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साक्षर हैं भारतीय महिलाएं: आंकड़े देखें या हक़ीकत

२७ जनवरी २००९

संयुक्त राष्ट्र सहस्त्राब्दी लक्ष्यों में लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण का लक्ष्य रखा गया है. भारत में महिलाएं हर क्षेत्र में पुरूषों की बराबरी कर रही हैं पर शिक्षा के क्षेत्र में समानता लाई जाने के प्रयास जारी हैं.

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हम होंगे क़ामयाबतस्वीर: AP

भारत में महिलाओं की स्थिति बेहतर मानी जाती है लेकिन यह भी सच है कि अभी बहुत कुछ किया जाना बाक़ी है. घूंघट में छिपे चेहरों में आज आत्मविश्वास की इतनी ललक है कि हर क्षेत्र में अब पुरूषों के कंधे से कंधा मिला कर चलने में भी उन्हें कोई गुरेज़ नहीं है. आंकड़ों पर यदि नज़र डाली जाए तो 2001 की जनगणना में भारत में 54 प्रतिशत महिलाएं साक्षर थीं. यदि लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सहस्त्राब्दी लक्ष्यों की बात की जाए तो 2015 में तक प्राथमिक शिक्षा में लड़कों और लड़कियों का अनुपात शत प्रतिशत होना चाहिए जो 2005 में 91 प्रतिशत पहुंच चुका था.

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तस्वीर: Pia Chandavarkar

इसी तरह माध्यमिक शिक्षा में भी लड़के लड़कियों का अनुपात 100 प्रतिशत होना चाहिए और 2003 में यह दर 70 प्रतिशत पहुंच गई थी. राजस्थान में महिला आयोग की अध्यक्षा और राजस्थान विश्वविद्यालय में लंबे समय तक जर्मन भाषा पढ़ा चुकी प्रमुख शिक्षाविद् डॉ पवन सुराणा का कहनाहै कि महिलाओं के साक्षर होने से कुछ नहीं होगा बल्कि उन्हें शिक्षित भी होना पड़ेगा. शिक्षा के उच्चतर स्तर पर लैंगिक अंतर बढ़ता है. और जहां प्राथमिक स्तर पर प्रति 1000 लड़कों की भर्ती पर 95 लड़कियां स्कूलों में प्रवेश लेती हैं वहीं यह अनुपात उच्च प्राथमिक स्तर पर घट कर 88 प्रतिशत रह जाता है.

मानव संसाधन और विकास मंत्रालय के डीआईएसई की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राथमिक शिक्षा के उद्देश्य को तब तक प्राप्त नहीं किया जा सकता जब तक सभी लड़कियों को शिक्षा व्यवस्था से नहीं जोड़ लिया जाता. जयपुर के पास चाकसू गांव की रहने वाली श्रीमती ममता को उनके घरवालों ने दूसरी कक्षा के बाद ही स्कूल छुड़वा दिया था लेकिन अब वह अपनी बच्चियों को स्कूल भेजने के लिए अडिग है. भारत में इन दिनों औपचारिक स्कूल व्यवस्था को उन क्षेत्रों में सशक्त किया जा रहा है जहां लड़कियों को प्राथमिक शिक्षा के बाद स्कूल नहीं भेजा जाता. लड़कियों के लिए स्कूल खोले जाने, महिला अध्यापकों की संख्या बढ़ाने और बड़ी उम्र की लड़कियों को शिक्षा से जोड़ने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं.

Indische Frauen posieren am Dienstag, 3. Oktober 2006 in Frankfurt am Main auf der Frankfurter Buchmesse mit einem Buch ueber Indien vor Schriftzeichen aus verschiedenen indischen Regionen
तस्वीर: AP

1988 में शुरू किया राष्ट्रीय साक्षरता मिशन बताता है कि कुल अशिक्षित आबादी में महिलाओं की बहुत बड़ी संख्या है. यह मिशन वास्तव में महिलाओं को क्रियाशील साक्षरता प्रदान करने का मिशन है. महिला प्रौढ़ शिक्षा और युवतियों की शिक्षा के लिए भी देश में कई कार्यक्रम संचालित हैं. राष्ट्रीय बालिका शिक्षा कार्यक्रम के अन्तर्गत जहां 31 हज़ार आदर्श विद्यालय विकसित किए गए और दो लाख अध्यापकों को लैंगिक संवेदनशीलता में भी प्रशिक्षित किया गया. सवाल यह भी है कि वो कौन से कारण है जो महिलाओं की कम साक्षरता के लिए ज़िम्मेदार हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि सामाजिक भेदभाव और आर्थिक शोषण इसमें प्रमुख भूमिका निभाते हैं. सहस्त्राब्दी लक्ष्य अभी सात साल दूर है फिर भी उन्हें प्राप्त कर पाना अभी एक बड़ी चुनौती है.