सईद और लखवी जेल से चलाते रहे ऑपरेशन
६ दिसम्बर २०१०हाफिज सईद और जकी उर रहमान लखवी की इन हरकतों की जानकारी अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की छानबीन में सामने आई. खुफिया एजेंसियों ने ये जानकारी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के निर्देश पर पाकिस्तान सरकार को अगस्त 2009 में दी थी. इस रिपोर्ट में साफ कहा गया कि हाफिज सईद और जकी उर रहमान लखवी मुंबई हमलों में शामिल होने के आरोपों में गिरफ्तार होने के बावजूद अपना आतंकी संगठन चला रहे हैं.
इस रिपोर्ट के मुताबिक हाफिज सईद जेल में रहते हुए भी लश्कर ए तैयबा और जमात उद दावा का नेतृत्व अपने हाथों में रखे हुए है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि समाजसेवा के नाम पर जमा किए गए धन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक,"हमारा मानना है कि इन लोगों ने दक्षिण एशिया में आतंकी हमलों की साजिश रची है और उसको अंजाम दिया है. इन संगठनों ने जमात उद दावा के नाम पर सामाजिक कामों के लिए चंदा जमा किया और उसका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किया गया इनमें नवंबर में हुआ मुंबई हमला भी शामिल है."
खुफिया एजेंसियों ने ये तो माना है कि हाफिज सईद कैद में रहते हुए भी दोनों संगठनों का मुखिया बना हुआ है लेकिन किस हमले में उसकी क्या भूमिका है इसके बारे में ठीक ठीक पता नहीं चल सका है. इसके साथ ही इन एजेंसियों के लिए ये मालूम करना भी मुमकिन नहीं हो सका कि संगठन के शीर्ष नेता नए पुराने हमलों के बारे में कितना जानते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई के मध्य तक लश्कर ए तैयबा के सैन्य कार्रवाई के लिए करीब 36.5 करोड़ पाकिस्तानी रुपये के बजट का इस्तेमाल किया गया जिसकी जिम्मेदारी जकी उर रहमान लखवी पर थी.
भारतीय खुफिया एजेंसियां जकी उर रहमान लखवी को मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड मानती हैं. संयुक्त राष्ट्र ने जमात उद दावा को दिसंबर 2008 में आतंकी संगठन करार दिया और इसके नेता हाफीज सईद को आतंकवादियों की सूची में डाल दिया गया.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः आभा एम