शरणार्थी समस्या पर एर्दोवान से बात करेंगे ईयू प्रमुख मिशाएल
४ मार्च २०२०यूरोपीय संघ और तुर्की के बीच शरणार्थी विवाद के और गहराने के बाद ईयू प्रमुख चार्ल्स मिशाएल आज अंकारा में तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तय्य्प एर्दोवान से मिलेंगे. इस बैठक के बाद ब्रसेल्स में सदस्य देशों के गृह मंत्री ग्रीस की सीमा पर मौजूदा स्थिति की चर्चा करेंगे जहां तुर्की से आने वाले हजारों शरणार्थी यूरोपीय संघ की सीमा में घुसने की कोशिश कर रहे हैं. इस बैठक में यूरोपीय संघ की बाहरी सीमा की सुरक्षा के लिए ग्रीस को की जा सकने वाली मदद पर चर्चा होगी. जब से तुर्की ने ईयू से लगने वाली अपनी सीमा को शरणार्थियों के लिए खोलने की घोषणा की है, ग्रीस की सीमा पर दबाव बढ़ गया है.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार कड़ाके की ठंड के बावजूद तुर्की की ओर सीमा पर हजारों शरणार्थी ग्रीस में घुसने का इंतजार कर रहे हैं. उन्हें रोकने के लिए ग्रीस की पुलिस ने कई बार चौंधियाने वाले ग्रेनेड और आंसू गैस का इस्तेमाल किया है, हालांकि मानवाधिकार कार्यकर्ता और आप्रवासन विशेषज्ञ इसका विरोध कर रहे हैं. जर्मनी की राजधानी बर्लिन में चांसलर दफ्तर के सामने हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया और शरणार्थियों के लिए यूरोपीय संघ की सीमा को खोलने की मांग की. उधर यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लाएन ने मंगलवार को ग्रीस के सीमाई इलाकों का दौरा किया और ग्रीस का समर्थन किया और उसे "यूरोपीय रक्षा कवच" बताया.
ग्रीस को मदद
शरणार्थियों की समस्या से निबटने के लिए यूरोपीय संघ ग्रीस को 70 करोड़ यूरो की मदद दे रहा है. यूरोपीय सीमा पुलिस फ्रंटेक्स ने भी अपनी सहायता बढ़ाने की बात कही है. आज ब्रसेल्स में सदस्य देशों के गृह मंत्रियों की बैठक में इस बात पर चर्चा होगी कि सदस्य देश किस तरह से ग्रीस की मदद कर सकते हैं. जर्मनी के गृह मंत्री हॉर्स्ट जेहोफर ने कहा है कि यूरोप की सीमा तुर्की से आने वाले शरणार्थियों के लिए नहीं खुली है और यही बात जर्मनी के लिए भी लागू है. ये जानकारी जर्मन गृह मंत्रालय ने अपने ट्विटर हैंडल पर अरबी और अंग्रेजी में भी दी. जर्मन ट्विटराटी की मिश्रित प्रतिक्रिया हुई है, कुछ ने इसे सख्त कदम बताया है तो कुछ ने इसका स्वागत किया है.
जर्मनी में ग्रीन पार्टी, सरकार में शामिल एसपीडी और लेफ्ट पार्टियों ने शरणार्थियों को देश में शरण देने की वकालत की है. आम तौर पर सख्त रवैया अपनाने वाले जर्मन गृह मंत्री जेहोफर ने भी ग्रीस के रिफ्यूजी कैंपों में इंतजार कर रहे बच्चों और किशोरों को जर्मनी में पनाह दैने की तैयारी व्यक्त की है. उन्होंने यूरोप के दूसरे देशों से भी ऐसा करने की अपील की, लेकिन इस मामले में सभी सदस्य देशों के एकमत होने का इंतजार नहीं करने की बात कही है. ग्रीस के रिफ्यूजी कैंप बुरी तरह भरे हैं और उनकी हालत खराब है.
पिछले संकट से तुलना
ग्रीस के वर्तमान शरणार्थी संकट की तुलना बार बार 2015 के संकट से की जा रही है, जब लाखों लोग यूरोप में ग्रीस से होकर घुसे थे. ग्रीस उस समय भयानक वित्तीय संकट का सामना कर रहा था और तुर्की के राष्ट्रपतिु ने उस समय भी सीमाएं खोल दी थीं. जर्मन रक्षा मंत्री आनेग्रेट क्रांप कारेनबावर ने कहा है कि इस बार ईयू, फ्रंटेक्स और ग्रीस ने तेज और आपसी सहमति से प्रतिक्रिया की है. उन्होंने कहा कि 2015 को दोहराने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. ग्रीस के चांसलर सेबास्चियन कुर्त्स ने तुर्की पर ईयू पर हमले का आरोप लगाया है और कहा है कि शरणार्थियों का आना व्यवस्थित तरीके से हो रहा है. उन्होंने ट्वीट किया कि शरणार्थियों की लहर ग्रीस की सीमा पर जा रही है, बुल्गारिया की सीमा पर नहीं.
दरअसल तुर्की ने 2016 में यूरोपीय संघ के साथ हुई एक संधि में यूरोपीय संघ में शरणार्थियों के अवैध प्रवेश को रोकने का वचन दिया था. तुर्की में मौजूद शरणार्थियों की देखभाल में मदद के लिए यूरोपीय संघ ने उसे अरबों यूरो की वित्तीय मदद देने की बात कही थी. तुर्की ने यूरोपीय संघ पर अपने आश्वासनों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया है लेकिन ईयू ने इससे इनकार किया है. यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रभारी जोसेप बोरेल संधि को बचाने में लगे हैं तो जर्मनी के कंजरवेटिव राजनीतिज्ञ सेराप गुलर ने तुर्की सरकार के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों की मांग की है. गुलर ने कहा कि तुर्की के राष्ट्रपति सिर्फ यही भाषा समझते हैं.
एमजे/सीके (डीपीए, एएफपी)
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