संगीत जो बहरा बना दे
क्या आप 40 साल की उम्र में बहरे होना चाहते हैं? अगर नहीं, तो हर वक्त हेडफोन लगाकर संगीत सुनने से तौबा कर लें.
बहरेपन की ओर
दुनिया भर के कई देशों में टिनेटस के मरीजों को संख्या लगातार बढ़ रही हैं. आम तौर पर बुढ़ापे में सामने आने वाली यह बीमारी अब किशोरों में भी नजर आने लगी है.
क्या है टिनेटस
यह कान और श्रवण क्षमता से जुड़ी बीमारी है. बिना किसी बाहरी आवाज के भी टिनेटस के रोगियों को कान में हमेशा सीटी जैसी या फिर हिस्स.. की आवाज सुनाई पड़ती है.
किशोरों को टिनेटस
साओ पाउलो मेडिकल स्कूल के वैज्ञानिकों के मुताबिक हेडफोन पर तेज आवाज में संगीत सुनने से कान पर बुरा असर पड़ता है. कान की नाजुक कॉकलियर कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती हैं.
कॉकलियर कोशिशकाएं
ये कोशिकाएं ध्वनि में मौजूद अगल अलग आवृत्ति के कंपनों को दर्ज करती है. लेकिन आवाज बहुत तेज हो और देर तक रहे तो ध्वनि कंपन इन कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है.
बहरेपन का खतरा
कभी कभार तेज आवाज सुनने से होने वाला नुकसान कान झेल लेता है. लेकिन हेडफोन पर हर वक्त तेज संगीत सुनने से कॉकलियर कोशिकाएं हमेशा के लिए क्षतिग्रस्त हो सकती हैं. पहले टिनेटस होगा और फिर पूरी तरह बहरापन.
विशेषज्ञों की चेतावनी
साओ पाउलो मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर टानिट गांज सांचेज के मुताबिक अगर किशोरावस्था से लेकर 20-25 साल की उम्र तक खूब तेज संगीत सुना जाए तो स्थायी बहरेपन के खतरे से सामना हो सकता है.
दुनिया भर की समस्या
हर वक्त कान में हेडफोन या ईयरफोन लगाए रखने वाले किशोर तकरीबन हर देश में मिल जाते हैं. डॉक्टरों के मुताबिक आम तौर पर कान में समस्या नहीं होती है, लेकिन टिनेटस हो गया तो समझिये कि आपकी दुनिया ध्वनिहीन हो जाएगी.