व्यापार और निवेश बढ़ाएंगे भारत और ईयू
१५ जुलाई २०२०ऑनलाइन शिखर भेंट का नेतृत्व भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय संघ की ओर से यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशाएल और यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लाएन ने किया. वीडियो कॉन्फ्रेंस के बाद जारी एक बयान में दोनों पक्षों ने कहा, "उच्चस्तरीय संवाद का लक्ष्य व्यापार और निवेश समझौतों में प्रगति, व्यापार बाधाओं को दूर करना और दोनों पक्षों के व्यापारियों और निवेशकों की स्थिति सुधारने के साथ सप्लाई चेन के संबंधों पर बातचीत करना है." बयान में संतुलित, महात्वाकांक्षी और पारस्परिक लाभप्रद समझौतों, बाजार को खोलने और दोनों तरफ समान परिस्थितियां बनाने की बात की गई है, लेकिन कुछ साल पहले रुकी मुक्त व्यापार समझौता वार्ता पर कुछ नहीं कहा गया है.
भारत और ईयू को एक दूसरे की जरूरत
यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और दोनों बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने पिछले साल 115 अरब डॉलर का पारस्परिक कारोबार किया है. पिछले सालों में एक दूसरे को प्राथमिकता देने वाले व्यापारिक समझौते पर विकास की रफ्तार बहुत धीमी रही है. रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे दोनों पक्षों ने 2007 में शुरू हुए व्यापक व्यापार और निवेश समझौते की आज कोई चर्चा नहीं की. इसका मकसद कस्टम ड्यूटी को खत्म कर बाजारों में मालों की पहुंच को आसान बनाना था. ये बातचीत 2013 में रुक गई थी. विश्व की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था भारत परंपरागत रूप से वैश्विक नियमों के तहत अपने अधिकारों को लेकर बहुत रक्षात्मक रहा है, जबकि यूरोप का मुक्त व्यापार समझौता साथियों को सख्त मानकों के साथ जोड़ने की कोशिश करता है.
विश्व अर्थव्यवस्था में गिरावट, अपनी ताकत पर जोर देते चीन और अमेरिका के साथ तनावपूर्ण संबंधों की रोशनी में यूरोपीय संघ और भारत पारस्परिक हितों को पहचानने लगे हैं. उर्सुला फॉन डेय लाएन ने शिखरभेंट के बाद कहा, "यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक पार्टनर है और भारत में सबसे बड़ा निवेशक. लेकिन फिर भी व्यापार और निवेश के संबंध पूरी संभावना तक नहीं पहुंचे हैं." भारत में विदेश मंत्रालय के अधिकारी विकास स्वरूप ने कहा कि भारत घरेलू उत्पादन को वैश्विक सप्लाई चेन के साथ जोड़ना चाहता है. शिखर भेंट में जिन विषयों पर चर्चा हुई उनमें रक्षा सहयोग से लेकर कोरोना महामारी के खिलाफ संघर्ष, स्वास्थ्य सेवा, जलवायु परिवर्तन, अक्षय ऊर्जा और मानवाधिकार शामिल थे. दोनों पक्षों ने बाल मजदूरी के खात्म करने और नागरिकता कानून पर हुए प्रदर्शनों पर भी बातचीत की.
बातचीत भारत ईयू की, पृष्ठभूमि में चीन
भारत और यूरोपीय संघ ने सामुद्रिक सुरक्षा पर बातचीत शुरू करने और सैन्य और नौसैनिक सहयोग बढ़ाने का भी फैसला लिया. दोनों पक्षों ने हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और स्थायित्व की रक्षा पर जोर दिया. शिखर भेंट के बाद जारी स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप रोडमैप में यूरोपीय संघ और साथी लोकतंत्र भारत के बीच निकट सहयोग की ओर इशारा किया गया है. दोनों पक्षों ने "आजादी, खुलेपन और नौवहन में समावेशी रुख के लिए सहयोग के जरिए खासकर हिंद और प्रशांत महासागर में शांति, स्थिरता, हिफाजत और सुरक्षा के लिए साथ काम करने" की बात कही. दक्षिण चीन सागर में चीन के क्षेत्रीय दावे विवादास्पद हैं जबकि यूरोप ने हांगकांग में चीन के नए सुरक्षा कानून की कड़ी आलोचना की है. सीमा पर हुए खूनी संघर्ष के बाद भारत और चीन के संबंधों में भारी तल्खी है.
शिखर भेंट के बाद चीन पर एक पत्रकार के सवाल के जवाब में यूरोपीय आयोग की प्रमुख फॉन डेय लाएन ने कहा, "चीन और भारत दोनों ही हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं, दोनों बहुत अलग हैं. दोनों महत्वपूर्ण हैं यदि हम जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई जीतना चाहते हैं. अंतर यह है कि भारत के साथ साझा एक बात है कि हम लोकतंत्र हैं." विकास स्वरूप ने कहा कि शिखर भेंट के दौरान चीन के साथ भारत के संबंधों का मामला उठा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूरोपीय नेताओं के साथ भारत चीन संबंध पर अपने आम और मौजूदा सीमा विवाद पर विचार साझा किए. प्रधानमंत्री ने शिखर भेंट में अपनी शुरुआती टिप्पणी में कहा था, "हमारी पार्टनरशिप विश्व में शांति और स्थिरता के लिए अहम है. यह हकीकत आज की वैश्विक परिस्थितियों में और साफ हो गई है.
एमजे/आईबी (डीपीए, एएफपी)
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