व्हाइट हाउस में ओबामा ने मनाई दीवाली
१६ अक्टूबर २००९व्हाइट हाउस के ऐतिहासिक ईस्ट रूम में आयोजित किए गए ख़ास कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने कहा, "दुनिया में सबसे ज़्यादा माने जाने वाले धर्मों में एक के मतावलंबी रौशनी के इस त्योहार में बुराई पर भलाई की जीत का जश्न मनाते हैं. मुझे लगता है कि यह बिलकुल सही मौक़ा है कि दीवाली की छुट्टी से पहले हम इस हफ़्ते में यह काम करें."
यह पहला मौक़ा है, जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस में दीवाली आयोजित की हो और इसके समारोह में शामिल हुए हों. इस तरह दीवाली की अंतरराष्ट्रीय पहचान और बढ़ी है. दुनिया भर के हिन्दू, सिख और जैन इस धर्म को मूल रूप से मनाते हैं और दूसरे धर्म के लोग भी इस जश्न में शामिल होते हैं.
ओबामा ने कहा, "इस आने वाले शनिवार को यहां अमेरिका में और पूरी दुनिया में हिन्दू, जैन, सिख और कुछ बौद्ध धर्म के लोग दिया या रौशनी जला कर दीवाली मनाएंगे. यह प्रतीक है अंधकार पर उजाले की जीत की और अज्ञान पर ज्ञान के विजय की."
इस समारोह में अमेरिका में रह रहे कई महत्वपूर्ण भारतीय, ओबामा कैबिनेट के छह से ज़्यादा मंत्री और उनके प्रशासन में काम कर रहे भारतीय मूल के कई ओहदेदार शामिल हुए. अमेरिकी दौरे पर गए भारतीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा और अमेरिका में भारत की राजदूत मीरा शंकर भी इस समारोह में उपस्थित रहीं.
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित राष्ट्रपति ओबामा ने दीप जलाने से ठीक पहले कहा, "यह एक ओर जहां ख़ुशी का मौक़ा है, वहीं दूसरी ओर उन लोगों को याद करने का भी, जिन्हें इतनी ख़ुशियां नहीं मिली हैं. यह मौक़ा है कि हम उन्हें मदद देने की प्रतिबद्धता दोहराएं." इसके बाद पंडित नारायणाचार्य दिगालाकोटे ने वैदिक मंत्रोच्चार किया और इसी दौरान बराक ओबामा ने दीप प्रज्ज्वलित किया.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "हर धर्म में छुट्टी का महत्व अलग अलग है. लेकिन इस मौक़े पर हर कोई परिवार के साथ मिलता है, पूजा करता है और घरों को सजाता है. मिठाइयां बांट कर ख़ुशियां मनाता है." तालियों की गड़गड़ाहट के बीच ओबामा ने कहा, "जश्न और पूजा अर्चना के बीच मैं व्हाइट हाउस में दीप जलाते हुए बहुत ख़ुश हो रहा हूं. आप सबको दीवाली मुबारक हो."
इस मौक़े पर ओबामा ने एशियाई अमेरिकी और प्रशांत द्वीपीय (एएपीआई) सुझाव आयोग को फिर से बहाल करने का भी एलान किया. दस साल पहले बिल क्लिंटन के राष्ट्रपति रहते इस आयोग की शुरुआत हुई थी. उन्होंने कहा, "निजी तौर पर जब मैं एएपीआई समुदाय की बात करता हूं तो मैं अपने परिवार की भी बात करता हूं. मेरी बहन माया, मेरे बहनोई कोनराड, मेरी ख़ूबसूरत भांजियां सुहैला और सविता की बात करता हूं. उन लोगों की बात करता हूं, जिनके बीच इंडोनेशिया में, होनोलूलू में या हवाई में मैं बड़ा हुआ हूं."
रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल
संपादनः महेश झा