संसद में आये नहीं कि जांच की धमकी शुरू
२४ सितम्बर २०१७जर्मन चुनावों के शुरूआती रुझान बताते हैं कि चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू को सीधे तौर पर चुनावों में नुकसान हुआ है. वहीं मौजूदा सरकार में शामिल एसपीडी ने भविष्य में सीडीयू के साथ गठबंधन बनाने से साफ इनकार कर दिया है. मैर्केल के लिए चिंताए और चुनौतियां सिर्फ इतनी ही नहीं हैं. मैर्केल के लिए सबसे बड़ी चुनौती है एएफडी. धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी पहले ही साफ कर चुकी है कि इस बार मैर्केल की राह आसान नहीं होगी. एएफडी की नेता एलिस वाइडल ने कहा है कि उनकी पार्टी एक संसदीय समिति बनाने की मांग करेगी जो शरणार्थी मुद्दे पर अंगेला मैर्केल की नीतियों की जांच करे. उन्होंने कहा कि जांच का मकसद शरणार्थी नीति पर किए गए कानूनी उल्लघंनों का पता लगाना है. एलिस ने कहा, "मैर्केल को अपनी उन नीतियों पर जवाब देना होगा कि क्यों डबलिन नियमों में बदलाव किया गया जिसके तहत पिछले दो सालों के दौरान लाखों शरणार्थी जर्मनी में दाखिल हुए."
आरोप-प्रत्यारोप का ये सिलसिला जर्मन राजनीति के लिए नया जरूर न हो लेकिन इस तरह की जांच के दावे जर्मन राजनीति की समझ रखने वालों को नये नजर आ रहे हैं. अब तक जारी रुझानों के मुताबिक एएफडी को तकरीबन 13.2 फीसदी वोट मिले हैं, नतीजन पार्टी को बुडेंसटाग में लगभग 90 सीटें मिल सकती हैं.
एएफडी के मुरीदों ने शानदार प्रदर्शन के लिए बधाइयां दी हैं. फ्रांस की उग्र दक्षिणपंथी नेता मारी ले पेन ने ट्वीट कर कहा है, "यह यूरोपीय देशों की जागृति का प्रतीक है."
साल 2013 में साझा मुद्रा यूरो के विरोध में पार्टी का गठन हुआ था लेकिन अब पार्टी की पूरी राजनीति इस्लाम और शरणार्थियों के विरोध पर सिमटी नजर आती है. पार्टी ने इन चुनावों में मुख्य रूप से मैर्केल की शरणार्थी नीतियों को मुद्दा बनाया था. एक शोध संस्थान के एक्जिट पोल मुताबिक, "तकरीबन 46 फीसदी जर्मन मतदाता देश में इस्लाम के उभार से चिंतित नजर आते हैं."
एए/ओएसजे (डीपीए, रॉयटर्स)