शाकाहार की शिक्षा
५ अप्रैल २०१३शाकाहारी होना सेहत के लिए अच्छा है. पश्चिमी देशों में मांस बहुत खाया जाता है. सर्द मौसम के कारण इन देशों में हर तरह की फल सब्जियां उग नहीं सकती. लेकिन वक्त के साथ साथ हालात बदले हैं. जर्मनी की बात की जाए तो दुनिया के कोने कोने से फल सब्जियां यहां आती हैं. इसलिए अब लोगों को शाकाहारी बनना सिखाया जा रहा है. जर्मनी में अगर आप शाकाहारी बनना चाहें तो आप खुद को एक क्लब में रजिस्टर कीजिए. आप के पास एक वेजी बडी पहुंच जाएगा, एक ऐसा दोस्त जो आपको शाकाहारी बनना सिखाएगा.
इंटरनेट के जरिए आप वेजी बडी से संपर्क कर सकते हैं और भोजन को और पौष्टिक बनाने के तरीके पता लगा सकते है. सेबास्टियान गासिओर लोगों की शाकाहारी बनने में मदद कर रहे हैं, "वेजी बडी की हैसियत से मैं बताता हूं कि इतने साल नॉन वेज खाने के बाद आप किस तरह शाकाहारी भोजन की आदत लगा सकते हैं. इसके लिए आप के पास काफी विकल्प हैं."
लजीज और सेहतमंद
कुछ लोग केवल शाकाहारी ही नहीं वेगन भी होते हैं. वेगन खाने में जानवरों से लिया कुछ भी नहीं होता, दूध, दही या घी तक नहीं. इन चीजों से परहेज कर भी किस तरह से स्वादिष्ट खाना बनाया जा सकता है, ये सब वेजी बडी बताता है. वेजी बडी के पास कई टिप्स हैं और वह अपने अनुभव खुशी खुशी बांटता चलता है, "ऐसी कई शाकाहारी चीजें हैं, जिनमें लोहे की काफी मात्रा होती है. मल्टी ग्रेन और होल व्हीट से बने पदार्थ अच्छे होते हैं. जैसे की अगर आप खाने में विटामिन सी लेते रहें तो बहुत फायदा होगा." यानि अगर आप जूस पीते हैं या खाने में टमाटर या मिर्च लेते हैं तो शरीर में विटामिन सी और लौह तत्व भी आएंगे.
फल और ताजा सब्जियां बहुत जरूरी हैं और अच्छा हो अगर वह बहुत दिनों से स्टोरेज में न हों. कई पकवानों में आप मांस की जगह सोया से बनी चीजें डाल सकते हैं, जैसे कि कीमे की जगह आप टोफू का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए तेल और मसालों के अच्छे इस्तेमाल की जरूरत है. पश्चिमी देशों में लोग इससे वाकिफ नहीं है. इनका इस्तेमाल किस तरह करना है, लोगों को यह समझाना वेजी बडी की जिम्मेदारी है.
मोटापे पर नजर
भारत में अधिकतर लोग शाकाहारी हैं. लेकिन फिर भी देश में मोटापे की समस्या बढ़ती जा रही है. शहरों की भागदौड़ ऐसी हो गयी है कि लोगों के पास खाना बनाने का वक्त तक नहीं बच पाता. फोन करके पिज्जा आ जाता है. बर्गर, समोसे, पैटी या पकोड़े रोज के आहार का हिस्सा बन गए हैं. फास्ट फूड की ऐसी दुनिया में कैसे रखें खुद को स्वस्थ, कैसे बचें मोटापे से, यह जानने के लिए इस बार मंथन में एक इंटरव्यू शामिल किया गया है. डॉक्टर जसवंत सिंह जर्मनी में हृदय रोग विशेषज्ञ है. स्वस्थ शरीर के लिए कितने खाने की जरूरत है और सही वजन कितना होना चाहिए, यह सारी जानकारी डॉक्टर सिंह मंथन में दे रहे हैं.
मोटापे की समस्या सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया भर में बढ़ती जा रही है. मेक्सिको में 70 फीसदी लोगों का वजन औसत से ज्यादा है. वहां लोग पानी कम कोल्ड ड्रिंक ज्यादा पीते हैं, क्योंकि वह सस्ती है. भारत की ही तरह वहां भी सड़कों के किनारे ठेलों पर खूब खाया जाता है. लेकिन रोजाना ऐसे खाने से सेहत से खिलवाड़ हो रहा है और लोग मोटापे का शिकार हो रहे हैं. लोगों की कमाई बहुत अच्छी नहीं और काम के दौरान वक्त कम होता है. ऐसे में ठेले पर जाकर जल्दी से कुछ खा लेना आसान उपाय है. इस सब के कारण मोटापा मेक्सिको में महामारी की शक्ल लेता दिख रहा है.
अंधेरे सपने
सेहत पर जानकारी के साथ साथ इस बार मंथन में जानिए कि दृष्टिहीन लोगों के सपने कैसे होते हैं. हमारे सपने उसी से बनते हैं जो हम अपने आस पास देखते हैं, महसूस करते हैं. पर जिन्होंने कभी रंग देखे ही नहीं, उनके अहसास कैसे होते होंगे. इस बात पर भी होगी नजर कि किस तरह से फौरी फायदे के लिए बनाए गए बांध वक्त के साथ साथ बोझ बन सकते हैं. वे पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने लगते हैं. इस सारी जानकारी के लिए देखना न भूलिए मंथन शनिवार सुबह 10.30 बजे डीडी-1 पर. कार्यक्रम को लेकर अपने सुझाव फेसबुक, ट्विटर या ईमेल के जरिए हम तक पहुंचाएं.
रिपोर्ट: ईशा भाटिया
संपादन: ओ सिंह