संगीत की मदद से सामाजिक कार्य
१८ मार्च २०१३हर धर्म में संगीत की अहम भूमिका रही है. चाहे वो गुरुद्वारे की गुरबानी हो, मंदिर की आरती, मजार पर नातीया कव्वाली या फिर गिरजाघर में पैप ऑर्गन की मधुर आवाज के साथ क्वायर का संगीत. इसी पृष्ठभूमि पर सौ साल पहले इटली में जन्म हुआ भक्ति संगीत की शैली आ कापाला का. इस शैली के गायक साजों का इस्तेमाल नहीं करते, वे सिर्फ अपने गायन और मुंह से तरह तरह की आवाजें निकाल कर मधुर संगीत पेश करते हैं.
आ कापाला शैली में गाने वाला जर्मनी का मशहूर बैंड वाइज गाइज ने हाल में भारत का दौरा किया. बैंड का मकसद सिर्फ गाना ही नहीं था बल्कि बैंड के पांचों सदस्य भारत में खास मिशन पर थे. और वह था दिल्ली की बटरफ्लाइज नाम की संस्था के लिए संगीत के जरिए पैसा इकट्ठा करना.
बिना साज के गाने वाले जर्मन बैंड ने अपने भारत दौरे पर एक शानदार प्रयोग भी किया. बैंड ने देश के मशहूर तबला वादक स्वर्गीय किशन महाराज के वंशज सरोद वादक पंडित विकास महाराज और उनके दो बेटे, प्रभाश महाराज (तबला) और अभिषेक महाराज (सितार) के `महाराज' बैंड के साथ जुगलबंदी की जो बहुत सराही गई.
जर्मन बैंड के सदस्य डानियल डिकॉप्फ ने बताया कि उनका बैंड जर्मनी में अक्सर अपने संगीत कार्यक्रमों के द्वारा सामाजिक कामों के लिये पैसा जुटाता है. उन्होंने कहा, "हम दक्षिण अफ़्रीका में भी बच्चों के एक एनजीओ के लिए धन इकट्ठा करते हैं और हमें खुशी है कि हम बटरफ्लाइज के जरिए भारत के गरीब बच्चों की मदद कर रहे हैं."
डानियल डिकॉप्फ ने कहा, "जर्मनी में हम, लोगों से महीने में सिर्फ दो यूरो जमा कर हमें देने की बात करते हैं, जो कि बहुत ही कम है लेकिन धीरे धीरे हमारे साथ 20,000 लोग जुड़ गये हैं और पिछले नौ सालों से हमें पैसा दे रहे हैं."
बटरफ्लाइज की मदद के इलावा जर्मन बैंड के सदस्य पानी को साफ करने के लिये भी अभियान चलाते हैं. "हम गंगा की सफाई में भी योगदान देंगे.'' महाराज ग्रुप के साथ प्रदर्शन करने की वजह यह भी है कि महाराज ग्रुप के भारतीय कलाकार भी सामाजिक कार्यों से जुड़े हैं. सरोद वादक पंडित विकास महाराज ने बताया, "हम लोग जर्मनी की राइन नदी की सफाई के लिये पैसे जमा कर रहे हैं." जर्मन होने के नाते वाइज गाइज ज्यादातर जर्मन भाषा में ही गाते हैं, लेकिन बैंड ने अमेरिका, लंदन, पोलैंड और कनाडा में इंग्लिश में गाया. और अब बैंड की नजर हिंदी में गाने पर है.
दो देशों के कलाकारों की इस मुहिम में भारत में जर्मनी के दूतावास ने भरपूर सहयोग दिया. जर्मनी के राजदूत मिषाएल शटाइनर ने अपने निवास स्थान पर दोनों बैंडों का स्वागत किया, जहां कलाकारों ने एक शानदार गाने से सबका मन मोह लिया. श्टाइनर ने कहा कि भारत में जब जर्मनी की बात होती है तो लोग अक्सर जर्मन कार या जर्मन लोगों की समय पाबंदी की ही बात करते हैं, "लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि दोनों के बीच पुरानी संस्कृति, कला और संगीत का भी गहरा रिश्ता है" और वाइज गाइज और महाराज की सफल जुगलबंदी इसका एक और नमूना है.
रिपोर्ट: नॉरिस प्रीतम, नई दिल्ली
संपादन: महेश झा