाकिस्तान यह कहता है कि वह सिर्फ अहिंसक अलगाववादियों का नैतिक समर्थन करता है.
अनिश्चितता का माहौल
कर्फ्यू और बंदी की वजह से क्षेत्र में पर्यटन के साथ-साथ खेती, बागवानी और कला-शिल्प पर भी प्रभाव पड़ा. वजह ये है कि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था इन्हीं चीजों पर टिकी है. कश्मीर के मुख्य शहर श्रीनगर में होटल चलाने वाले विवेक वजीर कहते हैं, "मुझे यहां कई महीनों तक कोई स्थिरता दिखाई नहीं देती है. यहां काफी ज्यादा अनिश्चितता का माहौल है." कुछ साल पहले वजीर ने कश्मीर में अपने व्यापार को बढ़ाने की योजना बनाई थी. लेकिन अब उन्हें इस होटल को चलाने में ही काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है. अब वे पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में होटल खोलने पर विचार कर रहे हैं.
अक्टूबर महीने में कश्मीर में निवेशकों का एक सम्मेलन होना था लेकिन केंद्र सरकार ने इसे रद्द कर दिया. हाल के कुछ सप्ताह में कश्मीर में बाहरी लोगों पर हमले हुए हैं. पुलिस ने इन हमलों के पीछे पाकिस्तान समर्थित चरमपंथियों का हाथ बताया है. हमले की वजह से पर्यटक क्षेत्र में जाने से हिचकिचा रहे हैं. खान कहते हैं, यदि कोई निवेशक यहां आता है तो मुझे काफी आश्चर्य होगा क्योंकि जिन निवेशकों के आने की संभावना थी, उन्होंने अगस्त के बाद से केसीसीआई से किसी तरह का संपर्क नहीं किया है."
आरआर/एमजे (रॉयटर्स)
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