1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

समंदर की गहराइयों में छिपा इंसान के लिए खाना

२६ मई २०१७

बीते कुछ सालों से शोधकर्ता समुद्र में अंडर वॉटर एक्वा फार्म बना कर वहां शैवाल उगाने पर रिसर्च कर रहे हैं. अब तो इससे इंसान के भोजन में शामिल करने लायक प्रजाति विकसित करने की कोशिश की जा रही है.

https://p.dw.com/p/2dckN
Miesmuschel - Mytilus trossulus
तस्वीर: Imago/blickwinkel

बाल्टिक सागर में समुद्र विज्ञानी अपनी जानकारी का फायदा उठाकर नये प्रोडक्ट पैदा करना चाहते हैं. वे अपनी खुद की बनाई हुई डेंगी लेकर समुद्र में बनाये गये अंडर वॉटर फार्म की ओरनिकल पड़ते हैं. बोट से वे वहां कुछ ही मिनटों में अक्वा फार्म पर पहुंच जाते हैं.

शोधकर्ता बरसों से अल्गी की पैदावार पर रिसर्च कर रहे हैं. लैब में इसकी पौध को तैयार किया जाता है. अल्गी की संभावनाएं बहुत ज्यादा हैं और कभी कभी तो चौंकाने वाली भी.

समुद्र विज्ञानी टिम श्टाउनफेनबर्गर कहते हैं, "एक समय तो चर्चा थी कि इसे जलाया जाये, उसे ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाये, लेकिन उसके लिए यह बहुत ही कीमती है. क्योंकि उसके तत्वों से हम अपने लिये बहुत कुछ अच्छा कर सकते हैं." अल्गी की एक खाने वाली वेरायटी की मदद से जीव विज्ञानी कॉस्मेटिक बनाते हैं. यह त्वचा के लिए बहुत ही अच्छा होता है क्योंकि अल्गी बहुत सारा तरल संजो कर रख सकती हैं.

लेकिन कामयाबी की उम्मीदों के साथ शुरू हुआ परीक्षण असमय समाप्त हो सकता है. सखारीना लैटीसीमा अल्गी बदलते मौसम के साथ बहुत संवेदनशील है. श्टाउनफेनबर्गर के अनुसार, "सखारीना लैटीसीमा अब अपनी सीमा पर है. अभी तक तो ठीक है लेकिन यदि और गर्म हो जाये तो उसे अच्छा नहीं लगेगा. चूंकि अभी माना जा रहा है कि समुद्र का तापमान बढ़ रहा है, इसलिए हमें भी सोचना होगा कि क्या हम यहां अल्गी की कोई और वेरायटी उपजायें ताकि हम कॉस्मेटिक का उत्पादन जारी रख सकें और अल्गी भी ब्रीड कर सकें."

अल्गी के विपरीत मुसेल गर्मी पसंद करते हैं. इसलिए जीवविज्ञानी अब ब्लू मुसेल की पैदावार कर रहे हैं. यह कीमती खाद्य सामग्री है. श्टाउनफेनबर्गर कहते हैं, "मुसेल को गर्मी पसंद है. जैसे ही थोड़ी ज्यादा गर्मी हो जाये, मुसेल को पानी में ज्यादा खाना मिलने लगता है और वे बहतर तरीके से बढ़ सकते हैं." जीवविज्ञानी कुछ सैंपल इकट्ठा करते हैं. बेचे जाने से पहले मुसेल की जांच होगी ताकि उसमें बीमारियों के कीटाणु और जहरीले पदार्थ ना हों.

एक गोताखोर इस बात की जांच करेगा कि पानी के नीचे मुसेल किस तरह बढ़ते हैं. बाल्टिक सागर का पानी पारदर्शी नहीं है. इसलिए नहीं कि वह गंदा है, बल्कि इसलिए कि इसमें बहुत ऑर्गेनिज्म रहते हैं. यह मुसेल के लिए पोषण का अच्छा आधार है, जो रस्सी में लटके अच्छी तरह फलते फूलते हैं. मुसेल सात सेंटीमीटर तक बड़े होते हैं. वे इंसान के लिए पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्द्धक आहार हैं क्योंकि उनमें मूल्यवान वसा होती है.

पानी के नीचे लटकी रस्सियों पर मुसेल की पैदावार दूसरे तरीकों से अधिक पर्यावरण सम्मत है. अब तक मुसेल को समुद्र तल से इकट्ठा किया जाता था. इस प्रक्रिया में समुद्र तल को नुकसान पहुंचता था. जर्मनी के पहले बायो मुसेल ब्रीडिंग सेंटर में रसायन का भी इस्तेमाल नहीं होता.