भारत-चीन गतिरोध बरकरार, मोदी ने की ट्रंप से बात
३ जून २०२०भारत और चीन के बीच सीमा पर सैन्य गतिविधियों को लेकर गतिरोध अभी भी बना हुआ है. गतिरोध को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच कूटनीतिक स्तर पर बातचीत पहले से चल रही थी, लेकिन अब तय हुआ है कि वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच में भी वार्ता होगी. मीडिया में आई खबरों के मुताबिक छह जून से दोनों देशों के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर बातचीत शुरू होगी, जिसमें भारत का प्रतिनिधित्व सेना की फोर्टीन्थ कोर इकाई के कोर कमांडर करेंगे.
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में इस योजना की पुष्टि की. साथ ही उन्होंने पहली बार भारत सरकार की तरफ से स्थिति के गंभीर होने की बात मानी. उन्होंने कहा कि चीनी सैनिक सीमा पर "अच्छी खासी संख्या" में आए हैं, लेकिन उन्होंने ये आश्वासन भी दिलाया कि इस तरह के गतिरोधों को सुलझाने की एक प्रक्रिया है और हम उस प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं. उनका कहना था कि बातचीत के जरिए यदि मुद्दा सुलझ जाता है तो इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है.
लदाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीमा पर पांच मई से तनातनी चल रही है. शुरू में दोनों तरफ के सिपाहियों के बीच हाथापाई भी हुई थी. दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच लगातार बातचीत भी चल रही है, लेकिन मीडिया में आई कुछ खबरों के मुताबिक इन से कुछ हासिल नहीं हो पाया है और अब गतिरोध को मिटाने के नए रास्ते तलाशे जा रहे हैं. इसी क्रम में मंगलवार दो जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से बातचीत की.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक वकतव्य में कहा की दोनों नेताओं के बीच कई विषयों पर चर्चा हुई, जिनमें भारत-चीन सीमा पर स्थिति भी शामिल थी. इस वक्तव्य को महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि क्योंकि ये दर्शाता है कि भारत ने चीन के साथ सीमा पर गतिरोध के समाधान के लिए दूसरे देशों से बातचीत शुरू कर दी है. राष्ट्रपति ट्रंप ने कुछ दिनों पहले खुद ही प्रस्ताव दिया था कि वो भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को "सुलझाने और उसमें मध्यस्थता करने के लिए तैयार और सक्षम हैं."
दो दिन पहले अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पेयो ने कहा कि चीन ने अपने सैनिकों के वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास उत्तरी भारत के अंदर भेज दिया है और ये इस तरह का कदम है जिसे कोई तानाशाही उठाएगा. उसके बाद अमेरिकी संसद के हाउस ऑफ रेप्रेजेन्टटिव्स की विदेशी मामलों की समीति ने कहा कि वो भारत के खिलाफ चीन के आक्रामक रवैये को लेकर बहुत चिंतित है और वो चीन से बातचीत के जरिए इस गतिरोध का समाधान खोजने की अपील करती है.
समिति के अध्यक्ष एलियट एंगेल ने कहा, "मैं बहुत चिंतित हूं...चीन एक बार फिर दिखा रहा है कि वो मतभेदों को अंतर्राष्ट्रीय कानून से सुलझाने की जगह अपने पड़ोसी देशों को धौंस दिखाने में विश्वास रखता है."
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