सब बर्बाद कर रहा मांस का जायका
२६ सितम्बर २०१६इंसान की खुराक में प्रोटीन की अहम भूमिका है. प्रोटीन शरीर में मांसपेशियों का निर्माण करता है. फिलहाल दुनिया भर में प्रोटीन का सबसे मुख्य जरिया मांस है. इसी वजह से फूड कंपनियों ने विशाल मीट उद्योग खड़ा कर दिया. लेकिन अब इसके नुकसान सामने आ रहे हैं. मुर्गियों और मछलियों को तेजी से बड़ा करने के लिए बहुत ज्यादा रसायनों का इस्तेमाल किया गया. सस्ता मीट बेचने की होड़ के चलते ऐसे ऐसे प्रयोग किये गए कि पर्यावरण और सेहत संबंधी परेशानियां खड़ी हो गई हैं.
अब बड़े निवेशक इस स्थिति को बदलना चाहते हैं. बीमा कंपनी अविवा समेत स्वीडन के कई सरकारी पेंशन फंड्स ने प्रमुख फूड कंपनियों को एक खत लिखा है. 23 सितंबर लिखी गई चिट्ठी में फूड कंपनियों से अपील की गई है कि वे पौधे से मिलने वाले प्रोटीन को बढ़ावा दें. खत क्राफ्ट हाइंज, नेस्ले, यूनिलीवर, टेस्को और वॉलमार्ट जैसी दिग्गज कंपनियों को भी भेजा गया है.
फॉर्म एनिमल इनवेस्टमेंट एंड रिटर्न इनिशिएटिव के संस्थापक जेरेमी कोलर के मुताबिक, "दुनिया की बढ़ती प्रोटीन की मांग को पूरा करने के लिए अगर फैक्ट्रियों में पाले जाने वाले मवेशियों का ही सहारा लिया गया तो वित्तीय, सामाजिक और पर्यावरणीय संकट उभरेगा." कोलर निवेश कंपनी कोलर कैपिटल के मुख्य निवेश अधिकारी हैं.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोध के मुताबिक अगर लोग मांस खाना कम कर दें तो 2050 तक सेहत और जलवायु संबंधी खर्च में 1500 अरब डॉलर की कमी लाई जा सकती है. शोध के मुताबिक मीट उद्योग पर नकेल कसने की तैयारी भी शुरू हो चुकी है. डेनमार्क में रेड मीट पर टैक्स लगाने की योजना बन रही है. चीन सरकार अपने नागरिकों में मीट की खपत 50 फीसदी कम करना चाहती है.
ज्यादातर फू़ड कंपनियां प्रोसेस्ड मीट बेचती हैं. एंटीबायोटिक और प्रिजर्वेटिव से भरपूर यह मीट कैंसर और कई दूसरी बीमारियों को जन्म देता है. बूचड़खानों से निकलने वाला गंदा पानी भी एक बड़ी समस्या है. अमेरिका और कनाडा की कुछ नदियां तो मीट उद्योग के चलते बुरी तरह दूषित हो चुकी हैं. मीट उद्योग का कचरा भी बड़ा सिरदर्द है. यह दूसरे जीवों को भी बीमार करता है. बीते 10 सालों में दुनिया ने बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू और इबोला जैसी महामारियों का सामना किया है. ये सभी बीमारियां संक्रमित मीट से इंसान तक पहुंचीं.