साथ सोने से शिशु की जान को खतरा
१७ जुलाई २०१४रिसर्चरों का कहना है कि किसी और के साथ बेड साझा करना नवजात शिशुओं के लिए सबसे बड़ा खतरा है. साइंस पत्रिका पीडिएट्रिक्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार शोध में पता चला कि सोते में अचानक जान गंवाने वाले 69 फीसदी बच्चे बिस्तर में किसी न किसी के साथ थे.
इस शोध को अंजाम देने के लिए 24 राज्यों में 2004 से 2012 के बीच हुई 8,207 शिशुओं की मौत से संबंधित सरकारी आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया. रिसर्चरों ने पाया कि तीन महीने तक के शिशु के लिए खतरा और तीन से 12 महीने तक वाले आयु वर्ग के शिशुओं को खतरा अलग तरह का है. बहुत छोटे बच्चों की जान को साथ सोने से ज्यादा खतरा होता है. उनके बीच अंतर 73.8 के मुकाबले 58.9 फीसदी का निकला.
शिशु जब किसी के साथ बिस्तर साझा करता है तो या तो वह बराबर में सो रहा होता है या फिर वयस्क के ऊपर. कई बार हाथ के वजन से भी उनकी सांस रुक जाने का खतरा होता है. विशेषज्ञों की सलाह है कि कभी भी बच्चे को गोद में दबोच कर, या फिर ऐसी किसी मुद्रा में नहीं सोना चाहिए जिसमें बच्चे के दब जाने की संभावना हो.
शिशु की सांस बहुत नाजुक होती है जो थोड़े वजन से भी रुक सकती है. या फिर उसके किसी ऐसे अंग पर जोर पड़ सकता है जिससे कि उसका दम घुट जाए या शरीर पर कोई और विपरीत असर पड़े. तीन महीने से बड़े बच्चों की मौत के मामले में ज्यादातर को पेट के बल सोता हुआ पाया गया. उनके सोने वाले हिस्से में ही कंबल या नर्म खिलौने पाए गए. इन चीजों के पेट के नीचे आ जाने से भी शिशु की सांस रुक सकती है.
अमेरिकन एकेडेमी ऑफ पीडिएट्रिक्स सलाह देती है कि शिशु को कड़ी सतह वाले बिस्तर पर सुलाएं. शिशु माता पिता के पास हो लेकिन एक ही बिस्तर पर नहीं. शिशु को पीठ के बल सुलाना चाहिए. तकिया, कंबल, बिछौना या खिलौने जैसी चीजें उनके बिस्तर से हटा दी जानी चाहिए.
एसएफ/एएम (एएफपी)