सऊदी अरब के खिलाफ क्यों हैं लखनऊ के मुसलमान
२० मई २०१९पैगंबर मोहम्मद का वहां जन्म हुआ, इस्लाम धर्म वहीं से फैला, काबा वहीं मौजूद है, इस्लाम के तमाम सहाबा (पैगंबर के साथी) वहीं हुए और हर मुसलमान की चाहत रहती है कि जीवन में एक बार वो सऊदी अरब जाकर हज कर आए. यही नहीं, भारत के तमाम मुसलमान अपनी रोजी के लिए वहां नौकरी भी करते हैं.
लेकिन उत्तर प्रदेश की राजधानी में मुसलमानों का एक बड़ा हिस्सा सऊदी अरब का मुखर विरोध करता है. विरोध भी ऐसा जबरदस्त कि धरना, प्रदर्शन, जुलूस तक सड़कों पर निकालते हैं. ऐसा बीते कई सालों से चल रहा है जब लखनऊ की सड़कों पर मुसलमान 'सऊदी अरब मुर्दाबाद' के नारे लगाते हुए निकलते हैं. वैसे ये प्रदर्शन साल भर जब तब होते रहते हैं. इनकी अगुवाई लखनऊ के शिया मुसलमान करते हैं. दावा किया जा रहा है कि अब इसमें धीरे धीरे सूफी मुसलमान भी जुड़ने लगे हैं.
किस किस बात पर प्रदर्शन
हर साल ईद के आठवें दिन एक बहुत बड़ा प्रदर्शन सऊदी अरब के खिलाफ होता है. इसमें मुद्दा रहता है मदीना मुनव्वरा में पैगंबर की बेटी हजरत फातिमा समेत तमाम इमामों की कब्र को ध्वस्त करने का विरोध. दावा है कि ये तमाम कब्रें जन्नतुल बकी में मौजूद थीं जिसे सऊदी सरकार ने मिट्टी में मिला दिया. इस बार भी ये प्रदर्शन जून में होगा.
इस सालाना प्रदर्शन का नेतृत्व आल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब करते हैं. यासूब बताते हैं, "हमारा विरोध तब तक चलता रहेगा जब तक तमाम रोजे दोबारा नहीं बनाए जाते. हम सऊदी सरकार को इसका दोषी मानते हैं. हम उसके खिलाफ सड़क पर उतरते हैं.” ये प्रदर्शन हर साल लखनऊ में शहीद स्मारक पर होता है. इस प्रदर्शन का असर ये हुआ कि अब कई जगह ऐसे प्रदर्शन होने लगे.
इसके अलावा इसी मुद्दे पर लखनऊ की आसफी मस्जिद में भी उसी दौरान सऊदी अरब के खिलाफ प्रदर्शन होता है. स्थानीय निवासी काजिम रजा के अनुसार सऊदी सरकार ने पैगंबर साहब की इकलौती बेटी फातिमा जहरा की कब्र के साथ अन्य इमामों और अवतारों की कब्रों को ध्वस्त किए जाने के सऊदी के कदम के खिलाफ हर साल प्रदर्शन होता है और पुनर्निर्माण की मांग की जाती है.
हर साल इस्लामी कैलेंडर के सफर के महीने के पहले इतवार को ठाकुरगंज के इमामबाड़ा झाऊलाल में भी सऊदी अरब के खिलाफ प्रदर्शन होता है. अब शिया समुदाय सीधे सऊदी अरब पर आरोप लगाता है कि वहां पर बहुत जुल्म हो रहे हैं. हाल में जब सऊदी अरब ने लगभग 30 लोगों को मौत की सजा दी, तो तमाम शिया सड़क पर उतरे. वक्फ बचाओ आंदोलन के सदर शमील शम्सी कहते हैं, "सऊदी अरब एक जालिम सरकार है. हर एक पर जुल्म कर रही है चाहे वो शिया हो या पत्रकार. हमने 30 से अधिक लोगों के कत्ल पर प्रदर्शन किया.”
रमजान के महीने में
इसके अलावा हर साल अलविदा जुमा (रमजान के महीने का आखिरी जुमा) में नमाज के बाद कुद्स दिवस (फलस्तीन के समर्थन में) मनाया जाता है. इसमें वैसे तो विरोध इस्राएल का होता है लेकिन नारे सऊदी अरब के भी खिलाफ लगते हैं. शिया समुदाय का मानना है कि सऊदी अरब भी अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका और इस्राएल का समर्थन करता है.
इन सबके अलावा जब तब कोई ना कोई प्रदर्शन सऊदी अरब के खिलाफ होता रहता हैं. साल 2016 में सऊदी अरब ने धर्मगुरु शेख बाकिर उन निम्र को फांसी दे दी थी. उसके बाद कई दिन तक लखनऊ की सड़कों पर प्रदर्शन चलता रहा. हाल में जब यमन पर सऊदी अरब का हमला हुआ तब भी प्रदर्शन हुआ और बहरीन के मामले पर सऊदी के विरोध में शिया मुसलमान सड़कों पर उतरे. शम्सी कहते हैं, "दुनिया भर के मुसलमान समझ गए हैं कि सऊदी अरब की हुकूमत एक बकवास से ज्यादा कुछ नहीं है. इनको हरम शरीफ की जिम्मेदारी नहीं देनी चाहिए. लेकिन कुछ लोग अब भी जबान नहीं खोलते क्यूंकि वो जानते हैं कि इससे उनके मदरसों की फंडिंग पर असर पड़ेगा और ये भी डर है कि शिया मजबूत होंगे.” शम्सी अपने स्तर से सऊदी अरब के खिलाफ कई प्रदर्शन करते रहते हैं.
सऊदी अरब और लखनऊ कनेक्शन
लखनऊ वैसे सऊदी अरब से काफी हद तक जुड़ा रहता है. अकसर काबा के इमाम लखनऊ आते हैं. यहां मुसलमानों से मिलने के अलावा वे नमाज की अगुवाई कर चुके हैं और तत्कालीन मुख्यमंत्री से भी मिल चुके हैं. इसको एक गुडविल जेस्चर के रूप में उठाया गया कदम माना जाता है. इसके अलावा लखनऊ स्थित इस्लामिक शिक्षण संस्थान नदवातुल उलूम का भी संबंध सऊदी अरब से है. इसके पूर्व रेक्टर मौलाना अली मियां का सऊदी अरब में बड़ा मान था. अच्छी संख्या में लखनऊ के मुसलमान वहां नौकरी भी करते हैं. भारत में सबसे ज्यादा हाजियों का कोटा उत्तर प्रदेश का रहता है जो सऊदी अरब हज करने जाते हैं. सऊदी अरब की राजधानी रियाद और शहर जेद्दाह के लिए लखनऊ से सीधी उड़ानें भी हैं.
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