साइबर हमले का खतरा सबसे बड़ा
८ जनवरी २०१४'डिफेंस न्यूज' नाम के एक प्रकाशन में छपे सर्वे में यह बात सामने आई है. इसमें अमेरिका के रक्षा विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया. सर्वे में देखा गया कि अमेरिका के करीब आधे रक्षा विशेषज्ञों को ऐसा लगता है कि साइबर युद्ध आने वाले समय का सबसे बड़ा खतरा है. इस पोल के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा नीति से जुड़े अमेरिकी नेताओं, सेना, कांग्रेस और रक्षा उद्योग के लोगों से उनका मत पूछा गया.
ईरान और चीन से खतरा
पोल के नतीजों में दूसरे स्थान पर जो खतरा बताया गया उसमें देश के दो प्रमुख राजनीतिक दलों के समर्थकों की राय अलग अलग थी. रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों ने जहां आतंकवाद को सबसे बड़ा संकट बताया, वहीं डेमोक्रेट समर्थकों ने जलवायु परिवर्तन पर सबसे ज्यादा चिंता जतायी. नवंबर में किए गए इस पोल में 350 से भी ज्यादा वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया. उन सबसे रक्षा मामलों से जुड़े दो दर्जन सवालों का जवाब मांगा गया. पोल से मिले अन्य महत्वपूर्ण नतीजों में सामने आया कि 54 प्रतिशत लोग मध्यपूर्वी देश ईरान को सबसे बड़ा खतरा मानते हैं. जबकि 47 प्रतिशत से ज्यादा लोग एशियाई महाद्वीप में चीन को उत्तर कोरिया से भी बड़ा खतरा मानते हैं.
सारी दुनिया पर मंडराता खतरा
पिछले दिनों अमेरिका और चीन के बीच हैकिंग एक बड़ा मुद्दा बन कर उभरा. अमेरिका का मानना है कि उनके देश में चीनी हैकरों ने इंटरनेट हैकिंग को अंजाम दिया है. दूसरी ओर चीनी लोग खुद को भी हैकिंग का शिकार बताते हैं और ऐसी किसी भी कारगुजारी में शामिल नहीं होने की बात कहते हैं. अमेरिका में चल रही साइबर जासूसी के बारे में एडवर्ड स्नोडेन के खुलासों से इस विराट तंत्र का पता चला. जर्मनी और फ्रांस जैसे अमेरिका के मित्र देशों ने इस जासूसी का शिकार बनने पर कड़ी प्रतिक्रिया भी जतायी है.
साइबर जासूसी के मामले में भारत का दुनिया में पांचवां स्थान है. इस समस्या से कड़ाई से निपटने के लिए भारत सरकार ने जुलाई 2013 में राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति की घोषणा की जिसका उद्देश्य सरकारी और निजी साइबर सम्पत्तियों को संभावित खतरों से बचाना है.
और भी बहुत हैं साइबर खतरे
माइक्रोसॉफ्ट ने किशोरों के व्यवहार में आने वाले बदलावों पर पिछले साल एक सर्वेक्षण किया. इसके नतीजों में सामने आया कि इंटरनेट के जरिये प्रताड़ित करने के मामलों में चीन और सिंगापुर के बाद भारत तीसरे स्थान पर है. आंकड़ों की बात करें तो भारत में इस तरह ऑनलाइन प्रताड़ना, परेशानी या शर्मिंदगी का शिकार होने वालों में 53 फीसदी नेट का इस्तेमाल करने वाले हैं. हालिया सर्वेक्षण के मुताबिक, अकेले कोलकाता महानगर में यह समस्या हर साल 30 फीसदी की दर से बढ़ रही है. लगभग 55 फीसदी अभिभावकों का मानना है कि नेटवर्किंग साइटों के कारण ऐसा हो रहा है. भारत के मेट्रो शहरों में करीब 40 प्रतिशत किशोर मोबाइल फोन पर इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं.
स्मार्टफोन जैसे जैसे लोगों के बीच पैठ बना रहे हैं, वैसे ही साइबर अपराधियों के निशाने पर भी आ रहे हैं. ऑनलाइन सुरक्षा कंपनियों ने पाया है कि ये अपराधी कई तरह की धोकाधड़ी के लिये मोबाइल प्लैटफॉर्म और सोशल नेटवर्किंग साइटों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
आरआर/आईबी (एएफपी)