संकट में पड़े बैंकों को बचाएंगे यूरोपीय देश
११ दिसम्बर २०१३विश्लेषक मानते हैं कि यूरो क्षेत्र में विश्वास जगाने का सबसे अच्छा तरीका यहां के देशों के बैंकों को दिवालिया होने से बचाना है. यूरो जोन के वित्त मंत्रियों को साल पूरा होने से पहले इस सिलसिले में एक प्रस्ताव देना होगा. फ्रांस के वित्त मंत्री पियेर मोस्कोविची ने कहा है कि औपचारिक तौर पर कोई समझौता नहीं हुआ है लेकिन एक दिशा तय कर दी गई है.
नए समझौते में यूरोजोन के सबसे बड़े बैंकों को सुरक्षित करने की कोशिश की जाएगी और उन वित्तीय संस्थानों को भी जो कई देशों में काम करती हैं. अगर कोई छोटा बैंक या छोटी वित्तीय संस्था आर्थिक मुश्किलों का सामना करती है, तो उसे भी इस स्कीम के तहत बचाने की कोशिश की जाएगी.
इसके लिए एक यूरोजोन फंड बनाया जाएगा जिसके लिए आने वाले 10 साल में पैसे जमा होंगे. देश पहले अपने बैंकों के बचाव के लिए तैयारी करेंगे. जर्मनी जैसे देश खास तौर से ऐसी शर्तों की मांग कर रहे हैं क्योंकि वह और देशों के डूबते बैंकों को बचाने में अपना पैसा नहीं डालना चाहते. जर्मन सरकार का कहना है कि वह तब तक डूबते बैंकों की मदद नहीं करेगा जब तक बैंक बचाव फंड की राशि 50 अरब यूरो तक नहीं पहुंच जाती. जर्मनी चाहता है कि बाकी देश भी इस फंड को बढ़ाने में योगदान करें. वहीं फ्रांस के वित्त मंत्री मोस्कोविची कहते हैं कि यह फंड बैंकों के लिए तब मुहैया कराया जाएगा जब उनके पास कोई और चारा नहीं बचेगा. साथ ही, बैंक के ढांचे को बदलने और उसे बंद करने के लिए रणनीति तैयार करनी होगी.
यूरोपीय संघ के बाजार नियंत्रण आयुक्त मिशेल बार्निये ने चेतावनी दी है कि ईयू के सदस्य देशों और आयोग को साथ मिलकर एक समझौते पर पहुंचने में दिक्कत होगी, लेकिन जर्मन वित्त मंत्री वोल्फगांग शॉएब्ले ने कहा है कि इससे बाजार को संकेत मिलेगा कि यूरोप आर्थिक रूप से स्थिर है. यूरोपीय नेता चाहते हैं कि यह समझौता सफल हो, क्योंकि यूरो क्षेत्र की अस्थिरता को लेकर दोबारा अटकलें लगाई जा रही हैं. अगले साल यूरो जोन के बैंकों का विश्लेषण होना है और इस दौरान नई कमजोरियां सामने आ सकती हैं. यूरोपीय केंद्रीय बैंक के प्रमुख मारियो द्रागी ने कहा है कि यूरोपीय देशों को राष्ट्रीय स्तर पर नहीं सोचना चाहिए.
एमजी/एमजे(डीपीए, एएफपी)