सुप्रीम कोर्ट ने हसन अली को हिरासत में भेजा
१७ मार्च २०११गुरुवार को विशेष परिस्थितियों का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संज्ञान में लिया. जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी और एसएस निज्जर की बेंच ने निचली अदालत को फटकार लगाते हुए कहा, ''जिस ढंग से कार्रवाई की गई, वह बेहद निराशाजनक है. जिस ढंग ने जज ने फैसला दिया उससे विचित्र स्थिति पैदा हो गई है. इसकी वजह से पूरी जांच पर खराब असर पड़ सकता है.'' 11 मार्च को मुंबई की निचली अदालत ने हसन अली खान को जमानत दी थी.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 53 साल के हसन अली खान को प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेजने का आदेश दिया. प्रवर्तन निदेशालय की ओर सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने यह याचिका दायर की. याचिका में कहा गया कि ट्रायल कोर्ट ने न जाने किस आधार पर हसन अली को जमानत दी. खान ने अदालत से राहत देने की कोई अपील भी नहीं, इसके वाबजूद खान को जमानत दे दी गई. निचली अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय की रिमांड की अपील को बिलकुल ध्यान नहीं दिया.
सॉलीसीटर जनरल सुब्रमण्यम ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रवर्तन निदेशालय को हसन अली के खिलाफ ठोस सबूत मिले हैं. इनके आधार पर हसन अली की हिरासत में लिया जाना जरूरी है. इस बात के सबूत हैं कि हसन अली ने कई विदेशी बैंकों में खूब काला धन रखा है.
हसन अली और काले धन के मामले पर सुप्रीम कोर्ट पहले से ही कड़ा रुख अपनाए हुए हैं. अदालत यहां तक कह चुकी हैं कि क्यों न हसन अली के खिलाफ आतंकवाद निरोधी कानून के तहत मुकदमा चलाया जाए. प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक आरोपी के हथियार डीलरों और आतंकवादी नेटवर्क से जुड़े लोगों से संबंध हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: आभा एम