“वैक्सीन का विरोध करने वाले वेंटिलेटर भी छोड़ दें”
२१ दिसम्बर २०२०जर्मनी में कोविड-19 के खिलाफ टीका अभियान शुरू होने से पहले एथिक्स काउंसिल के एक सदस्य और आनुवांशिकी विज्ञानी ने यह बात कही है. जर्मनी में सबसे ज्यादा बिकने वाले अखबार बिल्ड से बातचीत में ह्यूमन जेनेटिसिस्ट वोल्फराम हेन ने कहा, "जो कोई भी सीधे तौर पर टीकाकरण से इनकार कर रहा है, वह कृपया अपने साथ ये दस्तावेज भी रखे जिसमें लिखा हो, मैं टीका नहीं लगवाना चाहता हूं.”
हेन के मुताबिक ऐसे लोगों को यह भी कहना चाहिए कि, "मैं बीमारी के खिलाफ सुरक्षा को दूसरे लोगों के लिए छोड़ रहा हूं. मैं चाहता हूं कि अगर मैं बीमार हुआ तो मैं इंटेसिव केयर बेड और वेंटिलेटर को दूसरों के लिए छोड़ दूंगा. ”
विशेषज्ञों पर भरोसा रखें
जर्मनी में टीकाकरण अभियान शुरू होने से पहले उसके औचित्य पर बहस चल रही है. आबादी का एक हिस्सा टीका लेने से इनकार कर रहा है. वोल्फराम हेन मानते हैं कि वैक्सीन को लेकर आलोचनात्मक सवाल और चिंताएं वाजिब हैं. लेकिन दुनिया भर के उन रिसर्चरों पर भरोसा किया जाना चाहिए "जो अपना काम बखूबी जानते हैं.”
हेन ने कहा, "कुछ ही महीनों के भीतर क्लासिकल टाइप की कोरोना वायरस वैक्सीन भी आ जाएगी, ऐसी वैक्सीनें जो कई दशकों से इंफ्लूएंजा और हेपिटाइटिस के खिलाफ अरबों बार असरदार साबित हो चुकी हैं.”
टीकाकरण को लेकर आशंकाएं क्यों?
फिलहाल कोरोना वायरस के लिए दो वैक्सीनें इस्तेमाल की जा रही हैं. ये वैक्सीनें फाइजर-बायोनटेकऔर मॉर्डेना की हैं. दोनों वैक्सीनें एमआरए तकनीक वाली हैं. यह पहला मौका है एमआरएनए तकनीक वाली वैक्सीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है. अमेरिका में दोनों वैक्सीनों को इमरजेंसी अप्रूवल मिला है. वहीं ब्रिटेन ने अभी तक फाइजर-बायोनटेक वैक्सीन को ही इजाजत मिली है.
पहली बार एमआरएनए वैक्सीन के इस्तेमाल की वजह से भी अफवाहें फैल रही हैं. इन वैक्सीनों को साजिश बताने वाले लोग भी हैं. इस सोच की आलोचना करते हुए हेन ने कहा, "मैं ऐसे अलार्म बजाने वालों को फौरन सलाह दूंगा कि वे पास के किसी अस्पताल में जाएं और वहां आईसीयू से बुरी तरह थक कर निकल रहे डॉक्टरों और नर्सों के सामने अपनी साजिशों वाली थ्योरी पेश करें.”
कोरोना संबंधी कदमों के खिलाफ प्रदर्शन
जर्मनी में हाल के समय में कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर उठाए गए प्रशासनिक कदमों के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं. राजधानी बर्लिन समेत कुछ और शहरों में हुए इन प्रदर्शनों में अच्छी खासी संख्या में लोगों ने भाग लिया. लाइपजिग शहर में तो 20,000 से ज्यादा लोग जमा हुए.
कोरोना वायरस की दूसरी और ज्यादा बड़ी लहर के कारण जर्मनी में 16 दिसंबर से 10 जनवरी तक लॉकडाउन लागू किया गया है. लेकिन लॉकडाउन के बावजूद सप्ताहांत में बर्लिन और श्टुटगार्ट जैसे शहरों में प्रदर्शन हुए.
__________________________
हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore