साइप्रस में छह महीने में तीन लाख बिल्लियों की मौत
१२ जुलाई २०२३साइप्रस की राजधानी निकोसिया के एक पशु अस्पताल में छह महीने की बेबे पहुंची है. किटी को हरारत भी है और दिशाभ्रम भी. उसे बिल्लियों में फैलने वाले कोरोना वायरस के एक वेरिएंट ने जकड़ लिया है. डॉक्टर कोस्टिस लारकोऊ किसी तरह उसे ठीक कर देना चाहते हैं, पर संसाधन बहुत ही सीमित हैं.
पूर्वी भूमध्यसागर के देश साइप्रस को "आइलैंड ऑफ कैट्स" भी कहा जाता है. पूरे द्वीप में लाखों बिल्लियां रहती हैं. कुछ पालतू तो बाकी बेघर और बेफिक्र. लेकिन सहज स्वभाव के तहत घात लगाकर घूरने और शिकार करने वाली ये बिल्लियां इस वक्त खुद एक महामारी के सामने निढाल खड़ी हैं. फीलाइन इंफेक्शियस पेरिटोनिटिस (एफआईपी) नाम की बीमारी उन्हें खत्म करती जा रही है. इंसान में न फैलने वाली यह बीमारी जनवरी 2023 से अब तक साइप्रस में तीन लाख बिल्लियों को मार चुकी है.
इंसानों ने पालतू जानवरों को कोविड से बीमार कियाः शोध
ग्रीस के साथ विवाद और फिर 1974 में तुर्की के सैन्य दखल के बाद साइप्रस दो हिस्सों में बंट गया. फिलहाल दक्षिणी हिस्सा साइप्रस नाम का आजाद देश है और उत्तरी इलाका, स्वघोषित तुर्क गणराज्य का उत्तरी साइप्रस. लेकिन बिल्लियों में महामारी दोनों तरफ फैली है. विशेषज्ञों के मुताबिक पूरे साइप्रस में बिल्लियों की आबादी इंसान से जरा ज्यादा हो सकती है. अनुमान लगाया जाता है कि वहां 10 लाख से ज्यादा बिल्लियां रहती हैं.
दक्षिणी साइप्रस में करीब एक तिहाई बिल्लियां एफआईपी की चपेट में हैं. बिल्लियों में बुखार, पेट में सूजन, कमजोरी और कभी कभी चिड़चिड़ापन इस बीमारी के लक्षण हैं.
साइप्रस में इंसान और बिल्लियों का रिश्ता
प्रचलित कहानियों के मुताबिक 1,700 साल पहले रोमन महारानी हेलेना, जहरीले सांपों से निपटने के लिए बिल्लियों को साइप्रस लाईं लेकिन पुरातत्वविज्ञानियों को वहां बिल्लियों और इंसान के बीच 9,500 साल पुराने रिश्ते का पता चला. दक्षिणी साइप्रस के एक प्राचीन गांव में खुदाई करने पर कब्रों में इंसान और बिल्ली के जीवाश्म मिले. पुरातत्वविज्ञानियों का दावा है कि दोनों को साथ में दफनाया गया.
आज भी साइप्रसवासियों के दिल में बिल्लियों के लिए मोहब्बत दिखती है. साइप्रस वॉयस फॉर एनीमल्स के वाइस प्रेसीडेंट दिनोस आइयोमामातिस के मुताबिक, राजधानी के एक कब्रिस्तान में करीब 60 बिल्लियां साथ रहती हैं. वह कहते हैं, "अब तक यह कॉलोनी अच्छी चल रही है, लेकिन हमें डर है कि अगर इनमें से एक भी संक्रमित हुई तो सब चपेट में आएंगी."
बेघर बिल्लियों का अकसर खाना देने वाले कुछ लोगों के मुताबिक, रोज उनका इंतजार करने वाली कई बिल्लियां अब बिल्कुल नजर नहीं आ रही हैं. बीमार पड़ने पर बिल्लियां खुद को अलग थलग कर लेती हैं और ज्यादातर बिल्लियां एकांत में दम तोड़ती हैं.
विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि ये महामारी शायद पड़ोसी देश लेबनान, इस्राएल और तुर्की तक भी पहुंच चुकी है. लेकिन अभी तक इस पर कोई शोध नहीं हुआ है.
महामारी पर काबू
महामारी की रोकथाम के लिए इलाज के दो विकल्प मौजूद हैं. एक रास्ता है मॉलनुपिराविर एंटी कोविड टेबलेट. लेकिन अधिकारियों का कहना है कि साइप्रस में इस दवा को पशुओं पर इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं है.
दूसरा ट्रीटमेंट है, GS-441524 नाम की एंटीवायरल टेबलेट. कैमिकल कंपोजिशन के लिहाज से यह दवा इंसान में कोविड-19 को काबू करने वाले रेमडेसिविर ट्रीटमेंट की तरह है. ब्रिटेन में पशुओं को ये टेबलेट देने की मंजूरी है. लेकिन साइप्रस में एक बिल्ली के ऐसे ट्रीटमेंट पर करीब 3,000 से 7,000 यूरो का खर्च आ सकता है. देश में इस दवा के लिए कोई सप्लाई चेन नहीं है.
अब कई पशुप्रेमी, सरकार से बिल्लियों को मॉलनुपिराविर देने की अनुमति मांग रहे हैं. मॉलनुपिराविर से एक बिल्ली के इलाज का खर्च करीब 200 यूरो आएगा. साइप्रस के कृषि मंत्रालय का कहना है कि यूरोपीय बाजार में मौजूद अन्य विकल्प भी टटोले जा रहे हैं.
नाम न बताने की शर्त पर एक साइप्रसवासी ने बताया कि अपनी पालतू बिल्लियों को बचाने के लिए उन्होंने अवैध तरीके से मॉलनुपिराविर खरीदी.
कई पशु कल्याण संस्थाओं से जुड़ी 38 साल की वासिलिकी मानी सरकार से तुरंत हरकत में आने की मांग कर रही हैं. जनवरी में दो आवारा बिल्लियों का इलाज कराने में उन्होंने अपनी जेब से 3,600 यूरो खर्च किए. मानी कहती हैं, "मैं अपनी सारी बचत खर्च कर चुकी हूं. हम साइप्रस में क्रूरता से जीवों को मरने के लिए नहीं छोड़ सकते."
वह चेतावनी देते हुए कहती हैं, अगर एफआईपी इसी तरह फैलता रहा तो साइप्रस "दी आइलैंड ऑफ डैड कैट्स" बन जाएगा.
ओएसजे/एसबी (एएफपी)